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Friday 30 March 2018

Hanuman Jayanti 2018 vibhishan krit Apaduddharan Hanumat stotram हनुमान जयंती 2018 विशेष विभीषण कृत अपदुद्धरण हनुमत स्तोत्रम

हनुमान जन्मोत्सव 2018 विशेष उपाय

***** विभीषण कृत आपदुद्धरण-हनुमतस्तोत्र *****

धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्मोत्सव पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 31 मार्च, शनिवार को है।
हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं।



आपदुद्धरणहनुमत्स्तोत्रम् (विभीषणकृतम्)

वामे करे वैरिभिदं वहन्तं
शैलं परे शृङ्घलहारिटङ्कम् ।

दधानमच्छच्छवि यज्ञसूत्रं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम्।।१।।

सुपीतकौपीनमुदञ्चितांगुलिं
समुज्ज्वलन् मौञ्ज्यजिनोपवीतिनम् ।

सकुण्डलं लम्बशिखासमावृतं
तमाञ्जनेयं शरणं प्रपद्ये ॥ २ ॥

आपन्नाखिललोकार्तिहारिणे श्रीहनूमते ।
अकस्मादागतोत्पातनाशनाय नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥

सीतावियुक्तश्रीरामशोकदुःखभयापह ।
तापत्रितयसंहारिन् आञ्जनेय नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥

आधिव्याधिमहामारीग्रहपीडापहारिणे ।
प्राणापहर्त्रे दैत्यानां रामप्राणात्मने नमः ॥ ५ ॥

संसारसागरावर्तौ कर्तव्यभ्रान्तचेतसाम् ।
शरणागतमर्त्यानां शरण्याय नमोऽस्तु ते ॥ ६ ॥

राजद्वारि बिलद्वारि प्रवेशे भूतसङ्कुले ।
गजसिंहमहाव्याघ्र चोरभीषणकानने ॥ ७ ॥

शरणाय शरण्याय वातात्मज नमोऽस्तु ते ।
नमः प्लवगसैन्यानां प्राणभूतात्मने नमः ॥ ८ ॥

रामेष्टं करुणापूर्णं हनूमन्तं भयापहम् ।
शत्रुनाशकरं भीमं सर्वाभीष्टफलप्रदम् ॥ ९ ॥

प्रदोषे वा प्रभाते वा ये स्मरन्त्यञ्जनासुतम् ।
अर्थसिद्धिं यशः कीर्तिं प्राप्नुवन्ति न संशयः ॥ १० ॥

कारागृहे प्रयाणे च संग्रामे देशविप्लवे ।
ये स्मरन्ति हनूमन्तं तेषां नास्ति विपद्सदा ॥ ११ ॥

वज्रदेहाय कालाग्निरुद्रायामिततेजसे ।
ब्रह्मास्त्रस्थंभनायास्मै नमः श्री रुद्रमूर्तये ॥ १२ ॥

जप्त्वा स्तोत्रमिदं मन्त्रं प्रतिवारं पठेन्नरः ।
राजस्थाने सभास्थाने प्राप्तवादे जपेत् ध्रुवम् ॥ १३ ॥

विभीषणकृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतो नरः ।
सर्वापद्भ्यो विमुच्येत नात्र कार्या विचारणा ॥ १४ ॥

मर्कटेश महोत्साह सर्वशोकविनाशक ।
शत्रून् संहर मां रक्ष श्रियं दासाय देहि मे ॥ १५ ॥

हनुमानजी की कृपा प्राप्ति हेतु करें निम्न उपाय:-

1. हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढाएं। जानकारों के अनुसार पूर्णिमा तिथि या शनिवार को हनुमानजी को तिल या चमेली का तेल मिले सिंदूर से चोला चढ़ाने से सारी भय, बाधा और मुसीबतों का अंत हो जाता है। चोला चढ़ाते वक्त इस मंत्र का स्मरण करें -

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यसुखवर्द्धनम्।
शुभदं चैवमाङ्गल्यं सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।

दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें । चमेली के तेल का पांच बत्तियों का दीपक नीचे लिखे मंत्र के साथ लगाएं

 साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निनां योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश प्रसीद परमेश्वर।

यह उपाय किसी भी विघ्र-बाधा को फौरन दूर करने वाला माना जाता है।

श्रृंगार:

जनेऊ ,लाल लंगोट, अंग वस्त्र, कुंडल, मुकुट, ध्वजा

गुलाब एवं मदार पुष्पों की माला, तुलसी पत्र- मंजरी की माला, केवड़े का इत्र

पान का बीड़ा अर्पित करें।

भोग:

हनुमानजी को नैवेद्य चढ़ाने के लिए भी शास्त्रों में अलग- अलग वक्त पर विशेष नियम उजागर हैं। इनके मुताबिक

प्रातःकाल: नारियल का गोला या गुड़ या गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए।

मध्याह्न:  दोपहर में घी और गुड़ या फिर गेहूं की मोटी रोटी बनाकर उसमें ये दोनों चीजें मिलाकर बनाया चूरमा अर्पित करना चाहिए।

सायंकाल: विशेष तौर पर फल एवं नैवेद्य चढ़ाना चाहिए।

हनुमानजी को जामफल, केले, अनार या आम के फल बहुत प्रिय बताए गए हैं। इस तरह हनुमानजी को मीठे फल व नैवेद्य अर्पित करने वाले की दु:ख व असफलताओं की कड़वाहट दूर होती है और वह सुख व सफलता का स्वाद चखता है।

2. धन प्राप्ति के लिए:

  एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ व चना रख कर हनुमानजी को इसका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देर बैठकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।

मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।

अब हनुमानजी को चढाए गए गुलाब के फूल की माला से एक फूल तोड़ कर उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में रखें। आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।

3 हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटका है।

हनुमान जनमोत्सव पर सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर रक्त चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं और मंदिर जाकर हनुमानजी को यह माला पहना दें और उनके समक्ष राम नाम का जप करें।

4. संकट नाश हेतु:

यदि निम्न स्तुति की हर पंक्ति के अंत में नमामि लगा कर पाठ करें तो यह हनुमानाष्टक के समान फल प्रदान करती है।

अतुलित बलधामं स्वर्ण शैलाभ देहं ।
दनुज वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।।
सकल गुण निधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रिय भक्तं वातजात नमामि।।

5. ग्रह शान्ति हेतु :

सवा मुठ्ठी साबुत उड़द एवं सिंदूर लगे एक नारियल पर मौली या कलेवा लपेटकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करें।

6. जो लोग अधिक पूजा पाठ नहीं कर पाते या कर सकते वे लोग श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से करें तो आने वाला वक्त बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है।

इसे हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें –

हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयंनास्ति रणे च विजयी भवेत्।।

7: हनुमान यन्त्र पूजन:

  हनुमान जी की प्रसन्नता और कृपा प्राप्ति के लिए हनुमान यन्त्र का भी पूजन किया जाता है।

जो लोग कमजोर मनोबल के हो, दिन रात सदैव डर लगता हो, डरावने सपने आते हों, या बार बार काम बदलते हों, कुंडली में उच्च या नीच का मंगल कष्टकारी हो उन्हें ये यन्त्र किसी योग्य ब्राह्मण से विधि पूर्वक सिद्ध करवा कर गले में ताबीज में डालकर पहनना चाहिए।

विशेष कार्य सिद्धि हेतु हनुमत बीसा यन्त्र को घर या दुकान में स्थापित करना चाहिए।

8. मंगल शांति

अग्नि तत्व वाले मंगल ग्रह का वक्री होना उन सभी लोगों के लिये कष्टकर हो सकता है जो की जन्मकुंडली अनुसार मंगली हैं, या उच्च नीच या पाप / कष्ट भावस्थ होने से परेशान हैं।
ऐसे में मंगल देव की शांति के लिये हनुमान जी की पूजा अर्चना और जप विशेष लाभदायी हैं।

जिनके घर में सदा क्लेश हो, क़र्ज़ बढ़ गए हों, तरक्की न होती हो या संतान गलत दिशा में भटक गयी हो अथवा रोज कोई न कोई अपशकुन होता हो उन्हें ताम्बे में बना ये यन्त्र विधि पूर्वक प्रतिष्ठित करवा कर अपने घर मे स्थापित करना चाहिए व् इसका नित्य पूजन करना चाहिए।

9. इनके अतिरिक्त
    सुंदरकांड
    हनुमान चालीसा
    हनुमानाष्टक
    बजरंग बाण
    हनुमान बाहुक अथवा
    शाबर मंत्रादि के यथाशक्ति पाठ और हवन से भी हनुमानजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवम कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।

Abhishek B. Pandey
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