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Friday 20 June 2014

The Ring of Goodluck, Success & Money / दुर्भाग्य दारिद्र नाशक गुडलक का छल्ला



दुर्भाग्य दरिद्र नाशक गुडलक का छल्ला

मित्रों,
      आज लोगों की सबसे बड़ी समस्या है पैसे की कमी और असफलता। कुछ लोग जीवन का कोई भी क्षेत्र हो असफल ही होते रहते है। पढाई, नौकरी , व्यापार, शादी। इस असफलता का दूसरा प्रभाव आता है व्यक्ति की कमाई पर की पहले तो कमाई बेहद कम, हो जाये तो खर्चे बहुत ज्यादा, बचत न के बराबर । ऐसा लगता जैसे दुःख दरिद्र और दुर्भाग्य हाथ धो के पीछे पड़े हैं।

  मित्रों आज आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रहा हूँ जो दुर्भाग्य और दरिद्र से न सिर्फ छुटकारा दिलाएगा बल्कि निश्चित रूप से सफलता और भी धन दिलवाएगा। इसमें थोडा खर्च जरुर है पर ये  प्राचीन प्रमाणिक और अतिशीघ्र फलदायी उपाय है।
मित्रों ऐसे छल्ले के बारे में पूर्व में भी फेसबुक पर कुछ पोस्टें आयी हैं परन्तु उनमे त्रिधातु का क्या अनुपात होगा क्या वजन होगा ऐसा कुछ स्पष्ट नहीं था और जिनमे था वो इतना कम था की प्रमाणिक नहीं लगता था। मैंने नेट पर भी खोजने की कोशिश की परन्तु कोई भी प्रमाणिक पोस्ट असली सिद्ध करने की विधि के साथ नहीं मिली।

अतः यहाँ सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर रहा हूँ।

इसके लिए सर्वप्रथम किसी शुभ दिवस पर सुनार से सोने चाँदी और ताम्बे का एक एक छल्ला बनवा लें।
सोने का छल्ला 0.8 ग्राम
चाँदी का छल्ला 0.6 ग्राम और
ताम्बे का छल्ला 0.5 ग्राम

यदि ये भी आपके लिए मुश्किल हो अर्थात इतनी भी सामर्थ्य न हो तो उपरोक्त के आधे वजन के बनवा लें तत्पश्चात सुनार से कहें की वो तीनो को मिला दे यानि एक दुसरे में मरोड़ या गूंथ के एक छल्ला बना दे। फिर उसी दिन या अन्य किसी शुभ  पर्व में इसकी प्रतिष्ठा निम्नानुसार करें।

होली ,दीपावली ,धनतेरस ,दशहरा ,अक्षय तृतीया ,मकर संक्रांति ,ग्रहण काल ,सोमवती या अन्य विशिष्ट अमावस्या और कोई भी पूर्णिमा ,गुरु या रवि पुष्य नक्षत्र , श्रावण मास के सोम या शुक्रवार, सर्वार्थ सिद्धि योग इसकी प्रतिष्ठा के लिए शुभ है। मुहूर्त स्वयं या पंडित जी से निकलवा ले।

सर्वप्रथम अपने गुरु मन्त्र का गुरु निर्देशानुसार या कम से कम एक माला जप करें। फिर श्री गनेश जी का पंचोपचार पूजन करें और उनसे प्रार्थना करें की आपका ये अनुष्ठान निर्विघ्न संपन्न हो। भगवान शिव की पूजा करे , शिवलिंग को
           
             ॐ नमः शिवाय

का अधिकाधिक जप करते हुए जल और फिर पंचामृत से और पुनः जल से स्नान कराए। फिर जप करते हुए ही चन्दन ,अक्षत ,तिल ,बेलपत्र ,धतुरा ,भांग, इत्र ,दूर्वा, नारियल आदि चढ़ाएं।

तत्पश्चात लिंग के साथ ही भगवन शिव की ही शक्ति माँ त्वरिता का एक मृद गुटिका बनाकर उसका पंचोपचार पूजन कर उसमे आह्वान और पूजन करें। जैसा नाम से ही स्पष्ट है त्वरिता अर्थात अतिशीघ्र फल देने वाली।
फिर उनके गायत्री मन्त्र का 3 माला जप करें
"ॐ त्वरितायै विद्महे नित्याये च धीमहि तन्नो महादेवी प्रचोदयात।"

इसके बाद भूमि पर एक अष्टदल निर्मित कर उसके ऊपर एक नया घड़ा स्थापित करें। घड़े में अक्षत कुमकुम चन्दन दूर्वा और थोडा जल डालें फिर उसे बाहर से चन्दन से पूर्ण रूप से लेपित कर दें। इसके बाद बनवाई हुई अंगूठी या छल्ला इसमें छोड़ दें और घट को एक लाल वस्त्र से लपेट कर चरों ओर से जल से स्नान कराएँ और फिर भीतर भी जल भर दें। इसके बाद नवग्रह मंत्रो का पाठ करते हुए कुमकुम ,चन्दन, केसर ,कपूर ,जायफल ,कंकोल ,अगुरु ,कूठ, इलायची ,तमाल का चूर्ण वच के रस के साथ मिलाकर घट में अर्पित करें।
इसके बाद सहदेवी ,अपामार्ग ,भृंगराज, मुसली ,विष्णुक्रान्ता और सप्तधान्य कलश में डालें। फिर चम्पक ,केतकी ,बेला ,अशोक, लाल कनेर के पुष्प महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए कलश में अर्पित करें। फिर आम गुलर पाकड़ पीपल और बरगद के पत्ते इसमें छोड़े।

फिर घट में माता महालक्ष्मी का आह्वान करें और महालक्ष्मी स्वरुप मान पूजन करें। महालक्ष्मी के साथ श्री नारायण का भी पूजन करें। रोली सिंदूर चन्दन अक्षत वस्त्र आदि अर्पण कर महालक्ष्मी मंत्र का
जप करें।
ध्यान:-
कान्त्या कांचनसन्निभाम हिमगिरि प्रख्यैश्च चतुर्भिर्गजैर्हस्तोतक्षिप्तहिरण्मयामृतघटैरा-
सिञ्चमानाम् श्रियम।
बिभ्राणां वरंब्जयुग्मभयम हस्तै: किरीटोज्ज्वलाम।
क्षौमबद्धनितम्बबिमलसितां वन्देअरविन्दस्थिताम।।

 फिर निम्न मन्त्र का 28 माला जप करें

इस मन्त्र के ब्रह्मा ऋषि, गायत्री छंद और जगत की आधारभूता महालक्ष्मी देवता हैं और उन्ही की प्रसन्नता के लिए इसका जप विनियोग किया जाता है।

मन्त्र:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं जगतप्रसूत्यै नमः।

पूर्ण मन्त्र से दोनों हाथों का न्यास करें बीजों से पांचो उँगलियों का फिर शेष से करतल पृष्ठ का न्यास करें। पांच बीजाक्षरों से ह्रदय का न्यास करें। बीजों से ही सर से पैर पर्यन्त न्यास करें और शेष से ह्रदय में धातु न्यास करें।

इसके बाद नैवेद्य रितुफ़लादि का भोग लगायें।

गिलोय और घी से 1008 आहुति देने से दीर्घायु प्राप्त होती है।

आक की घी तिल मिश्रित आहुति से आरोग्य प्राप्त होता है।

काली मिर्च जीरे को नारियल के जल में भिगो कर तिल घी गुड व् बेल के साथ आहुति देने पर अक्षय धन की प्राप्ति होती है।

इसके बाद आरती करे और ऐसी प्रार्थना व् कामना करें की माँ महालक्ष्मी आपके इस पूजन को स्वीकार कर अपनी कृपा शीघ्र बरसाएंगी।

आरती करे और फिर माँ को विदा करें।
इसके बाद कुम्भ के जल से घर के सभी सदस्यों पर छीटें मारे और घर के भीतर से बहार जाते हुए छीटें दें। इसप्रकार ये जल सभी लोगों की और घर की नकारात्मकता का तुरंत नाश करेगा।

गंभीर रोग पीड़ित को स्नान कराने से रोग मुक्ति होती है।

अल्पायु को आयु प्राप्त होती है।

बंध्या स्त्री इसके स्नान से पुत्रवती होती है।

गर्भवती या गर्भपात पीडिता को स्वस्थ संतान मिलती है गर्भस्थ शिशु की रक्षा होती है।

दुस्वप्न के दुष्फलो का नाश होता है।

बुरे फल देने वाले गृह नक्षत्र शांत हो जाते है।

कुकृत्या अभिचारादी तुरंत प्रभाव से निष्फल हो जाते हैं।

विषम ज्वर और विषादी नष्ट हो जाते है।

घर में नयी उर्जा का संचार होता है और शुभत्व की प्राप्ति होती है।

अंत में वो छल्ला निकाल कर महालक्ष्मी के उपरोक्त मन्त्र का जप करते हुए मध्यमा ऊँगली में धारण करें।

घट व् सामग्री को किसी नदी में प्रवाहित कर दें।

ये प्राणप्रतिष्ठित छल्ला धारण करने के पश्चात आप अपने जीवन घर व्यापर और सभी क्षेत्रों में आ रहा सकारात्मक बदलाव स्वयं महसूस करेंगे।

जहाँ जहाँ असफलता मिलती थी सफलता मिलने लगेगी। धन आयेगा और रुकेगा । अकारण या बुरे कामों में नष्ट नहीं होगा।
दुर्भाग्य का अंत हो सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

यदि ये सब आप स्वयं न कर सकें तो अपने पंडित या पुरोहित जी से भी करवा सकते हैं। अंत में उन्हें इच्छित दक्षिणा वस्त्र भोजन आदि अवश्य दें।

छल्ले के साथ साथ आप इसी रीती से कान की बाली या हाथ का कड़ा भी उपरोक्त वजन के गुणन में बनवा कर सिद्ध कर धारण कर सकते हैं।

कुछ लोगों को ये उपाय बहुत कठिन या लम्बा लग सकता है तो इतना पुनः बता दूँ की ये प्राचीन शास्त्रीय उपाय है । गूगल गुरु के चेले का टोटका नहीं। और बिना मेहनत कुछ नहीं मिलता।

अन्य किसी जानकारी या कुंडली विश्लेषण समस्या समाधान हेतु संपर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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