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Monday 25 May 2020

बड़ा मंगल 2020

बड़े मंगल की शुभकामनाएं

मनोकामना पूर्ति मन्त्र
( रक्षाहेतु, रोग, ऋण, शत्रु, भय निवारण हेतु)

महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते।
हारिणे वज्र देहायचोलंग्घितमहाव्यये।।
ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकराय रामदूताय स्वाहा
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा।

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।।जय श्री राम।।

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Wednesday 6 May 2020

Gorakhnath & kitna jayant 2020i special गोरखनाथ एवं कूर्म जयंती 2020 विशेष

श्री विष्णु स्वरूप कूर्म एवं बुद्ध जयंती तथा
शिव स्वरूप बाबा गोरखनाथ जयंती की शुभकामनाएं

रोग एवं तंत्र मंत्र निवारण मन्त्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा

कूर्म जयंती महत्व

जिस दिन भगवान विष्णु जी ने कूर्म का रूप धारण किया था उसी तिथि को कूर्म जयंती के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों नें इस दिन की बहुत महत्ता मानी गई है. इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू किया जाना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि योगमाया स्वरूपा बगलामुखी स्तम्भित शक्ति के साथ कूर्म में निवास करती है. कूर्म जयंती के अवसर पर वास्तु दोष दूर किए ज सकते हैं, नया घर भूमि आदि के पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय होता है तथा बुरे वास्तु को शुभ में बदला जा सकता है.

श्री कूर्म भगवान मन्त्र

ॐ श्रीं कूर्माय नम:।

श्री कूर्म भगवान के कुछ सरल प्रयोग

1) महावास्तु दोष निवारक मंत्र
दुर्भाग्य बश यदि आपका पूरा मकान निवास स्थान या फ्लेट ही वास्तु विरुद्ध बन गया हो और आप किसी भी हालत में उसमें सुधार नहीं कर सकते
तो केवल महावास्तु मंत्र का जाप एवं कूर्म देवता की पूजा करनी चाहिए जिसका विधान है कि

सबसे पहले लाल चन्दन और केसर कुमकुम मिला कर एक पवित्र स्थान पर कछुए की आकृति बना लेँ
कछुए के मुख की ओर सूर्य तथा पूछ की ओर चन्द्रमा बना लेँ
सुबिधानुसार आप धातु का बना कछुआ भी पूजन हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं
फिर धूप दीप फल ओर गंगाजल या समुद्र का जल अर्पित करें
भूमि पर ही आसन बिछ कर रुद्राक्ष माला से 11 माला मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ ह्रीं कूर्माय वास्तु पुरुषाय स्वाहा

जाप पूरा होने के बाद घर अथवा निवास स्थान के चारों ओर एक एक कछुए का छोटा निशान बना दें
ऐसा करने से पूरी तरह वास्तु दोष से ग्रसित घर भी दोष मुक्त हो जाता है दिशाएं नकारात्मक प्रभाव नहीं दे पाती उर्जा परिवर्तित हो जाती है

2)वास्तु दोष निवारक महायंत्र
यदि आप ऐसी हालत में भी नहीं हैं कि पूजा पाठ या मंत्र का जाप कर सकें और आप नकारात्मक वास्तु के कारण बेहद परेशान है
घर दूकान या आफिस को बिना तोड़े फोड़े सुधारना चाहते हैं तो उसका दिव्य उपाय है महायंत्र
वास्तु का तीब्र प्रभावी यन्त्र
----------------------------------
121 177 944
----------------------------------
533 291 311
----------------------------------
657 111 312
----------------------------------
यन्त्र को आप सादे कागज़ भोजपत्र या ताम्बे चाँदी अष्टधातु पर बनवा सकते हैं
यन्त्र के बन जाने पर यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए
प्राण प्रतिष्ठा के लिए पुष्प धूप दीप अक्षत आदि ले कर यन्त्र को अर्पित करें
पंचामृत से सनान कराते हुये या छींटे देते हुये 21 बार मंत्र का उच्चारण करें

मंत्र-ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:

अब पीले रंग या भगवे रंग के वस्त्र में लपेट कर इस यन्त्र को घर दूकान या कार्यालय में स्थापित कर दीजिये

पुष्प माला अवश्य अर्पित करें
इस प्रयोग से शीघ्र ही वास्तु दोष हट जाएगा

3) तनाव मुक्ति हेतु

चांदी के गिलास बर्तन या पात्र पर कछुए का चिन्ह बना कर भोजन करने व पानी पीने से भारी से भारी तनाब नष्ट होता है ।

4) उत्तम स्वास्थ्य हेतु

चार पायी बेड अथवा शयन कक्ष में धातु का कूर्म अर्थात कछुआ रखने से गहरी और सुखद निद्रा आती है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है ।

रसोई घर में कूर्म की स्थापना करने से वहां पकने वाला भोजन रोगमुक्ति के गुण लिए भक्त को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है ।

5) कूर्म श्री यन्त्र

कछुवे की पीठ पर श्री यन्त्र समतल अथवा पिरामिड आकार में प्रायः देखने को मिल जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से जहां ये काम, क्रोध, लोभ, मोह का शमन कर कुंडली जागरण द्वारा मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। वहीं दूसरी ओर भौतिक सुखों की छह रखने वालों के लिए ये स्थिर लक्ष्मी, सम्पदा, सौख्य और विजय देने का भी प्रतीक माना जाता है।

6) नए भवन निर्माण में समृद्धि हेतु

यदि नया भवन बना रहे हैं तो आधार में चाँदी का कछुआ ड़ाल देने से घर में रहने वाला परिवार खूब फलता-फूलता है ।

7) शिक्षा में स्थिर चित्त हेतु

बच्चों को विद्या लाभ व राजकीय लाभ मिले इसके लिए उनसे कूर्म की उपासना करवानी चाहिए तथा मिटटी के कछुए उनके कक्ष में स्थापित करें ।

8) विवाद विजय में

यदि आपका घर किसी विवाद में पड़ गया हो या घर का संपत्ति का विवाद कोर्ट कचहरी तक पहुँच गया हो तो लोहे का कूर्म बना कर शनि मंदिर में दान करना चाहिए ।

9) शत्रु मुक्ति

घर की छत में कूर्म की स्थापना से शत्रु नाश होता है उनपर विजय मिलती है।

10)भूमि दोष नाशक मंत्र उपाय

यदि आपका घर या जमीन ऐसी जगह है जहाँ भूमि में ही दोष है
आपका घर किसी श्मशान भूमि ,कब्रगाह ,दुर्घटना स्थल या युद्ध भूमि पर बना है या कोई अशुभ साया या जमीनी अशुभ तत्व स्थान में समाहित हों
जिस कारण सदा भय कलह हानि रोग तानाब बना रहता हो तो जमीन में मिटटी के कूर्म की स्थापना करनी चाहिए
एक मिटटी का कछुआ ले कर उसका पूजन करें
पूजन के लिए घर के ब्रह्मस्थल में भूमि पर लाल वस्त्र बिछा लेँ
फिर गंगाजल से स्नान करवा कर कुमकुम से तिलक करें
पंचोपचार पूजा करें अर्थात धूप दीप जल वस्त्र फल अर्पित करें चने का प्रसाद बनाये व बांटे

7 माला मंत्र जाप पूर्व दिशा की और मुख रख कर करें

मंत्र-ॐ आधार पुरुषाय जाग्रय-जाग्रय तर्पयामि स्वाहा।

साथ ही एक माला पूरी होने पर एक बार कछुए पर पानी छिड़कें

संध्या के समय भूमि में तीन फिट गढ्ढा कर गाड़ दें
समस्त भूमि दोष दूर होंगे

11) अदृश्य शक्ति नाशक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके घर में कोई अदृश्य शक्ति है ,किसी तरह की कोई बाधा है तो कूर्म की पूजा कर उसे मौली बाँध दें ,लाल कपडे में बंद कर धूप दीप करें , निम्न मन्त्र का 11 माला जप करें

मंत्र-ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय ।

रात के समय इसे द्वार पर रखे तथा सुबह नदी में प्रवाहित कर दें
इससे घर में शीघ्र शांति हो जायेगी।

12)भूमि भवन सुख दायक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके पास ही घर क्यों नहीं है? आपके पास ही संपत्ति क्यों नहीं है?
क्या इतनी बड़ी दुनिया में आपको थोड़ी सी जगह मिलेगी भी या नहीं ? तो इसके लिए केवल कूर्म स्वरुप विष्णु जी की पूजा कीजिये

विष्णु जी की प्रतिमा के सामने कूर्म की प्रतिमा रखें या कागज पर बना कर स्थापित करें
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें
भगवान् को पीले फल व पीले वस्त्र चढ़ाएं
तुलसी दल कूर्म पर रखें और पुष्प अर्पित कर भगवान् की आरती करें
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूर्म को ले जा कर किसी अलमारी आदि में छुपा कर रख लेँ
इस प्रयोग से भूमि संपत्ति भवन के योग रहित जातक को भी इनका सुख प्राप्त होता है।

13) वास्तु स्थापन प्रयोग
यदि आपका दरवाजा खिड़की कमरा रसोई घर सही दिशा में नहीं हैं तो उनको तोड़ने की बजाये
उनपर कछुए का निशान इस तरह से बनाये कि कछुए का मुख नीचे जमीन की ओर हो और पूंछ आकाश की ओर
ये प्रयोग शाम को गोधुली की बेला में करना चाहिए
कछुए को रक्त चन्दन ,कुमकुम ,केसर के मिश्रण से बनी स्याही से बनाएं।
कछुए का निर्माण करते समय मानसिक मंत्र का जाप करते रहें
मंत्र-ॐ कूर्मासनाय नम:
कछुया बन जाने पर धूप दीप कर गंगा जल के छीटे दें
और धूप दिखाएँ।
इस तरह प्रयोग करने से गलत दिशा में बने द्वार खिड़की कक्ष आदि को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती ऐसा विद्वानों का कथन है।

14) व्यापार वृद्धि हेतु

अष्टधातु या चाँदी से निर्मित कूर्म विधिवत पूजन कर अपने कैश काउंटर या मेज पर इस प्रकार रखें की उसका मुख बाहर प्रवेश द्वार की ओर रहे। आने जाने वाले सभी लोगों की नज़र उस पर पड़े।

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Tuesday 5 May 2020

नरसिंह एवं छिन्नमस्ता जयंती 2020 विशेष शाबर मंत्र

श्री नरसिंह एवं माँ छिन्नमस्ता जयंती की शुभकामनाएं

छिन्नमस्ता गायत्री मंत्र:-

ॐ वैरोचनीयै च विदमहे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

 छिन्नमस्ता शाबर मन्त्र:-

सत का धर्म सत की काया, ब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छिन्नमस्ता, चन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवी, त्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरी, तन का मुन्डा हाथ में लिन्हा, दाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्त, बरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजाली, श्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छाया, प्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डी, चण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठी, श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जाप, पाप कन्टन्ते आपो आप, जो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।

मंत्र  श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।

****श्री नरसिंह****

 नरसिंह गायत्री:-

ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||

नृसिंह शाबर मन्त्र :-

ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय
,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों
क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी
क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं
हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय
ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम
ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय २ शाकिनिं प्रच्छादय २ भूतं
प्रच्छादय २ प्रेतं प्रच्छादय २ ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम
प्रच्छादय २ राक्षसं प्रच्छादय २ सिन्हिनी पुत्रं
प्रच्छादय २ अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी
ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत
प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी
ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु
की शक्ति स्फ़ुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ll

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Friday 1 May 2020

Janki navmi 2020 Sita ashtottarshatnam जानकी नवमी 2020 सीता अष्टोत्तरशतनाम

जानकी नवमी की शुभकामनाएं

यह त्योहार माता जानकी के जन्म से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि जानकी नवमी के दिन राजा जनक को माता सीता मिली थीं. कुछ स्थानों पर जानकी नवमी को ही सीता नवमी भी कहा जाता है.

इस बार जानकी नवमी का मुहूर्त

प्रातः काल 10:58 से दोपहर 01:38 मिनट तक

जानकी नवमी पूजा से लाभ

- ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त जानकी नवमी के दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

- जिन लोगों के जीवन में सुख और शांति की कमी होती है उन्हें भी जानकी नवमी के दिन व्रत रखने के लिए कहा जाता है.

सीता अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र

ध्यानम् ॥

वामाङ्गे रघुनायकस्य रुचिरे या संस्थिता शोभना
या विप्राधिप यान रम्य नयना या विप्रपालानना ।
विद्युत्पुञ्ज विराजमान वसना भक्तार्ति सङ्खण्डना
श्रीमद् राघव पादपद्मयुगळ न्यस्तेक्षणा सावतु ॥

श्री सीता जानकी देवी वैदेही राघवप्रिया ।
रमावनिसुता रामा राक्षसान्त प्रकारिणी ॥ १
रत्नगुप्ता मातुलिङ्गी मैथिली भक्ततोषदा ।
पद्माक्षजा कञ्जनेत्रा स्मितास्या नूपुरस्वना ॥ २
वैकुण्ठनिलया मा श्रीः मुक्तिदा कामपूरणी ।
नृपात्मजा हेमवर्णा मृदुलाङ्गी सुभाषिणी ॥ ३
कुशाम्बिका दिव्यदाच लवमाता मनोहरा ।
हनूमद् वन्दितपदा मुग्धा केयूर धारिणी ॥ ४
अशोकवन मध्यस्था रावणादिग मोहिनी ।
विमानसंस्थिता सुभ्रू सुकेशी रशनान्विता ॥ ५
रजोरूपा सत्वरूपा तामसी वह्निवसिनी ।
हेममृगासक्त चित्ता वाल्मीकाश्रम वासिनी ॥ ६
पतिव्रता महामाया पीतकौशेय वासिनी ।
मृगनेत्रा च बिम्बोष्ठी धनुर्विद्या विशारदा ॥ ७
सौम्यरूपा दशरथस्नुषा चामर वीजिता ।
सुमेधा दुहिता दिव्यरूपा त्रैलोक्यपालिनि ॥ ८
अन्नपूर्णा महालक्ष्मीः धीर्लज्जा च सरस्वती ।
शान्तिः पुष्टिः शमा गौरी प्रभायोध्या निवासिनी ॥ ९
वसन्तशीलता गौरी स्नान सन्तुष्ट मानसा ।
रमानाम भद्रसंस्था हेमकुम्भ पयोधरा ॥ १०
सुरार्चिता धृतिः कान्तिः स्मृतिर्मेधा विभावरी ।
लघूदरा वरारोहा हेमकङ्कण मण्डिता ॥ ११
द्विज पत्न्यर्पित निजभूषा राघव तोषिणी ।
श्रीराम सेवन रता रत्न ताटङ्क धारिणी ॥ १२
रामावामाङ्ग संस्था च रामचन्द्रैक रञ्जिनी ।
सरयूजल सङ्क्रीडा कारिणी राममोहिनी ॥ १३
सुवर्ण तुलिता पुण्या पुण्यकीर्तिः कलावती ।
कलकण्ठा कम्बुकण्ठा रम्भोरूर्गजगामिनी ॥ १४
रामार्पितमना रामवन्दिता रामवल्लभा ।
श्रीरामपद चिह्नाङ्गा राम रामेति भाषिणी ॥ १५
रामपर्यङ्क शयना रामाङ्घ्रि क्षालिणी वरा ।
कामधेन्वन्न सन्तुष्टा मातुलिङ्ग कराधृता ॥ १६
दिव्यचन्दन संस्था श्री मूलकासुर मर्दिनी ।
एवं अष्टोत्तरशतं सीतानाम्नां सुपुण्यदम् ॥ १७
ये पठन्ति नरा भूम्यां ते धन्याः स्वर्गगामिनः ।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां सीतायाः स्तोत्रमुत्तमम् ॥ १८
जपनीयं प्रयत्नेन सर्वदा भक्ति पूर्वकं ।
सन्ति स्तोत्राण्यनेका नि पुण्यदानि महान्ति च ॥ १९
नानेन सदृशानीह तानि सर्वाणि भूसुर ।
स्तोत्राणामुत्तमं चेदं भुक्ति मुक्ति प्रदं नृणाम् ॥ २०
एवं सुतीष्ण ते प्रोक्तं अष्टोत्तरशतं शुभं ।
सीतानाम्नां पुण्यदञ्च श्रवणान् मङ्गळ प्रदम् ॥ २१
नरैः प्रातः समुत्थाय पठितव्यं प्रयत्नतः ।
सीता पूजन कालेपि सर्व वाञ्छितदायकम् ॥ २२

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Bagulamukhi jayanti 2020 बगुलामुखी जयंती 2020

बगुलामुखी जयंती की शुभकामनाएं

बगलामुखी माला मन्त्र

ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजयभगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां मुद्रय मुद्रय बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपरबुद्धिं कुरु कुरु आत्मविरोधिनां शत्रुणां शिरो ललाटं मुखं नेत्र कर्ण नासिकोरु पद अणुरेणु दन्तोष्ठ जिह्वा तालु गुह्य गुदा कटि जानू सर्वांगेषु केशादिपादान्तं पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय, खें खीं मारय मारय, परमन्त्र परयन्त्र परतन्त्राणि छेदय छेदय, आत्ममन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर, दारिद्रयं निवारय निवारय, सर्वमन्त्रस्वरूपिणी, दुष्टग्रह भूतग्रह पाषाणग्रह सर्व चाण्डालग्रह यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह भूतप्रेतपिशाचानां शाकिनी डाकिनीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय, वार्तालि मां रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय, किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय , स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष,  उत्तरदिशां बन्धय बन्धय, भद्रकालि मां रक्ष रक्ष, ऊर्ध्वदिशां बन्धय-बन्धय, उग्रकालि मां रक्ष रक्ष, पातालदिशां बन्धय बन्धय , बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकलरोगान् विनाशय विनाशय, शत्रू पलायनाम पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्वपचम कुरु कुरु , शत्रून् दह दह, पच पच, स्तम्भय स्तम्भय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय, ह्लीं फट् स्वाहा।

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