Translate

Thursday 30 March 2017

Importance of Guru - Tulsidas गुरु के महत्व पर तुलसीदासजी का कथन

गोस्वामी तुलसीदासजी ने व्यक्ति के जीवन में सद्गुरु का महत्व बताते हुए बड़े रोचक और रहस्यपूर्ण यानि पहेली की तरह बात कही है -

" रवि पंचक जाके नहीं , ताहि चतुर्थी नाहिं।
तेहि सप्तक घेरे रहे , कबहुँ तृतीया नाहिं।।"

गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं कि जिसको रवि पंचक नहीं है , उसको चतुर्थी नहीं आयेगी। उसको सप्तक घेरकर रखेगा और उसके जीवन में तृतीया नहीं आयेगी। मतलब क्या हुआ ? रवि -पंचक का अर्थ होता है - रवि से पाँचवाँ यानि गुरुवार ( रवि , सोम , मंगल , बुद्ध , गुरु ) अर्थात् जिनको गुरु नहीं है , तो सन्त सद्गुरु के अभाव में उसको चतुर्थी नहीं होगी।चतुर्थी यानी बुध ( रवि , सोम , मंगल, बुध ) अर्थात् सुबुद्धि नहीं आयेगी। सुबुद्धि नहीं होने के कारण वह सन्मार्ग पर चल नहीं सकता है। सन्मार्ग पर नहीं चलनेवाले का परिणाम क्या होगा ? ' तेहि सप्तक घेरे रहे ' सप्तक क्या होता है ? शनि ( रवि , सोम मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि ) अर्थात् उसको शनि घेरकर रखेगा और ' कबहुँ तृतीया नाहिं।' तृतीया यानी मंगल ( रवि , सोम , मंगल )। उसके जीवन में मंगल नहीं आवेगा । इसलिए अपने जीवन में मंगल चाहते हो , तो संत सद्गुरु की शरण में जाओ ।

।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616(whats app)

No comments:

Post a Comment