आज विशेष भौमाश्विनी योग
दोस्तों
वैसे तो ये योग साल में एक दो बार मिल जाता है लेकिन आज का ये योग विशिष्ट है क्योंकि आज वैकुंठ चतुर्दशी भी है।
दुर्गा सप्तशती के देवी अथर्वशीर्ष में वर्णित है कि इस योग में देवी अथर्वशीर्ष का पाठ करने वाला महामृत्यु से भी तर जाता है, लेकिन उससे पहले लिखा है कि निशीथ काल में पढ़ने से वाकसिद्धि प्राप्त होती है, इससे देवी का समीप्य प्राप्त होता है।
हरिहर मिलन के दिन में अगर देवी का भी मिलन हो जाए तो उससे उत्तम क्या हो सकता है।
निशीथे तुरीयसन्ध्यायां जप्त्वा वाक्सिद्धिर्भवति । नूतनायां प्रतिमायां जप्त्वा देवतासांनिध्यं भवति । प्राणप्रतिष्ठायां जप्त्वा प्राणानां प्रतिष्ठा भवति । भौमाश्विन्यां महादेवीसंनिधौ जप्त्वा महामृत्युं तरति । स महामृत्युं तरति य एवं वेद । इत्युपनिषत् ।।
कब करें और क्या करें
पुष्प धूप दीप से पूजन कर
समय
1. शाम 7:10 से 8:40
2., रात 10:30 से 1:30
संभव हो और उपलब्ध हो तो निम्न चारों अथर्वशीर्ष का पाठ करें अन्यथा देवी अथर्वशीर्ष के साथ बाकी के मूल मंत्र जप करें या फिर सभी के मूल मंत्र जप करें।
1. गणपति अथर्वशीर्ष 1 पाठ
मूल मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः - 1 माला
https://www.facebook.com/share/p/16vadGCfMU/
2: शिव अथर्वशीर्ष 2 पाठ
मूल मंत्र : ॐ नमः शिवाय - 2 माला
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3. देवी अथर्वशीर्ष 11 पाठ
मूल मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै -11 माला
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4: नारायण अथर्वशीर्ष 2 पाठ
मूल मंत्र: ॐ नमो नारायणाय 2 माला
https://www.facebook.com/share/p/1FU1noC4mT/
।।जय श्री राम।।
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