Translate

Friday, 28 April 2023

जानकी नवमी 2023

सीता नवमी की शुभकामनाएं 

श्रीजानकीस्तोत्रम् 

नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम् ।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्  ॥ १॥

जिनके नील कमल-दल के सदृश नेत्र हैं, जिन्हें श्रीराम की भुजा
का ही अवलंबन है, जो प्रज्वलित अग्नि में अपनी पवित्रता की परीक्षा देना
चाहती हैं, उन रामप्रिया श्री सीता माता का मैं मन-ही-मन में ध्यान
(भावना) करता हूम् । १

रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम् ।
ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम् ॥ २॥

श्रीरामजी के चरणों की ओर निश्चल रूप से जिनके नेत्र लगे हुए हैं,
जिन्होंने अपनी अङ्गकान्ति से सुवर्ण को मात कर दिया है । तथा ताटका
के वैरी श्रीरामजी के (द्वारा दुष्टों के प्रति कहे गए) कटु वचनों से
जो घबराई हुई हैं, उन श्रीरामजी की प्रेयसी श्री सीता मां की मन में
भावना करता हूम् । २

कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्रग-सुधाकरद्युतिम् ।
वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम् ॥ ३॥

जो लज्जा से हतप्रभ हुईं अपने उस मुख को, जिनके कपोल उनके बिथुरे
हुए बालों से उसी प्रकार आवृत हैं, जैसे चन्द्रमा राहु द्वारा ग्रसे
जाने पर अंधकार से आवृत हो जाता है, वस्त्र से ढंक रही हैं,
उन राम-पत्नी सीताजी का मन में ध्यान करता हूं । ३

कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम् ।
तद्दहाङ्गमिति पावकं यती भावये मनसि रामवल्लभाम् ॥ ४॥

जो मन-ही-मन यह कहती हुई कि यदि मैंने श्रीरघुनाथ के अतिरिक्त
किसी और को अपने शरीर, वाणी अथवा मन में कभी स्थान दिया हो तो हे
अग्ने ! मेरे शरीर को जला दो अग्नि में प्रवेश कर गईं, उन रामजी की
प्राणप्रिय सीताजी का मन में ध्यान करता हूम् । ४

इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकैः सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि ।
पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घकिं भावये मनसि रामवल्लभाम् ॥ ५॥

उत्तम विमानों में बैठे हुए इन्द्र, रुद्र, कुबेर और वरुण द्वारा
पुष्पवृष्टि के अनंतर जिनके चरणों की भली-भांति स्तुति की गई है,
उन श्रीराम की प्यारी पत्नी सीता माता की मन में भावना करता हूम् । ५

सञ्चयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम् ।
तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम् ॥ ६॥

(अग्नि-शुद्धि के समय) विमानों में बैठे हुए देवगण विस्मयाविष्ट
चित्त से जिनकी ओर देख रहे थे और जो अपने तेज से दसों दिशाओं को
आच्छादित कर रही थीं, उन रामवल्लभा श्री सीता मां की मैं मन में
भावना करता हूम् । ६

मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रभु श्रीराम एवं माता सीता का
विधि-विधान से पूजन करता है, उसे १६ महान दानों का फल, पृथ्वी
दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है । इसके
साथ ही जानकी स्तोत्र का पाठ नियमित करने से मनुष्य के सभी कष्टों
का नाश होता है । इसके पाठ से माता सीता प्रसन्न होकर धन-ऐश्वर्य
की प्राप्ति कराती है । ७

इति जानकीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

इस स्तोत्र का पाठ करने से लक्ष्मीस्वरूपा माता जानकी की कृपा प्राप्त होती है और अन्न धन की कभी कमी नहीं होती।

।।जय श्री राम।।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क करें
8909521616
7579400465

No comments:

Post a Comment