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Friday 1 May 2020

Janki navmi 2020 Sita ashtottarshatnam जानकी नवमी 2020 सीता अष्टोत्तरशतनाम

जानकी नवमी की शुभकामनाएं

यह त्योहार माता जानकी के जन्म से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि जानकी नवमी के दिन राजा जनक को माता सीता मिली थीं. कुछ स्थानों पर जानकी नवमी को ही सीता नवमी भी कहा जाता है.

इस बार जानकी नवमी का मुहूर्त

प्रातः काल 10:58 से दोपहर 01:38 मिनट तक

जानकी नवमी पूजा से लाभ

- ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त जानकी नवमी के दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

- जिन लोगों के जीवन में सुख और शांति की कमी होती है उन्हें भी जानकी नवमी के दिन व्रत रखने के लिए कहा जाता है.

सीता अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र

ध्यानम् ॥

वामाङ्गे रघुनायकस्य रुचिरे या संस्थिता शोभना
या विप्राधिप यान रम्य नयना या विप्रपालानना ।
विद्युत्पुञ्ज विराजमान वसना भक्तार्ति सङ्खण्डना
श्रीमद् राघव पादपद्मयुगळ न्यस्तेक्षणा सावतु ॥

श्री सीता जानकी देवी वैदेही राघवप्रिया ।
रमावनिसुता रामा राक्षसान्त प्रकारिणी ॥ १
रत्नगुप्ता मातुलिङ्गी मैथिली भक्ततोषदा ।
पद्माक्षजा कञ्जनेत्रा स्मितास्या नूपुरस्वना ॥ २
वैकुण्ठनिलया मा श्रीः मुक्तिदा कामपूरणी ।
नृपात्मजा हेमवर्णा मृदुलाङ्गी सुभाषिणी ॥ ३
कुशाम्बिका दिव्यदाच लवमाता मनोहरा ।
हनूमद् वन्दितपदा मुग्धा केयूर धारिणी ॥ ४
अशोकवन मध्यस्था रावणादिग मोहिनी ।
विमानसंस्थिता सुभ्रू सुकेशी रशनान्विता ॥ ५
रजोरूपा सत्वरूपा तामसी वह्निवसिनी ।
हेममृगासक्त चित्ता वाल्मीकाश्रम वासिनी ॥ ६
पतिव्रता महामाया पीतकौशेय वासिनी ।
मृगनेत्रा च बिम्बोष्ठी धनुर्विद्या विशारदा ॥ ७
सौम्यरूपा दशरथस्नुषा चामर वीजिता ।
सुमेधा दुहिता दिव्यरूपा त्रैलोक्यपालिनि ॥ ८
अन्नपूर्णा महालक्ष्मीः धीर्लज्जा च सरस्वती ।
शान्तिः पुष्टिः शमा गौरी प्रभायोध्या निवासिनी ॥ ९
वसन्तशीलता गौरी स्नान सन्तुष्ट मानसा ।
रमानाम भद्रसंस्था हेमकुम्भ पयोधरा ॥ १०
सुरार्चिता धृतिः कान्तिः स्मृतिर्मेधा विभावरी ।
लघूदरा वरारोहा हेमकङ्कण मण्डिता ॥ ११
द्विज पत्न्यर्पित निजभूषा राघव तोषिणी ।
श्रीराम सेवन रता रत्न ताटङ्क धारिणी ॥ १२
रामावामाङ्ग संस्था च रामचन्द्रैक रञ्जिनी ।
सरयूजल सङ्क्रीडा कारिणी राममोहिनी ॥ १३
सुवर्ण तुलिता पुण्या पुण्यकीर्तिः कलावती ।
कलकण्ठा कम्बुकण्ठा रम्भोरूर्गजगामिनी ॥ १४
रामार्पितमना रामवन्दिता रामवल्लभा ।
श्रीरामपद चिह्नाङ्गा राम रामेति भाषिणी ॥ १५
रामपर्यङ्क शयना रामाङ्घ्रि क्षालिणी वरा ।
कामधेन्वन्न सन्तुष्टा मातुलिङ्ग कराधृता ॥ १६
दिव्यचन्दन संस्था श्री मूलकासुर मर्दिनी ।
एवं अष्टोत्तरशतं सीतानाम्नां सुपुण्यदम् ॥ १७
ये पठन्ति नरा भूम्यां ते धन्याः स्वर्गगामिनः ।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां सीतायाः स्तोत्रमुत्तमम् ॥ १८
जपनीयं प्रयत्नेन सर्वदा भक्ति पूर्वकं ।
सन्ति स्तोत्राण्यनेका नि पुण्यदानि महान्ति च ॥ १९
नानेन सदृशानीह तानि सर्वाणि भूसुर ।
स्तोत्राणामुत्तमं चेदं भुक्ति मुक्ति प्रदं नृणाम् ॥ २०
एवं सुतीष्ण ते प्रोक्तं अष्टोत्तरशतं शुभं ।
सीतानाम्नां पुण्यदञ्च श्रवणान् मङ्गळ प्रदम् ॥ २१
नरैः प्रातः समुत्थाय पठितव्यं प्रयत्नतः ।
सीता पूजन कालेपि सर्व वाञ्छितदायकम् ॥ २२

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।।जय श्री राम।।

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