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Tuesday 15 March 2016

Yagya healing therapy यज्ञ से रोग चिकित्सा

यज्ञ से विभिन्न रोगों की चिकित्सा

यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ साधन है | यह
वायुमंडल को शुद्ध रखता है | वर्षा होकर धनधान्य
की आपूर्ति होती है | इससे वातावरण शुद्ध व रोग रहित
होता है |एक ऐसी ओषध है जो सुगंध भी देती है,
पुष्टि भी देती है तथा वातावरण को रोगमुक्त रहता है | इसे
करने वाला व्यक्ति सदा रोग मुक्त व प्रसन्नचित रहता है |
इतना होने पर भी कभी कभी मानव किन्ही संक्रमित रोगाणुओं के
आक्रमण से रोग ग्रसित हो जाता है | इस रोग से छुटकारा पाने
के लिए उसे अनेक प्रकार की दवा लेनी होती है | हवन यज्ञ
जो बिना किसी कष्ट व् पीड़ा के रोग के रोगाणुओं को नष्ट कर
मानव को शीघ्र निरोग करने की क्षमता रखते हैं |
साथ
यज्ञ किया जावे तो निश्चत ही लाभ होगा |

कैंसर नाशक हवन

गुलर के फूल, अशोक की छाल, अर्जन की छाल, लोध, माजूफल,
दारुहल्दी, हल्दी, खोपारा, तिल, जो , चिकनी सुपारी,
शतावर , काकजंघा, मोचरस, खस, म्न्जीष्ठ, अनारदाना, सफेद
चन्दन, लाल चन्दन, ,गंधा विरोजा, नारवी ,जामुन के पत्ते,
धाय के पत्ते, सब को सामान मात्रा में लेकर चूर्ण करें तथा इस
में दस गुना शक्कर व एक गुना केसर दिन में तीन बार हवन करें |

संधि गत ज्वर ( जोड़ों का दर्द )

संभालू ( निर्गुन्डी ) के पत्ते , गुग्गल, सफ़ेद सरसों, नीम के
पत्ते, गुग्गल, सफ़ेद सरसों, नीम के पत्ते, रल आदि का संभाग
लेकर चूरन करें , घी मिश्रित धुनी दें, हवं करीं

निमोनियां नाशक

पोहकर मूल, वाच, लोभान, गुग्गल, अधुसा, सब को संभाग ले
चूरन कर घी सहित हवं करें व धुनी दें |

जुकाम नाशक

खुरासानी अजवायन, जटामासी , पश्मीना कागज, लाला बुरा ,सब
को संभाग ले घी सचूर्ण कर हित हवं करें व धुनी दें |

पीनस ( बिगाड़ा हुआ जुकाम )

बरगद के पत्ते, तुलसी के पत्ते, नीम के पत्ते, वा|य्वडिंग,सहजने
की छाल , सब को संभाग ले चूरन कर इस में धुप
का चुरा मिलाकर हवं कारें व धुनी दें

श्वास - कास नाशक

बरगद के पत्ते, तुलसी के पत्ते, वच, पोहकर मूल, अडूसा -
पत्र, सब का संभाग कर्ण लेकर घी सहित हवं कर धुनी दें |

सर दर्द नाशक

काले तिल और वाय्वडिंग चूरन संभाग ले कर घी सहित हवं करने
से व धुनी देने से लाभ होगा |

चेचक नाशक - खसरा

गुग्गल, लोभान, नीम के पत्ते, गंधक , कपूर, काले तिल,
वाय्वासिंग , सब का संभाग चूरन लेकर घी सहित हवं करें व
धुनी दें

जिह्वा तालू रोग नाशक

मुलहठी, देवदारु, गंधा विरोजा, राल, गुग्गल, पीपल, कुलंजन,
कपूर और लोभान सब को संभाग ले घी सहित हवं करीं व धुनी दें
|
टायफायड :

यह एक मौसमी व भयानक रोग होता है | इस रोग के कारण
इससे यथा समय उपचार न होने से रोगी अत्यंत कमजोर
हो जाता है तथा समय पर निदान न होने से मृत्यु
भी हो सकती है | उपर्वर्णित ग्रन्थों के आधार पर यदि ऐसे
रोगी के पास नीम , चिरायता , पितपापदा , त्रिफला ,
आदि जड़ी बूटियों को समभाग लेकर इन से हवन किया जावे
तथा इन का धुआं रोगी को दिया जावे तो लाभ होगा |

ज्वर :

ज्वर भी व्यक्ति को अति परेशान करता है किन्तु
जो व्यक्ति प्रतिदिन यग्य करता है , उसे ज्वर नहीं होता |
ज्वर आने की अवास्था में अजवायन से यज्ञ करें तथा इस
की धुनी रोगी को दें | लाभ होगा |

नजला, , सिरदर्द जुकाम

यह मानव को अत्यंत परेशान करता है | इससे श्रवण शक्ति ,
आँख की शक्ति कमजोर हो जाते हैं तथा सर के बाल सफ़ेद होने
लगते हैं | लम्बे समय तक यह रोग रहने
पर इससे तायिफायीद या दमा आदि भयानक रोग भी हो सकते हैं
| इन के निदान के लिए मुनका से हवन करें तथा इस
की धुनी रोगी को देने से लाभ होता है |

नेत्र ज्योति

नेत्र ज्योति बढ़ाने का भी हवन एक उत्तम साधन है | इस के
लिए हवन में शहद की आहुति देना लाभकारी है | शहद का धुआं
आँखों की रौशनी को बढ़ता है

मस्तिष्क को बल

मस्तिष्क की कमजोरी मनुष्य को भ्रांत बना देती है | इसे दूर
करने के लिए शहद तथा सफ़ेद चन्दन से यग्य करना चाहिए
तथा इस का धुन देना उपयोगी होता है |

वातरोग

: वातरोग में जकड़ा व्यक्ति जीवन से निराश हो जाता है | इस
रोग से बचने के लिए यज्ञ सामग्री में पिप्पली का उपयोग
करना चाहिए | इस के धुएं से रोगी को लाभ मिलता है |

मनोविकार

मनोरोग से रोगी जीवित ही मृतक समान हो जाता है | इस के
निदान के लिए गुग्गल तथा अपामार्ग का उपयोग करना चाहिए
| इस का धुआं रोगी को लाभ देता है |

मधुमेह :

यह रोग भी रोगी को अशक्त करता है | इस रोग से
छुटकारा पाने के लिए हवन में गुग्गल, लोबान , जामुन वृक्ष
की छाल, करेला का द्न्थल, सब संभाग मिला आहुति दें व् इस
की धुनी से रोग में लाभ होता है |

उन्माद मानसिक

यह रोग भी रोगी को मृतक सा ही बना देता है | सीताफल के
बीज और जटामासी चूरन समभाग लेकर हवन में डालें तथा इस
का धुआं दें तो लाभ होगा |

चित्भ्रम

यह भी एक भयंकर रोग है | इस के लिए कचूर ,खास,
नागरमोथा, महया , सफ़ेद चन्दन, गुग्गल, अगर,
बड़ी इलायची ,नारवी और शहद संभाग लेकर यग्य करें
तथा इसकी धुनी से लाभ होगा |

पीलिया

इस के लिए देवदारु , चिरायत, नागरमोथा, कुटकी, वायविडंग
संभाग लेकर हवन में डालें | इस का धुआं रोगी को लाभ देता है |
है |

क्षय रोग

यह रोग भी मनुष्य को क्षीण कर देता है तथा उसकी मृत्यु
का कारण बनता है | ऐसे रोगी को बचाने के लिए गुग्गल, सफेद
चन्दन, गिलोय , बांसा(अडूसा) सब का १०० - १०० ग्राम
का चूरन कपूर ५- ग्राम, १०० ग्राम घी , सब को मिला कर
हवन में डालें | इस क
धुएं से रोगी को लाभ होगा |

मलेरिया

मलेरिया भी भयानक पीड़ा देता है | ऐसे रोगी को बचाने के लिए
गुग्गल , लोबान , कपूर, हल्दी , दारुहल्दी, अगर, वाय्वडिंग,
बाल्छाद, ( जटामासी) देवदारु, बच , कठु, अजवायन , नीम के
पते समभाग लेकर संभाग ही घी डाल हवन करें | इस का धुआं लाभ
देगा |

अपराजित या सर्वरोग नाशक धुप

गुग्गल, बच, गंध, तरीन, नीम के पते, अगर, रल, देवदारु,
छिलका सहित मसूर संभाग घी के साथ हवन करें | इसके धुआं से
लाभ होगा तथा परिवार रोग से बचा रहेगा|

अन्य किसी जानकारी , समस्या समाधान अथवा कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
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