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Wednesday, 18 December 2013

Hattha jodi/ हत्था जोड़ी ( The Tantrik Herbs -3 )

हत्था जोड़ी /  Hattha Jodi
तंत्र शास्त्र में हत्था जोड़ी एक विशिष्ट स्थान रखती है। ये साक्षात् माँ महाकाली और चंडिका देवी का स्वरुप मानी जाती है।
  देखने में ये भले ही किसी पक्षी के पंजे या मनुष्य के हाथो के समान दिखे लेकिन असल में ये एक पौधे की जड़ है।
  
नेपाल में इसे स्थानीय लोग विरूपा या विरुपात और भारत में बिरवा नाम से पहचानते है। ये अति दुर्लभ वनस्पति है और भारत में मध्य प्रदेश के अमरकंटक, झारखण्ड के नेपाल के सीमावर्ती जंगलों में, उत्तराखंड में स्वर्ग की सीढ़ी के पास के जंगलों में और नेपाल में कई स्थानों पर पाई जाती है।
माता महाकाली, चंडिका देवी, चामुंडा देवी की साधना और नदी तट पर निर्वस्त्र बैठ कर की जाने वाली दस महाविद्या साधना का ये एक अनिवार्य अंग है।
दीपावली के अवसर पर या किसी अबूझ मुहूर्त में विधिवत सिद्ध करने के पश्चात इसे चाँदी की डिब्बी में सिंदूर और गोमती चक्र के साथ रखने पर घर में सुख शांति आती है, धन धान्य और संपत्ति में अपार वृद्धि होती है। घर पर किये गए अभिचार प्रयोग असर नहीं करते। घर को किसी की नज़र नहीं लगती और वायव्य बाधाएं दूर रहती हैं।
इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए , और आकर्षण, मोहन, वशीकरण और अन्य अभिचार  कर्म विधिवत सिद्ध की हुई हत्था जोड़ी पर सिर्फ कुछ दिन में ही सिद्ध हो जाते हैं और अति शीघ्र असर दिखाते हैं।
अन्य किसी जानकारी अथवा सहायता और कुंडली विश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते है।
।।जय श्री राम।।
8909521616
7579400465

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