श्री नरसिंह जयंती की शुभकामनाएं
(1) श्री लक्ष्मीनरसिंह अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
।। ॐ श्रीं ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नम: श्रीं ॐ।।
नारसिंहो महासिंहो दिव्यसिंहो महीबल:।
उग्रसिंहो महादेव: स्तंभजश्चोग्रलोचन:।।
रौद्र: सर्वाद्भुत: श्रीमान् योगानन्दस्त्रीविक्रम:।
हरि: कोलाहलश्चक्री विजयो जयवर्द्धन:।।
पञ्चानन: परंब्रह्म चाघोरो घोरविक्रम:।
ज्वलन्मुखो ज्वालमाली महाज्वालो महाप्रभु:।।
निटिलाक्ष: सहस्त्राक्षो दुर्निरीक्ष्य: प्रतापन:।
महाद्रंष्ट्रायुध: प्राज्ञश्चण्डकोपी सदाशिव:।।
हिरण्यकशिपुध्वंसी दैत्यदानवभञ्जन:।
गुणभद्रो महाभद्रो बलभद्र: सुभद्रक:।।
करालो विकरालश्च विकर्ता सर्वकर्तृक:।
शिंशुमारस्त्रिलोकात्मा ईश: सर्वेश्वरो विभु:।।
भैरवाडम्बरो दिव्याश्चच्युत: कविमाधव:।
अधोक्षजो अक्षर: शर्वो वनमाली वरप्रद:।।
विश्वम्भरो अद्भुतो भव्य: श्रीविष्णु: पुरूषोतम:।
अनघास्त्रो नखास्त्रश्च सूर्यज्योति: सुरेश्वर:।।
सहस्त्रबाहु: सर्वज्ञ: सर्वसिद्धिप्रदायक:।
वज्रदंष्ट्रो वज्रनखो महानन्द: परंतप:।।
सर्वयन्त्रैकरूपश्च सप्वयन्त्रविदारण:।
सर्वतन्त्रात्मको अव्यक्त: सुव्यक्तो भक्तवत्सल:।।
वैशाखशुक्ल भूतोत्थशरणागत वत्सल:।
उदारकीर्ति: पुण्यात्मा महात्मा चण्डविक्रम:।।
वेदत्रयप्रपूज्यश्च भगवान् परमेश्वर:।
श्रीवत्साङ्क: श्रीनिवासो जगद्व्यापी जगन्मय:।।
जगत्पालो जगन्नाथो महाकायो द्विरूपभृत्।
परमात्मा परंज्योतिर्निर्गुणश्च नृकेसरी।।
परतत्त्वं परंधाम सच्चिदानंदविग्रह:।
लक्ष्मीनृसिंह: सर्वात्मा धीर: प्रह्लादपालक:।।
इदं लक्ष्मीनृसिंहस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेद् भक्त्या सर्वाभीष्टंवाप्नुयात्।।
श्री भगवान महाविष्णु स्वरूप श्री नरसिंह के अंक में विराजमान माँ महालक्ष्मी के इस श्रीयुगल स्तोत्र का तीनो संध्याओं में पाठ करने से भय, दारिद्र, दुःख, शोक का नाश होता है और अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
(२) नृसिंहमालामन्त्रः
श्री गणेशाय नमः |
अस्य श्री नृसिंहमाला मन्त्रस्य नारदभगवान् ऋषिः | अनुष्टुभ् छन्दः | श्री नृसिंहोदेवता | आं बीजम् | लं शवित्तः | मेरुकीलकम् | श्रीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |
ॐ नमो नृसिंहाय ज्वलामुखग्निनेत्रय शङ्खचक्रगदाप्र्हस्ताय | योगरूपाय हिरण्यकशिपुच्छेदनान्त्रमालाविभुषणाय हन हन दह दह वच वच रक्ष वो नृसिंहाय पुर्वदिषां बन्ध बन्ध रौद्रभसिंहाय दक्षिणदिशां बन्ध बन्ध पावननृसिंहाय पश्चिमदिशां बन्ध बन्ध दारुणनृसिंहाय उत्तरदिशां बन्ध बन्ध ज्वालानृसिंहाय आकाशदिशां बन्ध बन्ध लक्ष्मीनृसिंहाय पातालदिशां बन्ध बन्ध कः कः कंपय कंपय आवेशय आवेशय अवतारय अवतारय शीघ्रं शीघ्रं | ॐ नमो नारसिंहाय नवकोटिदेवग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय अष्टकोटिगन्धर्व ग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय षट्कोटिशाकिनीग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय पंचकोटि पन्नगग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय चतुष्कोटि ब्रह्मराक्षसग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय द्विकोटिदनुजग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय कोटिग्रहोच्चाटनाय| ॐ नमो नारसिंहाय अरिमूरीचोरराक्षसजितिः वारं वारं | श्रीभय चोरभय व्याधिभय सकल भयकण्टकान् विध्वंसय विध्वंसय | शरणागत वज्रपंजराय विश्वहृदयाय प्रल्हादवरदाय क्षरौं श्रीं नृसिंहाय स्वाहा | ॐ नमो नारसिंहाय मुद्गल शङ्खचक्र गदापद्महस्ताय नीलप्रभांगवर्णाय भीमाय भीषणाय ज्वाला करालभयभाषित श्री नृसिंहहिरण्यकश्यपवक्षस्थलविदार्णाय | जय जय एहि एहि भगवन् भवन गरुडध्वज गरुडध्वज मम सर्वोपद्रवं वज्रदेहेन चूर्णय चूर्णय आपत्समुद्रं शोषय शोषय | असुरगन्धर्वयक्षब्रह्मराक्षस भूतप्रेत पिशाचदिन विध्वन्सय् विध्वन्सय् | पूर्वाखिलं मूलय मूलय | प्रतिच्छां स्तम्भय परमन्त्रपयन्त्र परतन्त्र परकष्टं छिन्धि छिन्धि भिन्धि हं फट् स्वाहा |
इति श्री अथर्वण वेदोवत्तनृसिंहमालामन्त्रः समाप्तः |
श्री नृसिम्हार्पणमस्तु ||
(३) नरसिंह गायत्री
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
(४) नृसिंह शाबर मन्त्र :
ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय
,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों
क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी
क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं
हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय
ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम
ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय २ शाकिनिं प्रच्छादय २ भूतं
प्रच्छादय २ प्रेतं प्रच्छादय २ ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम
प्रच्छादय २ राक्षसं प्रच्छादय २ सिन्हिनी पुत्रं
प्रच्छादय २ अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी
ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत
प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी
ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु
की शक्ति स्फ़ुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ll
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।।जय श्री राम।।
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(1) श्री लक्ष्मीनरसिंह अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
।। ॐ श्रीं ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नम: श्रीं ॐ।।
नारसिंहो महासिंहो दिव्यसिंहो महीबल:।
उग्रसिंहो महादेव: स्तंभजश्चोग्रलोचन:।।
रौद्र: सर्वाद्भुत: श्रीमान् योगानन्दस्त्रीविक्रम:।
हरि: कोलाहलश्चक्री विजयो जयवर्द्धन:।।
पञ्चानन: परंब्रह्म चाघोरो घोरविक्रम:।
ज्वलन्मुखो ज्वालमाली महाज्वालो महाप्रभु:।।
निटिलाक्ष: सहस्त्राक्षो दुर्निरीक्ष्य: प्रतापन:।
महाद्रंष्ट्रायुध: प्राज्ञश्चण्डकोपी सदाशिव:।।
हिरण्यकशिपुध्वंसी दैत्यदानवभञ्जन:।
गुणभद्रो महाभद्रो बलभद्र: सुभद्रक:।।
करालो विकरालश्च विकर्ता सर्वकर्तृक:।
शिंशुमारस्त्रिलोकात्मा ईश: सर्वेश्वरो विभु:।।
भैरवाडम्बरो दिव्याश्चच्युत: कविमाधव:।
अधोक्षजो अक्षर: शर्वो वनमाली वरप्रद:।।
विश्वम्भरो अद्भुतो भव्य: श्रीविष्णु: पुरूषोतम:।
अनघास्त्रो नखास्त्रश्च सूर्यज्योति: सुरेश्वर:।।
सहस्त्रबाहु: सर्वज्ञ: सर्वसिद्धिप्रदायक:।
वज्रदंष्ट्रो वज्रनखो महानन्द: परंतप:।।
सर्वयन्त्रैकरूपश्च सप्वयन्त्रविदारण:।
सर्वतन्त्रात्मको अव्यक्त: सुव्यक्तो भक्तवत्सल:।।
वैशाखशुक्ल भूतोत्थशरणागत वत्सल:।
उदारकीर्ति: पुण्यात्मा महात्मा चण्डविक्रम:।।
वेदत्रयप्रपूज्यश्च भगवान् परमेश्वर:।
श्रीवत्साङ्क: श्रीनिवासो जगद्व्यापी जगन्मय:।।
जगत्पालो जगन्नाथो महाकायो द्विरूपभृत्।
परमात्मा परंज्योतिर्निर्गुणश्च नृकेसरी।।
परतत्त्वं परंधाम सच्चिदानंदविग्रह:।
लक्ष्मीनृसिंह: सर्वात्मा धीर: प्रह्लादपालक:।।
इदं लक्ष्मीनृसिंहस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेद् भक्त्या सर्वाभीष्टंवाप्नुयात्।।
श्री भगवान महाविष्णु स्वरूप श्री नरसिंह के अंक में विराजमान माँ महालक्ष्मी के इस श्रीयुगल स्तोत्र का तीनो संध्याओं में पाठ करने से भय, दारिद्र, दुःख, शोक का नाश होता है और अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
(२) नृसिंहमालामन्त्रः
श्री गणेशाय नमः |
अस्य श्री नृसिंहमाला मन्त्रस्य नारदभगवान् ऋषिः | अनुष्टुभ् छन्दः | श्री नृसिंहोदेवता | आं बीजम् | लं शवित्तः | मेरुकीलकम् | श्रीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |
ॐ नमो नृसिंहाय ज्वलामुखग्निनेत्रय शङ्खचक्रगदाप्र्हस्ताय | योगरूपाय हिरण्यकशिपुच्छेदनान्त्रमालाविभुषणाय हन हन दह दह वच वच रक्ष वो नृसिंहाय पुर्वदिषां बन्ध बन्ध रौद्रभसिंहाय दक्षिणदिशां बन्ध बन्ध पावननृसिंहाय पश्चिमदिशां बन्ध बन्ध दारुणनृसिंहाय उत्तरदिशां बन्ध बन्ध ज्वालानृसिंहाय आकाशदिशां बन्ध बन्ध लक्ष्मीनृसिंहाय पातालदिशां बन्ध बन्ध कः कः कंपय कंपय आवेशय आवेशय अवतारय अवतारय शीघ्रं शीघ्रं | ॐ नमो नारसिंहाय नवकोटिदेवग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय अष्टकोटिगन्धर्व ग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय षट्कोटिशाकिनीग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय पंचकोटि पन्नगग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय चतुष्कोटि ब्रह्मराक्षसग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय द्विकोटिदनुजग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय कोटिग्रहोच्चाटनाय| ॐ नमो नारसिंहाय अरिमूरीचोरराक्षसजितिः वारं वारं | श्रीभय चोरभय व्याधिभय सकल भयकण्टकान् विध्वंसय विध्वंसय | शरणागत वज्रपंजराय विश्वहृदयाय प्रल्हादवरदाय क्षरौं श्रीं नृसिंहाय स्वाहा | ॐ नमो नारसिंहाय मुद्गल शङ्खचक्र गदापद्महस्ताय नीलप्रभांगवर्णाय भीमाय भीषणाय ज्वाला करालभयभाषित श्री नृसिंहहिरण्यकश्यपवक्षस्थलविदार्णाय | जय जय एहि एहि भगवन् भवन गरुडध्वज गरुडध्वज मम सर्वोपद्रवं वज्रदेहेन चूर्णय चूर्णय आपत्समुद्रं शोषय शोषय | असुरगन्धर्वयक्षब्रह्मराक्षस भूतप्रेत पिशाचदिन विध्वन्सय् विध्वन्सय् | पूर्वाखिलं मूलय मूलय | प्रतिच्छां स्तम्भय परमन्त्रपयन्त्र परतन्त्र परकष्टं छिन्धि छिन्धि भिन्धि हं फट् स्वाहा |
इति श्री अथर्वण वेदोवत्तनृसिंहमालामन्त्रः समाप्तः |
श्री नृसिम्हार्पणमस्तु ||
(३) नरसिंह गायत्री
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
(४) नृसिंह शाबर मन्त्र :
ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय
,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों
क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी
क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं
हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय
ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम
ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय २ शाकिनिं प्रच्छादय २ भूतं
प्रच्छादय २ प्रेतं प्रच्छादय २ ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम
प्रच्छादय २ राक्षसं प्रच्छादय २ सिन्हिनी पुत्रं
प्रच्छादय २ अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी
ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत
प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी
ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु
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