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Thursday, 7 April 2022

किन मन्त्रों से हवन नहीं करना चाहिए



नवरात्रि विशेष: किन मन्त्रों से हवन नहीं करना चाहिए
(संकलन पोस्ट)

मित्रों, 
शक्ति साधना का महापर्व नवरात्रि अब अपने पारण की ओर है, कुल परम्परा अनुसार लोग सप्तमी से दशमी तक  पूजन कर नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं।

इसमें कुछ लोग दैनिक और अधिकतर लोग अंतिम दिन सप्तशती के पाठ के पश्चात सप्तशती के मंत्रों का हवन करते हैं।

जिन्हें अपने गुरु के माध्यम से अथवा कुल परम्परा के माध्यम से सही जानकारी है वे तो सही करते हैं।

किंतु अधिकतर लोग जिन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है और जिन्होंने सप्तशती का पाठ और हवन फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया से जानकारी मिलने के बाद या इसपर मौजूद किसी जानकार व्यक्ति की बात को पूरा न समझ कर किया है वो अक्सर हवन में गलती कर जाते हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से आपको इसके विषय मे सही जानकारी प्राप्त होगी आप इसे भविष्य के लिए सेव कर के रख सकते हैं।

सप्तशती का प्रत्येक भाग बेहद शक्तिशाली है किंतु मूल पाठ के अतिरिक्त जिस स्तोत्र का सबसे अधिक महत्व है वो है सिद्धकुंजिका स्तोत्र। इसकी सिद्धि के भी अत्यधिक विधान सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। जो कि वास्तव में अधकचरे ही हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का होम न करने की आज्ञा स्वयं महादेव नें दी है

इसका प्रथम कारण है की ,
कुंजिका देवी सिद्धियों की एकमात्र कुंजी है ।
ओर कुंजी का रक्षण किया जाता है आहूत नहीं किया जा सकता ।

यदि यदि कुंजी का ही लोप हो जाएगा तो सिद्धी के द्वार का खुलना असम्भव हो जाएगा ।

दूसरा का कारण यह की 
सप्तशती में आता की याचना स्तोत्र , कवच एवं कवच मन्त्रों की आहुति नहीं की जाती अन्यथा विनाश ही होता है ।

कवचं वार्गलाचैव , कीलकोकुंजिकास्तथा ।
स्वप्नेकुर्वन्नहोमं च , जुहुयात्सर्वत्रनष्ट्यते: ।।

भगवान शिव भैरव स्वरूप में स्थित होकर कहते हैं ! 
कवच , अर्गला , कीलक , तथा कुंजिका का होम स्वप्न में भी न करें स्वप्न मात्र में भी होम करने से सर्वत्र नाश की संभावनाएँ प्रकट हो जाती है ।

बुद्धिनाषोहुजेत् देवि, अर्गलाऽनर्गलोभवेत् ।
सिद्धीर्नाषगत:होता, विद्यां च विस्मृतोर्भभवेत् ।।

अर्गला के होमकर्म से सिद्धीयों का नाश हो जाता है । तथा होता की समस्त विद्याएँ विस्मृत हो जाती है , अर्गला अनर्गल सिद्ध हो जाती है ।

कीलितोजायतेमन्त्र: ,होमे वा कीलकस्तथा ।
ममकण्ठसमंयस्य: ,कीलकोत्कीलकं हि च ।।

कीलक के होमकर्म से होता के समस्त मन्त्र सदा सर्वदा के लिए कीलित हो जाते हैं ।
इसे मेरा उत्किलित कण्ठ ही जानें जो जो कीलक का कारक है ।

धनधान्ययुतंभद्रे , पुत्र:प्राण:विनष्यते: ।
रोगशोकोर्व्रिते:कृत्वा, कवचंहोमकर्मण: ।।

कवच के होम से धन,धान्य, पुत्र तथा प्राण का विनाश निश्चित है । एवं वह होता रोग तथा शोकों से घिर जाता है ।

स्वप्ने वा हुज्यते देवि , कुंजिकायं च कुंजिकां ।
षड्मासे च भवेन्मृत्यु , सत्यं सत्यं न संशय: ।
होमे च कुंजिकायास्तु , सकुटुम्बंविनाश्यती: ।

कुंजिका के होमकर्म के प्रभाव से होता की छः मास में मृत्यु निश्चित जानें । तथा होता का सकूटुंब विनाश हो जाता है यह सत्य हे सत्य हे इसमें कोई संशय नहीं करना चाहिए ।

यस्यं च दोषमात्रेण , प्रसन्नार्मृत्युदेवता: ।
कुंजिकाहोममात्रेण , रावण:प्रलयंगत: ।।

ईसी के दोष से मृत्युदेवता अत्यंत प्रसन्न होकर होता का सकूटुंब भक्षण करते हैं ।
कुंजिका के होममात्र के प्रभाव से ही रावण का सम्पूर्ण विनाश सम्भव हुआ ।

*भैरवयामले भैरवभैरवी संवादे ।।*
*चतुर्विंश प्रभागे होमप्रकरणे ।।*

मातृका:बीजसंयुक्ता: , प्राणाप्राणविबोधिनी ।
प्राणदा:कुंजिका:मायां , सर्वप्राण:प्रभाविनी ।।

कुंजिका में बीज मातृकाएँ उपस्थित हैं ।
प्राण को देविप्राण का बोधप्रदान करती हैं ।
यह प्राणज्ञान प्रदान करने वाली महामाया कुंजिका प्राण को प्रभावित करने वाली हैं ।

# इसके अतिरिक्त एक अन्य विशेष बात है कि जिन मन्त्रों के हवन को ऊपर निषेध बताया गया है उनका भी हवन होता है लेकिन सिर्फ विशेष परिस्थिति में ।
किसी विशेष और असाध्य कार्यसिद्धि के हेतु उसका तरीका विधि विधान अलग है।

इन मंत्रों का हवन अनुष्ठान कब और कैसे करना है ये आपको कोई विशेषज्ञ ही बताएगा , कारण समझ कर, अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

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।।जय श्री राम।।

 

 

Tuesday, 5 April 2022

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