तंत्र में अतिप्रचलित कुछ वस्तुएं
तांत्रिक जड़ी बूटियां भाग -1
Tantrik herbs part - 1
Tantrik herbs part - 1
सहदेवी / Sahadevi
मित्रों
सहदेवी एक छोटा सा कोमल पौधा होता है जो एक फुट से साढ़े तीन फुट तक की ऊँचाई का होता है। पौधा भले ही कोमल हो पर तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में ये किसी महारथी से कम नहीं है।
अपने दिव्य गुणों के कारण आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका उल्लेख्य कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु इसमें कई दिव्य गुण हैं जिसके कारण इसे देवी पद मिला और इसका नाम सहदेवी पड़ा। विभिन्न तंत्र शास्त्र और यहाँ तक की अथर्ववेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।
आशा है इससे आप इसकी महत्ता समझेंगे।
सहदेवी एक छोटा सा कोमल पौधा होता है जो एक फुट से साढ़े तीन फुट तक की ऊँचाई का होता है। पौधा भले ही कोमल हो पर तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में ये किसी महारथी से कम नहीं है।
अपने दिव्य गुणों के कारण आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका उल्लेख्य कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु इसमें कई दिव्य गुण हैं जिसके कारण इसे देवी पद मिला और इसका नाम सहदेवी पड़ा। विभिन्न तंत्र शास्त्र और यहाँ तक की अथर्ववेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।
आशा है इससे आप इसकी महत्ता समझेंगे।
किसी रवि-पुष्य योग के दिन प्रात: सूर्योदय पूर्व शास्त्रीय विधि पूर्वक एक दिन पूर्व संध्याकाल में निमंत्रण देकर प्राप्त कर लें फिर घर लें आये और पंचामृत से स्नान कराकर उसकी विधिवत षोडशोपचार पूजा करें।
पूजन मन्त्र इस प्रकार है
"ॐ नमो भगवती सहदेवी सदबलदायिनी सर्वंजयी कुरु कुरु स्वाहा।"
तंत्र-सिद्धि में सहदेवी का पोधा विभिन कार्यो मे प्रयुक्त होता है l
यदि कोई विशेष प्रयोजन न हो तो उपरोक्त विधि से पूजित पौधे के स्वरस में शुद्ध केसर और शुद्ध गोरोचन मिलाकर गोली बना कर सुरक्षित रख लें। जब कभी आवश्यकता हो गंगाजल में घिस कर उसका तिलक करें। ये चमत्कारी प्रभाव और सर्वत्र विजय देने वाला जगत मोहन प्रयोग है।
1. शांति, धन-धान्य-व्यापार वृद्धि के लिए :-
A. विधिवत सिद्ध की हुई जड़ को लाल वस्त्र में लपेट कर तिजोरी मे रखने से अभीष्ट धन-वृद्धि होती है l
B. रसोई अनाज भंडार में शुद्ध स्थल पर स्थापित करने से अन्न परिपूर्ण रहता है।
C. घर के मंदिर में स्थापित कर नित्य प्रणाम करने से घर में शांति रहती है।
2. विवाद विजय
यदि किसी प्रकार के विवाद में फंस जाएँ और निर्णय के लिए जाना हो तो इसकी विधिवत सिद्ध की हुई जड़ को धारण करने पर निश्चित ही विजय प्राप्त होती है।
3. प्रभाव-वृद्धि:-
पंचाग का चुर्ण तिलक की भाति मस्तक और जिह्वा पर लगा कर कही जाए तो दर्शको पर विशेष प्रभाव पड़ता हैl सब लोग इसको सम्मान की दृष्टी से देखते और सुनते है l
4. मोहन प्रयोग `:-
A. इस पौधे की जड़ का अंजन लगाने से दृष्टी मे मोहक-प्रभाव उत्पन्न होता है l
B. तुलसी-बीजचूर्ण तु सहदेव्य रसेन सह। रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत् सकलं जगत्।।
तुलसी के बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस में पीस कर तिलक के रूप में उसे ललाट पर लगाएं। उससे उसको देखने वाले मोहित हो जाते हैं।
C. अपामार्गों भृङ्गराजो लाजा च सहदेविका। एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रैलोक्यं मोहयेन्नरः।।
अपामार्ग-ओंगा, भांगरा, लाजा, धान की खोल और सहदेवी इनको पीस कर उसका तिलक करने से व्यक्ति तीनों लोकों को मोहित कर लेता है।
मन्त्र - इन प्रयोगों की सिद्धि के लिए अग्रिम दिए हुए मंत्रों के दस हजार जप करने से लाभ होता है।
”ॐ नमो भगवते रुद्राय सर्वजगन्मोहनं कुरु कुरु स्वाहा।“ अथवा
”ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यश्य यश्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।"
5. वशीकरण प्रयोग :
A. गृहीत्वा सहदेवीं च छायाशुष्कां च कारयेत्। ताम्बूलेन च तच्चूर्ण सर्वलोकवशंकरः।।
सहदेवी को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें तथा उसे पान में डाल कर खिलाएं तो सभी का वशीकरण हो जाता है।
B. रोचना सहदेवीभ्यां तिलकं लोकवश्यकृत्।
गोरोचन और सहदेवी को मिलाकर उसका तिलक करने वाला सब को वश में कर लेता है।
वशीकरण मंत्र
”ॐ नमो नारायणाय सर्वलोकान् मम वशं कुरु कुरु स्वाहा।“
”ॐ नमो नारायणाय सर्वलोकान् मम वशं कुरु कुरु स्वाहा।“
एकलक्षजपान्मन्त्रः सिद्धो भवति नान्यथा। अष्टोत्तरशतजपात् प्रयोगे सिद्धिरुत्तमा।। एक लाख जप से यह मंत्र सिद्ध होता है और प्रयोग के समय इस मंत्र का 108 बार जप करके प्रयोग करने से सफलता मिलती है।
6. शत्रु स्तम्भन प्रयोग:
A. ‘‘ऊँ नमो दिगंबराय अमुकस्य स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा।
अयुत जपात् मंत्रः सिद्धो भवति। अष्टोत्तर शत जपात् प्रयोगः सिद्धो भवति।
उपर्युक्त मंत्र का दस हजार जप करने से मंत्र सिद्ध होता है और आवश्यकता होने पर एक सौ आठ बार जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र – ‘अमुकस्य’ के स्थान पर जिसके आसन पर स्तंभन करना हो उसका नाम लेना चाहिए।
B. अपामार्ग और सहदेई को लोहे के पात्र में डालकर पींसें और उसका तिलक मस्तक पर लगाएं। अब जो भी देखेगा उसका स्तंभन हो जाएगा।
C. भांगरा, चिरचिटा, सरसों, सहदेई, कंकोल, वचा और श्वेत आक इन सबको समान मात्रा में लेकर कूटें और सत्व निकाल लें। फिर किसी लोहे के पात्र में रखकर तीन दिनों तक घोटें। अब जब भी उसका तिलक कर शत्रु के सम्मुख जाएंगे, तो उसकी बुद्धि कुंठित हो जाएगी।
7. अग्नि स्तम्भन
सहदेवी, घृतकुमारी और आक के रस को मिलाकर लेपन करने से अग्नि स्तंभित होती है। उक्त मिश्रण को हाथ में लगाकर यदि अग्नि में भी हाथ डाल दें तो हाथ नहीं जलेगा। ऐसा तंत्र ग्रंथों में वर्णित है।
8. आयुर्वेद
a . इसकी जड़ को भुजा में बाँधने से विभिन्न व्याधियां और रोग स्वतः नष्ट हो जाते हैं।
b. सहदेवी पौधे की जड़ के सात टुकड़े करके कमर में बांधने से अतिसार रोग मिट जाता है।
c. सहदेवी का पौधा नींद न आने वाले मरीजों के लिए सबसे अच्छा है . इसे सुखाकर तकिये के नीचे रखने से अच्छी नींद आती है
d. इसके नन्हे पौधे गमले में लगाकर सोने के कमरे में रख दें . बहुत अच्छी नींद आएगी .
e. यह बड़ी कोमल प्रकृति का होता है . बुखार होने पर यह बच्चों को भी दिया जा सकता है . इसका 1-3 ग्राम पंचांग और 3-7 काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बना कर सवेरे शाम लें . यह लीवर के लिए भी बहुत अच्छा है .
f. अगर रक्तदोष है , खाज खुजली है , त्वचा की सुन्दरता चाहिए तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें .
f. अगर रक्तदोष है , खाज खुजली है , त्वचा की सुन्दरता चाहिए तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें .
g. अगर आँतों में संक्रमण है , अल्सर है या फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें
h. अगर मूत्र संबंधी कोई समस्या है तो एक ग्राम सहदेवी का काढ़ा लिया जा सकता है .
i. कंठमाला रोग में इसकी जड़ भुजा में बांधने से शीघ्र रोग मुक्ति होती है।
i. कंठमाला रोग में इसकी जड़ भुजा में बांधने से शीघ्र रोग मुक्ति होती है।
9. संतान-लाभ :-
a. यदि कोई स्त्री मासिक-धर्म से पांच दिन पूर्व तथा पांच दिन पष्चात तक गाये के घी मे सहदेवी का पंचाग सेवन करे तो अवश्य गर्भ सिथर होता है l
b. इसको दूध में पीस कर नस्य लेने से स्वस्थ संतान पैदा होती है।
10. प्रसव-वेदना निवारक :-
इसकी जड़ तेल मे घिसकर जन्नेद्रिये पर लेप कर दें l अथवा स्त्री की कमर मे बांध दें , तो वह प्रसव-पीढा से मुक्त हो जाती हैं l
11. पथरी
गुर्दे की पथरी में इसके स्वरस को 4-5 पत्ते तुलसी के रस और भूमि आंवला के रस के साथ नियमित रूप से एक सप्ताह लेने पर पथरी स्वयं टूट कर बाहर आ जाती है।
गुर्दे की पथरी में इसके स्वरस को 4-5 पत्ते तुलसी के रस और भूमि आंवला के रस के साथ नियमित रूप से एक सप्ताह लेने पर पथरी स्वयं टूट कर बाहर आ जाती है।
मित्रों, ये तो बस झलक मात्र है इसके अनेकों प्रयोग हैं जिन्हें एक लेख में समेट पाना सम्भव नहीं है।
सबसे जरुरी ये है की आप इसके पौधे को पहचानते हों। यदि न मालूम हो तो किसी जड़ी बूटी के जानकार व्यक्ति या माली की मदद से खोज लें।
क्यूंकि इससे मिलते जुलते दर्जनों पौधे हैं और गलत पौधे पर मेहनत करने का कोई लाभ नहीं होगा।
क्यूंकि इससे मिलते जुलते दर्जनों पौधे हैं और गलत पौधे पर मेहनत करने का कोई लाभ नहीं होगा।
अन्य किसी जानकारी, कुंडली विश्लेष्ण या समस्या समाधान हेतु संपर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616
7060202653
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Very Nice article Sir very informative it was fantastic knowladge.
ReplyDeleteWHITE GUNJA
Pen Of Kaner Bhojpatra Sheet i appreciated your work on this field .keep posting article like this.
अरविंद ज्योतिष किसी भी प्रकार की समस्या हो आप हमे कोल कर सकते हो जैसे कि लव मैरिज विदेश यात्रा सौतन वा दुश्मन से छुटकारा कारोबार नोकरी व्यापार शीघ्र विवाह या फिर पति-पत्नी प्रेमी-प्रेमिका मे कोई अनवन है, लेकिन अब तक की समस्या हो आप हमे कोल कर सकते हो अरविंद ज्योतिष मोबाइल नंबर 09970992037 (24) घन्टे सेवा उपलब्ध हम आप लोगो से वादा करते हे की आप लोगो का काम (11) से (24) घन्टे के अन्दर पूरा करके दिया जाएगा हम कहते नही करके दिखाते हे भाईयो और बहनो को सूचित किया जाता है की कही भी पैसा फसाने से पहले एक बार जरुर कोल करे हम आप लोगो को उचित रास्ता देंगे और फ्री सलाह भी देगे अरविंद त्रिपाठी मोबाइल नंबर 09970992037 इस साइट पर लिखा हुआ इस्तेमाल करने से पहले एक बार जरुर कोल करे हम आप लोगो को उचित रास्ता देंगे और फ्री सलाह भी देगे अरविंद त्रिपाठी मोबाइल नंबर 09970992037
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ReplyDeleteKiya aap mujko bata sakte heii kii, , dakshina kali , maa tara, tripura sundarii, chinnomosta ki hawan me kon kon sii tantrik jadi butii dene se , benifit milega. Example : rahu chandal ki jad,, sahadevi ki jad etc.
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