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Sunday, 29 December 2013

स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेतार्क गणपति / Natural Shwetark Ganapati for Health & wealth ( The Tantrik Herbs -4 )

स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेत आर्क गणपति:
मित्रों, भगवान गणेश के श्वेतार्क रूप की साधना कर अक्षय लक्ष्मी, विद्या बुद्धि, और ऋण नाश और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसी आस्था है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष वैदिक विधि के साथ आमंत्रित कर जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।
श्वेतार्क वृक्ष से सभी परिचित हैं। इसे सफेद आक, मदार, श्वेत आक, राजार्क, आदि नामों से जाना जाता है। सफेद फूलों वाले इस वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है। इसलिए प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जहां भी यह पौधा रहता है, वहां इसकी पूजा की जाती है। इससे वहां किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती। वैसे इसकी पूजा करने से साधक को काफी लाभ होता है।
अगर रविवार या गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र में विधिपूर्वक इसकी जड़ को खोदकर ले आएं और पूजा करें, तो कोई भी विपत्ति जातकों को छू भी नहीं सकती। ऐसी मान्यता है कि इस जड़ के दर्शन मात्र से भूत-प्रेत जैसी बाधाएं पास नहीं फटकती।
अगर इस पौधे की टहनी तोड़कर सुखा लें और उसकी कलम बनाकर उससे यंत्र का निर्माण करें, तो यह यंत्र तत्काल प्रभावशाली हो जाएगा।इसकी कलम में देवी सरस्वती का निवास माना जाता है। वैसे तो इस जड़ के प्रभाव से सारी विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं । इसकी जड़ में दस से बारह वर्ष की आयु में भगवान गणेश की आकृति का निर्माण होता है। यदि इतनी पुरानी जड़ न मिले तो वैदिक विधि पूर्वक इसकी जड़ निकाल कर इस जड़ की लकड़ी में सोने या चाँदी की सुई या औजारों से से गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर बनाएं। यह आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए। इसकी विधिवत पूजा करें। पूजन में लाल कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लाएं। एक लकड़ी के चौके या पाटे पर एक पीला वस्त्र बिछाएं । उस पर एक प्लेट रखे वव प्लेट पर कुमकुम या सिंदूर से अष्टदल बनायें इसके ऊपर फूल बिछाकर आसन दें व श्वेतार्क गणपति को विराजमान करें फिर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें और इस मंत्र का 1 माला जप करें
“ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा”
से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र
“ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा”
से 108 आहुति दें। लाल कनेर के पुष्प, शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है। इसके बाद गणपति कवच का तीन बार पाठ करें अथार्वशिर्ष का 11 पाठ करें ततपश्चात11 माला जप नीचे लिखे मँत्र का करेँ और प्रतिदिन कम से 1 माला करेँ
"ॐ गँ गणपतये नमः"
का जप करें।अब
“ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः”
मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें।
वैसे आयुर्वेद मेँ इसका प्रयोग चर्म रोगों, पाचन समस्याओं, पेट के रोगों, ट्यूमरों, जोड़ों के दर्द, घाव और दाँत के दर्द को दूरकरने में किया जाता है। इस पेड़ का दूध गंजापन दूर करने और बाल गिरने को रोकनेवाला है। इसके फूल, छाल और जड़ दमेऔर खाँसी को दूर करने वाले माने गए हैं।
धार्मिक दृष्टि से श्वेत आक को कल्प वृक्ष की तरह वरदायक वृक्ष माना गयाहै। श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होकर इस पौधे से कुछ माँगने पर यह अपनी जान देकर भी माँगने वाले की इच्छा पूरी करता है। यह भी कहा गया है कि इसप्रकार की इच्छा शुद्ध होनी चाहिए। ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।
श्वेतार्क के ताँत्रिक, लक्ष्मी प्राप्ति, ऋण नाशक, जादू टोना नाशक, नज़र सुरक्षा के इतने प्रयोग हैँ कि पूरी किताब लिखी जा सकती है।
थोड़ी सी मेहनत कर आप भी अपने घर के आस पास या किसी पार्क आदि मेँ श्वेतार्क का पौधा प्राप्त कर सकते हैँ।
श्वेतार्क गणपति घर मेँ स्थापित करने से सिर्फ गणेश जी ही नहीँ बल्कि माता लक्ष्मी और भगवान शिव की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सिद्धी की इच्छा रखने वालोँ को 3 मास तक इसकी साधना करने से सिद्धी प्राप्त होती है।
जिनके पास धन न रूकता हो या कमाया हुआ पैसा उल्टे सीधे कामोँ मेँ जाता हो उन्हेँ अपने घर मेँ श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए।
जो लोग कर्ज मेँ डूबे हैँ उनके लिए कर्ज मुक्ति का इससे सरल अन्य कोई उपाय नही है।
दुकान में अलमारी या गल्ले में रखने से धनागम सुचारू रूप से चलता रहता है और व्यापर में न तो मंदी आती है न किसी विरोधी की बुरी नज़र या किये कराये का असर होता है।
जो लोग ऊपरी बाधाओँ और रोग विशेष से ग्रसित हैँ इसकी पूजा से या ताबीज धारण करने से वायव्य बाधाओँ से तुरँत मुक्ति और स्वास्थ्य मेँ अप्रत्याशित लाभ पा सकते हैँ।
जिनके बच्चोँ का पढ़ने मेँ मन न लगता हो वे इसकी स्थापना और पूजन कर या इसका ताबीज पहना कर बच्चोँ की एकाग्रता और सँयम बढ़ा सकते है।
पुत्रकाँक्षी यानि पुत्र कामना करने वालोँ को इसके समक्ष गणपति पुत्रदा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। संतान हीन स्त्रियों को श्वेतार्क ताबीज धारण करने से संतान प्राप्ति शीघ्र होती है।
श्वेतार्क गणपति या श्वेतार्क की जड़, जड़ प्राप्ति की वैदिक विधि और इस साधना के संबँध मेँ किसी भी जानकारी के लिए या मंगवाने के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ।

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धन्यवाद।
।।जय श्री राम ।।

सियार सिंगी से वशीकरण / Vashikaran by using Siyar Singi

सियार सिंगी पर वशीकरण (शाबर मंत्र और विधि)
वशीकरण का मतलब होता है किसी को अपने अनुकूल कर लेना ।
अगर प्रेमी यां प्रेमिका का मन बदल गया हो , या विवाह करने को राज़ी न हो रहे हों।
कोई अधिकारी आपके विरोध में कार्य कर रहा हो,
परिवार में कोई सदस्य गलत रास्ते पर जा रहा हो तो वशीकरण प्रयोग से उसका मन बदला जा सकता है।
पति- पत्नी या परिवार के किसी अन्य सदस्य से न बनती हो और झगडे होते हों और घर में अगर कलह रहती हो तो वशीकरण से आपस में विवाद ख़तम किये जा सकते हैं ।
शुक्रवार के दिन जिस भी व्यक्ति स्त्री या पुरुष को अपने अनुकूल करना हो उसका नाम कुमकुम से स्टील की प्लेट पर लिखें , अगर उसका चित्र हो तो नाम के ऊपर उसका चित्र रख दें । अब इसके ऊपर सियार सिंगी को स्थापित करें । सियार सिंगी पर केसर का तिलक लगाये। अब इस पर चावल और पुष्प चढ़ा दें। इसके बाद इसपर हिना की इत्र लगायें । मिठाई का भोग अर्पित करें.
अब निम्न मंत्र का जप १०८ बार करें:-
बिस्मिलाह मेह्मंद पीर आवे घोडे की सवारी , पवन को वेग मन को संभाले, अनुकूल बनावे , हाँ भरे , कहियो करे , मेह्मंद पीर की दुहाई , शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र इश्वरो वाचा।
इस प्रकार मात्र २१ दिन तक करें . २१ दिन के बाद सियार सिंगी को चित्र के साथ किसी लाल कपडे में बांध कर रख ले. जब तक वह चित्र सियार सिंगी के साथ बंधा रहेगा वोह व्यक्ति आपके अनुकूल रहेगा आपके वश में रहेगा।
पूरे प्रयोग में एक चीज़ का ध्यान अवश्य रखें की सियार सिंगी असली होनी चाहिए। आज कल बाज़ार में नकली सियार सिंगी की भरमार है और साधारण जन को इनकी पहचान नहीं होती जिसका फायदा नकली सियार सिंगी बेचने वाले उठाते हैं और अपनी जेबें भरते हसी। नकली का प्रयोग करेंगे तो साधना सफल कैसे होगी?

प्रयोग सम्बन्धी किसी जानकारी, समस्या समाधान या कुंडली विश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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Thursday, 19 December 2013

अपने पैसे (फंसा धन उधार) वापस पाने के उपाय / Easy ways to get back your money ( lended money udhar)

रुका/फंसा हुआ धन वापस पाने के उपाए:  
मित्रों, अक्सर ऐसा होता है की अपने किसी करीबी या परिचित की परेशानी देख सुनकर आप अपने मेहनत के पैसे मदद करने के मकसद से उन्हें उधर दे देते हैं और इंतज़ार करते हैं की वो व्यक्ति समय ठीक होने या सक्षम होने पर आपके पैसे वापस कर देगा। आपसे पैसे लेकर वो तो अपना काम बना लेता है पर आपके पैसे वापस देना भूल जाता है। कई बार लोग ब्याज कमाने के लालच में भी उधर दे देते हैं पर ब्याज तो दूर मूल धन भी मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसा करने वाले यानि पैसे लेकर भूल जाने वाले अक्सर मित्र, सहकर्मी या रिश्तेदार होते हैं और यद् दिलाने पर भी पैसे वापस नहीं देते तथा सक्षम होने पैर भी पैसे न होने का रोना रो देते हैं।
इन्हीं समस्याओं के लिए ये उपाए प्रस्तुत कर रहा हूँ:
1. किसी बुधवार के दिन, हो सके तो कृष्ण पक्ष के किसी बुधवार या बुधवार को पड़ने वाली अमावस्या पर शाम के समय मीठे तेल की पाँच पूड़ियाँ बना लें। सबसे ऊपर की पूड़ी पर रोली से एक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें और उसपर गेहूं के आटे का एक दिया सरसों का तेल डाल कर रख लें। दिया जलाएं और फिर उसपर भी रोली से तिलक करें। पीले या लाल रंग का एक पुष्प अर्पित करें। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भगवान श्री गणेश से उस व्यक्ति से अपना धन वापस दिलाने की प्रार्थना करते रहें। फिर बाएं हाथ में सरसों और उड़द के कुछ दाने लेकर निम्न मंत्र का जप करते जाएँ और पूड़ी तथा दिए पर छोड़ते जाएँ । ये मन्त्र 21 बार जपना है
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्रैं ह्रूं ह्रः हेराम्बाय नमो नमः। मम धनं प्रतिगृहं कुरु कुरु स्वाहा।
तत्पश्चात इस सामग्री को लेजाकर उस व्यक्ति के घर के पास यानि मुख्य द्वार के सामने या ऐसे स्थान पर रख दें जहाँ से उसका मुख्यद्वार या घर नज़र आता हो। मुख्यद्वार के सामने रखने का अर्थ ये है के सड़क के दूसरी ओर यदि वहां भी कोई घर हो और रखने का मौका न मिले तो एक निश्चित दुरी पर रख दें जहाँ से कम से कम उसका घर नज़र आता हो।
2. किसी भी शनिवार के दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख कर हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं , उसमें सरसों के कुछ दाने, 2 लौंग और एक कपूर का टुकड़ा डाल कर 3 बार बजरंग बाण का पाठ करें और हनुमान जी से प्रार्थना करें की अमुक व्यक्ति आपका सारा धन जल्दी से जल्दी वापस कर दे। अब इसी जलते हुए दीपक से एक चम्मच पर एक दो बूँद तेल चुपड़ कर काजल बना लें।
अब एक नए पतले और मुलायम कपड़े पर शमी वृक्ष की लकड़ी की कलम या जंगली/ नीले कबूतर के पंख से उसी काजल से उस व्यक्ति/ व्यक्तियों का नाम लिखें जिसने आपके पैसे वापस देने हैं। अब इस कपडे की बत्ती बना लें और आटे का एक दिया बनाकर उसमे तिल का तेल डाल कर पुनः हनुमान जी की प्रतिमा के आगे 5 बार बजरंग बाण का पाठ करें और धन वापस प्राप्ति की प्रार्थना करें। धन मिलने पर संभव प्रसाद जैसे लड्डू नारियल आदि अर्पित करने का संकल्प करें। 
मित्रों दोनों ही उपाए बड़े कारगर हैं और इनमें से कोई भी उपाए कर आप अपना धन वापस प्राप्त कर सकते हैं। कई बार लोग मकान प्लाट अदि के लिए भी पैसे देते हैं पैर न मकान मिलता हैं न ही पैसे, अपना ही पैसा सरकारी विभागों से निकलवाने के लिए भी बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और घूस देने के बाद भी पैसा नहीं मिल पाता। ऐसी परिस्तिथियों में भी आप ये उपाए कर सकते हैं।
उपाए चाहे कोई भी करें पर ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करें।
अन्य किसी जानकारी, उपाए सम्बन्धी जानकारी या अपनी समस्या के समाधान और जन्म कुंडली विश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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Wednesday, 18 December 2013

Hattha jodi/ हत्था जोड़ी ( The Tantrik Herbs -3 )

हत्था जोड़ी /  Hattha Jodi
तंत्र शास्त्र में हत्था जोड़ी एक विशिष्ट स्थान रखती है। ये साक्षात् माँ महाकाली और चंडिका देवी का स्वरुप मानी जाती है।
  देखने में ये भले ही किसी पक्षी के पंजे या मनुष्य के हाथो के समान दिखे लेकिन असल में ये एक पौधे की जड़ है।
  
नेपाल में इसे स्थानीय लोग विरूपा या विरुपात और भारत में बिरवा नाम से पहचानते है। ये अति दुर्लभ वनस्पति है और भारत में मध्य प्रदेश के अमरकंटक, झारखण्ड के नेपाल के सीमावर्ती जंगलों में, उत्तराखंड में स्वर्ग की सीढ़ी के पास के जंगलों में और नेपाल में कई स्थानों पर पाई जाती है।
माता महाकाली, चंडिका देवी, चामुंडा देवी की साधना और नदी तट पर निर्वस्त्र बैठ कर की जाने वाली दस महाविद्या साधना का ये एक अनिवार्य अंग है।
दीपावली के अवसर पर या किसी अबूझ मुहूर्त में विधिवत सिद्ध करने के पश्चात इसे चाँदी की डिब्बी में सिंदूर और गोमती चक्र के साथ रखने पर घर में सुख शांति आती है, धन धान्य और संपत्ति में अपार वृद्धि होती है। घर पर किये गए अभिचार प्रयोग असर नहीं करते। घर को किसी की नज़र नहीं लगती और वायव्य बाधाएं दूर रहती हैं।
इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए , और आकर्षण, मोहन, वशीकरण और अन्य अभिचार  कर्म विधिवत सिद्ध की हुई हत्था जोड़ी पर सिर्फ कुछ दिन में ही सिद्ध हो जाते हैं और अति शीघ्र असर दिखाते हैं।
अन्य किसी जानकारी अथवा सहायता और कुंडली विश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते है।
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Wednesday, 25 September 2013

Effective tantra remedy to get back ur Love / रूठे/छोड़कर गये साथी/ प्रेमी/प्रेमिका को वापस पाने का सरल एवँ प्रभावशाली प्रयोग :

मित्रोँ अक्सर ऐसा होता है कि प्रेमी या प्रेमिका के रूठ जाने और छोड़कर चले जाने पर दिल टूटता है और फिर लड़के लड़कियाँ उनका साथ पुनः पाने के लिए उनका वशीकरण करना चाहते हैँ या करवाना चाहते है जिसके लिए वे ताँत्रकोँ की मदद लेते हैँ, कई बार नकली ताँत्रिकोँ के चक्कर मेँ अपना पैसा समय और प्यार तीनो खो देते हैँ ।

यहाँ एक प्राचीन टोटका प्रस्तुत कर रहा हूँ जो काफी प्रभावशाली है तथा आकर्षण और वशीकरण का विशेष प्रभाव उत्पन्न करता है। किसी ताँत्रिक के पास जाने से पूर्व एक बार ये प्रयोग अवश्य आजमाएँ।

अगर आपका जीवनसाथी, प्रेमिका, प्रेमी आप से दूर चला गया हो और वो आपको संपर्क न करे तो आप यह सरल प्रभावकारी टोटका कर सकते है । यदि आपका साथी आपसे खुश नहीं रहता या आप की तरफ ध्यान नहीं देता तो भी आप ये प्रयोग कर सकते हैँ।

आप सबसे पहले किसी भी अमावस्या के दिन दो सूखे हुए पीपल के पत्ते तोड़ ले, नीचे ज़मीन से न उठाए, जो कुछ पीले/सूखे से हो पेड़ से ही तोड़ेँ, आप जिस से प्यार करते है, या जिस व्यक्ति को प्रभावित करना चाहते हो उस का नाम दोनों पीपल के पत्तो पर लिख देँ, एक पत्ते पर काजल से लिखेँ और उसको वहीँ पीपल के पेड़ के पास उल्टा कर के रख दे और उस पर भारी पत्थर रख दे, और दूसरे पत्ते पर लाल सिँदूर से लिखेँ और उसको लाकर अपने घर की छत पर उल्टा कर के रख देँ और उस पर भी पत्थर रख दे, ये आपको आगामी पूर्णिमा तक करना है यानि 16 दिन और प्रतिदिन पीपल के पेड़ में अपने साथी को वापस पाने की प्रार्थना करते हुए पानी भी चढायेँ ।
कुछ दिन बाद आपने जिसका नाम लिखा था वह व्यक्ति आपसे संपर्क करेगा और वो आपकी तरफ पुनः आकर्षित होने लगेगा । फिर सभी पत्ते एकत्र कर किसी शुद्ध स्थान पर गड्ढे मेँ दबा देँ।

आपको जिस भी व्यक्ति यानि अपने प्रेमी या प्रेमिका अथवा पति या पत्नी को आकर्षित या वश मेँ करना है उस के लिए आप ऐसा कर सकते है पर जब भी करेँ शुद्ध मन या प्रेम भाव से ही करेँ। किसी दुर्भावना, बदले की इच्छा आदि से इसका प्रयोग कदापि न करेँ।

याद रखेँ कि ये बड़ा प्रभावशाली प्रयोग है और गलत नीयत से करने पर बेहद बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैँ। आपका साथी तो जाएगा ही आप स्वयँ बड़ी मुसीबत मेँ होँगे।

वैसे इस प्रयोग को अचूक वशीकरण बाण बनाने के लिए इसके साथ कभी कभी मँत्र प्रयोग भी किया जाता है परँतु यहाँ देने से कोई भी इस शक्ति का दुरुपयोग कर सकता है। अतः पहले ऊपर दिया गया प्रयोग ही सच्चे और साफ दिल से करेँ आपको आपका प्यार अवश्य मिलेगा।

इस प्रयोग से सम्बंधित किसी जानकारी या अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा समस्या निराकरण के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ ।
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Wednesday, 18 September 2013

Tantra Remedy for Girls marrige / कन्या का शीघ्र विवाह कराने के लिए सरल उपाय

कन्या का शीघ्र विवाह कराने के लिए सरल उपाय 

जन्मकुंडली में कई ऐसे योग होते हैं जिनकी वजह से किसी भी व्यक्ति फिर वो चाहे पुरुष हो या स्त्री अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी विवाह से वंचित रह जाते हैं....साथ ही कई बार ये रूकावट बाहरी बाधाओं या प्रारब्ध की वजह से भी आतीहैं. फिर चाहे लाख प्रयास करते जाओ उम्र लगातार बढ़ते जाती है पर एक तो रिश्ते आते नहीं हैं,और यदि आते भी हैं तो अस्वीकृति के अलावा और कुछ प्राप्त नहीं होता है. लोग लाख उपाय करते रहते हैं पर समस्या का समुचित निदान नहीं हो पाता है। 

परन्तु निम्न प्रयोग नाथ सिद्धों की अद्भुत देनहै समाज,को जिसके प्रयोग से कैसी भी विपरीत स्थिति की प्रतिकूलता अनुकूलता में परिवर्तित होती ही है और विवाह के लिए श्रेष्ट संबंधों की प्राप्ति होती ही है ।
प्रयोग:-

किसी भी शुभ दिवस पर मिटटी का एक नया कुल्हड़ लाएँ तथा उसमे एक लाल वस्त्र,सात काली मिर्च एवं सात ही नमक की साबुत कंकड़ी रख दें, हांडी का मुख लाल कपडे से बंद कर दें एवँ कुल्हड़ के बाहर कुमकुम की सात बिंदियाँ लगा दे फिर उसे सामने रख कर निम्न मंत्र की ५ माला जप करेँ । मन्त्र जप के पश्चात हांडी को चौराहे पर रखवा देँ. इस प्रयोग का असर देख कर आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे ।

मन्त्र-

गौरी आवे ,शिव जो ब्यावे.अमुक को विवाह तुरंत सिद्ध करेँ,

 देर ना करेँ, जो देर होए , 
तो शिव को त्रिशूल पड़े, गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै ।। 

अमुक के स्थान पर जिस लड़की का विवाह न हो रहा हो उसका नाम लिया जाएगा।
इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करेँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस उपाय को जान सके तथा हर अविवाहित कन्या तथा उसके चिँतित माता पिता तक ये सरल उपाय पहुँच सके।


किसी भी प्रकार की जानकारी , कुंडली विश्लेषण अथवा समस्या निराकरण के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ 

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जय श्री राम

लड़कोँ के शीघ्र विवाह का उपाय: / Easy remedy for Boys Marriage

लड़कोँ के शीघ्र विवाह का उपाय: 

मित्रोँ कुछ समय पूर्व मैने लड़कियोँ के शीघ्र विवाह का उपाय लिखा था अब लड़कोँ के शीघ्र विवाह के लिए एक उपाय लिख रहा हूँ:

जिन युवकोँ का विवाह नहीँ हो रहा वे किसी शुभ दिन माँ दुर्गा का मँदिर मेँ जाकर लहँगा चुनरी से श्रँगार करायेँ, श्रँगार सामग्री और दक्षिणा चढ़ाएँ। तत्पश्चात उसी साँय एक चौकी पर एक आधा मीटर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर एक पत्तल (पत्तोँ से बनी प्लेट) मेँ बूँदी के सात लड्डू, सात लौँग सात काली मिर्च, लाल मिर्च, सात बताशे व सात नमक की डली और सात रँग के फूल रखेँ । दीपक व गुगगुल की धूप जलाएँ और नीचे लिखे मँत्र की रूद्राक्ष माला पर 7 माला जप कर उपरोक्त सामग्री कपडे सहित सिर पर से सात बार उतार लेँ और जाकर चौराहे पर रख देँ। बिना पीछे देखे वापस घर आ जाएँ और हाथ मुँह धो लेँ।

ॐ नमो कामाख्या माई, 'अमुक' फौरन पत्नी पाये, तेरे बालक का घर बस जाए, बाधा कोई न आड़े आये, ग्रह बीच जो कोई अड़े, हनुमान की गदा पड़े, घर कन्या पाँय परैँ, अन्नपूर्णा भण्डार भरेँ, दुहाई ईश्वर महादेव गौरा पार्वती की, योगिनी कामरू कामाक्षा की, शब्द साँचा पिण्ड काँचा, फुरो मँत्र ईश्वरो वाचा।

अमुक के स्थान पर उस लड़के का नाम लिया जाएगा जिसके बिवाह मेँ विलँब हो रहा है।

ईश्वर की कृपा से कुछ ही सप्ताह मेँ अच्छे रिश्ते प्राप्त होँगे और जल्द विवाह होगा।


अन्य किसी प्रकार की जानकारी या कुंडली वश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते हैं 

जय श्री राम।।
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धन प्राप्ति, ऋण और दरिद्रता मुक्ति का अचूक उपाय ::-

धन प्राप्ति, ऋण और दरिद्रता मुक्ति का अचूक उपाय ::-

मित्रोँ, 
जयोतिषिओँ के पास जाने वाले अधिकाँश लोगोँ का पहला प्रश्न लगभग यही होता है कि 
"पैसा कब आयेगा? या
कमाते तो हैँ पर बचता नहीँ है क्या ऊपाय करेँ? अथवा
बहुत कर्ज मेँ डूबे हैँ कब तक पूरा चुका पाएँगे?"

आपको यहाँ धन प्राप्ति दरिद्रता नाश और ऋण मुक्ति का अचूक उपाय बता रहा हूँ जिसे आप इस श्रावण मास मेँ शुरू करेँ तो अति उत्तम होगा। यह कष्ट किसीदुष्ट ग्रह की दशा अतँर्दशा के कारण हो या अन्य से, एक बात का ध्यान रखेँ कि इनमेँ से कोई भी काम सिर्फ एक दिन के पूजा पाठ या जलाभिषेक से पूर्ण नहीँ होगा जैसा कि अक्सर टीवी वाले "विश्व विख्यात ज्योतिषगण" बता कर गुमराह करते हैँ।
ये उपाय आपको कम से कम एक वर्ष तक रोज करना होगा और तीन महीने के बाद आपको स्वयँ अपने जीवन मेँ परिवर्तन दिखने लगेगा।
किसी भी शुभ दिन से शुरू कर सकते हैँ सर्वप्रथम अपने पितृगण और गुरू को नमन करेँ, फिर भगवान गणेश , फिर माता लक्ष्मी और फिर भगवान शिव का अभिषेक और पँचोपचार पूजन करेँ, (भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को सिँदूर और भगवान शिव को पीला चँदन लगाएँ। तीनोँ को ही कमल के पुष्प अर्पित करेँ। सँभव न हो तो लाल गुलाब अन्यथा श्री गणेश व माता लक्ष्मी को लाल गुड़हल और भगवान शिव को धतूरे, आक या सफेद कनेर के फूल अर्पित करेँ। गणेशजी को दूर्वा यानि दूब घास अवश्य अर्पित करेँ तथा भगवान शिव को बेल पत्र व बेल फल और माँ लक्ष्मी को भी बेल फल अर्पित करेँ) फिर नीचे दिये गये स्तोत्रोँ का इसी क्रम मेँ 3 बार पाठ करेँ, अँत मेँ आरती करेँ और भोग लगाएँ।

||ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र ||

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
त्रिपुरस्य वधात् पूर्व शम्भुना सम्यगर्चितः |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
तारकस्य वधात् पूर्व कुमारेण प्रपूजितः |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छवि सिद्धये |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशंकरोतु मे ||
शशिना कान्तिसिद्ध्यथें पूजितो गणनायक: |सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे ||
पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः|सदैव पार्वती पुत्र ऋणनाशं करोतु मे||
इदं तु ऋणहरण स्तोत्रं तीव्रदारिद्र्य नाशनम् |एक वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः ||
दारिद्रम् दारुण त्यक्त्वा कुबेर समतां व्रजेत | फडन्तोऽयं महामंत्र: सार्धपञ्चदशाक्षर: ||

।।दरिद्र दहन स्तोत्र।।

विश्र्वेश्र्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

गौरिप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्ग्कणाय
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनुत्यकाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमःशिवाय।।

चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डल मण्डिताय
मंझीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

पञ्चाननाय फणिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

मुक्तेश्र्वराय फलदाय गणेश्र्वराय
गीतप्रियाय व्रुषभेश्र्वरवाहनाय
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्र्वराय
दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय||

।।श्री सूक्त ।।
हरिःॐ
हिरण्यवर्णांहरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।चन्द्रांहिरण्मयींलक्ष्मीं जातवेदोमआवह॥१॥

तां मआवह जातवेदोलक्ष्मी मनपगामिनीम् ।यस्यां हिरण्यंविन्देयं गामश्वंपुरुषानहम् ॥२॥

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्।श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवीजुषताम् ॥३।।

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तींतृप्तांतर्पयन्तीम् ।पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वयेश्रियम् ॥४॥

चन्द्रांप्रभासां यशसाज्वलन्तीं श्रियंलोकेदेवजुष्टामुदाराम् । तां पद्मिनीमीं शरणमहंप्रपद्ये ऽलक्ष्मीर्मेनश्यतां त्वांवृणे॥५॥

आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथबिल्वः ।तस्यफलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥

उपैतुमां देवसखः कीर्तिश्चमणिनासह ।प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्कीर्तिमृद्धिंददातुमे ॥७॥

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।अभूतिम समृद्धिंचसर्वांनिर्णुद मेगृहात्॥८॥

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टांकरीषिणीम् ।ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वयेश्रियम् ॥९॥

मनसःकाममाकूतिं वाचःसत्यमशीमहि ।पशूनां रूपमन्नस्यमयि श्रीःश्रयतांयशः ॥१०॥

कर्दमेन प्रजाभूतामयिसम्भवकर्दम ।श्रियंवासयमेकुले मातरंपद्ममालिनीम् ॥११॥

आपःसृजन्तुस्निग्धानि चिक्लीतवसमेगृहे। निचदेवींमातरं श्रियंवासयमेकुले ॥१२॥

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिंपिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।चन्द्रां हिरण्मयींलक्ष्मीं जातवेदोमआवह॥१३॥

आर्द्रां यःकरिणीं यष्टिंसुवर्णां हेममालिनीम् ।सूर्यां हिरण्मयींलक्ष्मीं जातवेदोमआवह॥१४॥

तां मआवहजातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।यस्यां हिरण्यंप्रभूतं गावोदास्योऽश्वान्विन्देयं पूरुषानहम् ॥१५॥

यःशुचिःप्रयतोभूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तंपञ्चदशर्चंच श्रीकामःसततंजपेत् ॥१६॥

मित्रोँ यूँ तो ये तीनोँ ही स्तोत्र अत्यँत प्रभावशाली हैँ कि इनमेँ से किसी एक का पाठ ही चमत्कार कर सकता है और भिखारी को भी मालामाल कर सकता है परँतु तीनोँ का इस क्रम मेँ रोज 3 बार किया गया पाठ अतिशीघ्र व कई गुना अधिक फल देता है।

अन्य किसी जानकारी के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ
8909521616

भूत, प्रेत और मसान बाधा के लिए एक अनुभूत प्रयोग

भूत, प्रेत और मसान बाधा के लिए एक अनुभूत प्रयोग 

मित्रो अक्सर बहुत सारे ग्रुप्स में लोगो को भूत प्रेत या मसान बाधा से सम्बंधित प्रश्न पूछते देखता हूँ । आज उसके लिए ही एक ऐसा अनुभूत प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हूँ जो यदि अपने ठीक से किया तो कुछ ही दिनों में पीड़ित व्यक्ति इन बाधाओं से मुक्त हो जायेगा नहीं तो जब तक आपको कोई सही व्यक्ति उपचार करने के लिए नहीं मिल जाता यानि कोई असली साधक या तांत्रिक तब तक ये फर्स्ट ऐड का काम अवश्य करेगा इसकी १००% गारंटी है ।

अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें और यदि पीड़ित ज्यादा कष्ट में हो तो किसी भी दिन कर सकते हैं । इसके लिए हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। । घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी लेकर गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावा लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस बत्ती को तिल के तेल थोडा सा चमेली का तेल मिलकर दिए में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूप भी जलाएं ।

जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी सिद्ध होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे या प्रसाद चढ़ाएंगे सुन्दरकाण्ड का पाठ कराएँगे आदि । फिर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें फिर जो आटे का दिया अपने बनाया था वो जलाएं , गुग्गुल की धूप दें गुलाब के पुष्प हनुमानजी को अर्पित करें 
  अब अपनी सुरक्षा  के लिए  एकादश मुख हनुमान कवच का पाठ  करें  और फिर शुद्ध उच्चारण से यानि जोर जोर से बोलते हुए हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है अर्थात १०८ जप करने हैं । कुछ भी हो जाये पाठ बीच में छोड़कर उठाना नहीं है साथ में एक लोटे में जल रख लें । जप पूर्ण होने के पश्चात् इस जल के छींटे पीड़ित व्यक्ति पर डालें, उसे पिलायें, पूरे घर में डालें और घर के सब सदस्य इसे पियें इसमें समय अवश्य लगेगा पर इसका असर अतुलनीय है । बजरंगबली की कृपा हुई तो पीड़ित व्यक्ति या आपका घर उस पीड़ा से मुक्त हो जायेगा यदि कहीं कुछ कमी रह गयी हो फिर भी ये इतना असर करेगा की आपकी समस्या में फर्स्ट ऐड का कम करेगा इसके बाद जब तक कोई उचित ज्ञानी व्यक्ति न मिल जाये प्रतिदिन बजरंग बन का तीन बार नियमित पाठ करते रहें । 

गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।

यदि किसी असाध्य रोग से ग्रसित हों या कोई भी पीड़ा या कष्ट जिसका समाधान न मिल रहा हो उसके लिए ये प्रयोग अवश्य करें ।

इस प्रयोग से सम्बंधित किसी जानकारी या अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा समस्या निराकरण के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ ।
8909521616(whats app)

7579400465
।। जय श्री राम।।


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Thursday, 5 September 2013

शीघ्र नौकरी पाने का सरल उपाए:


मित्रों,
आज के समय में नौकरी प्राप्त करना किसी युद्ध में विजय होने से कम नहीं है, यदि व्यक्ति अशिक्षित हो और घर पर खाली बैठा हो तो एक बार को समझ में आ सकता है पर बड़ी बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी हजारों युवा आज घर पर खाली हाथ बैठे हैं। अनपढ़ व्यक्ति तो मेहनत मजदूरी कर लेता है, रिक्शा चला लेता है पर पढ़ा लिखा डिग्री के दंभ में खाली रह जाता है।

बेरोजगारों की तादात आज इतनी है कि कहीं भी इंटरव्यू देने जाइये ५० आदमी आपसे पहले लाइन में खड़े होते हैं, अच्छी डिग्री होने के बावजूद मनपसंद नौकरी या आराम से बैठ कर की जाने वाली नौकरी या अच्छी कमाई वाली नौकरी तो बहुत दूर की बात है, अपना जेब खर्च चलाने लायक नौकरी भी नहीं मिल पाती, ऊपर से पास पड़ोस में रहने वालों के ताने, रिश्तेदारों के द्वारा बार बार पूछा जाना "अभी तक नौकरी नहीं लगी ? घर पे खाली बैठे हो?" सबसे बढ़कर चोट तब लगती है जब अपने ही माँ बाप कहने लगें की "घर पे बैठे बैठे रोटियां तोड़ता रहता है, चवन्नी भी कमाने लायक नहीं है, नाकारा" जी करता है की आत्महत्या कर लें या कहीं भाग जाएँ। नौकरी नहीं होती तो इज्ज़त भी मिलना बंद हो जाती है और शादी तो दूर का सपना होती है।

आज आपको एक ऐसा सरल उपाए बताने जा रहा हूँ जिसके प्रयोग से आजीविका का साधन सरलता से प्राप्त हो जाता है। 

इसके लिए सबसे पहले किसी ज्योतिषी या विद्वान पंडित जी से मिलकर अपनी जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का पताकर लेना चाहिए क्यूंकि ये उपाए उन लोगों को अति शीघ्र लाभ पहुंचाएगा यानि रोजगार दिलवाएगा जिनका चन्द्रमा बली हो और शुभ फल दे रहा हो या शुभ फल देने में सक्षम हो। यदि आपकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा बली है और शुभफलप्रद है तो सबसे पहले किसी ऐसे पीपल के पेड़ की खोज करें जिस पर बाँदा उगा हुआ हो अर्थात ऐसा पीपल का पेड़ जिसके ऊपर कोई अन्य पेड़ उगा हो, जो की बहुत ही सामान्य है और आपको पीपल पर बरगद, पाकड़ या जामुन जैसे वृक्ष आसानी से उगे हुए मिल जायेंगे।
जब कोई ऐसा बाँदा युक्त या बाँदा धारी पीपल का पेड़ आपको मिल जाये तो स्वयं पंचांग की मदद से या पंडित जी से पूछ कर शुक्ल पक्ष के किसी ऐसे शनिवार के दिन का चयन करें जिस दिन चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि पड़ रही रही हो। जब दिन का चयन कर लें तो उक्त तिथि से एक दिन पूर्व यानि शुक्रवार की सायंकाल उक्त पीपल के बांदे को विधि पूर्वक निमंत्रण दे आयें (जिसकी विधि आप मेरीपुरानी पोस्ट 'रत्न जड़ी धारण विधि') से प्राप्त कर सकते हैं और फिर शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान अदि कर स्वच्छ हो पुनः पूजन कर उक्त बन्दे को अपने घर ले आयें।

फिर उसी दिन प्रातः काल में या यदि उस दिन संभव न हो तो किसी अन्य शनिवार को जब फिर दिन और तिथि का यही योग बन रहा हो तो पीपल के इस बांदे को देवता की प्रतिमा मानकर इसे गंगाजल से स्नान कराएँ, इसकी पंचोपचार पूजा करें धुप दीप करें और निम्न मंत्र की रक्त चन्दन या रुद्राक्ष की माला से पञ्च माला जप करें: 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीँ महाल्क्ष्मये सर्व सौभाग्य दायिनी नमोस्तुते।

तत् पश्चात् रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र की तीन माला जप करें

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्नैश्चराये नमः।

और फिर उक्त बांदे के टुकड़े को किसी चाँदी अथवा ताम्बे के ताबीज़ में भरकर फिर उसे लाल कपडे में सिलकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें।

ईश्वर की कृपा से उक्त प्रयोग करके आपको अतिशीघ्र नौकरी प्राप्त होगी, मैंने अब तक जिन जिन लोगों को ये बना कर दिया श्री राम जी की कृपा से उन सब को इसे धारण करने के ७ सप्ताह के भीतर ही रोजगार प्राप्त हो गया। एक और बात की जब कोई नौकरी आये तो उसे स्वीकार कर लें चाहे वेतन कम ही हो बाकि अच्छे वेतन वाली नौकरी हेतु प्रयासरत रहें। ताबीज़ पहने रहें, माता महालक्ष्मी जी की कृपा से आगे के मार्ग स्वयं प्रशस्त होते रहेंगे।

जिन लोगों का चन्द्रमा बली न हो अथवा उच्च या नीच का हो और शुभ फल न दे रहा हो, वे किसी अच्छे ज्योतिषी या पंडित जी से मिलकर उसका उपचार करें और तत् पश्चात उक्त प्रयोग करें।

धन्यवाद्

।।जय श्री राम।।

प्रयोग से सम्बंधित या अन्य किसी जानकारी या सलाह हेतु या यदि आपके आस पास ये उपलब्ध न हो मंत्र सिद्ध उक्त ताबीज़ मंगवाने के लिए संपर्क कर सकते हैं
8909521616 

Thursday, 15 August 2013

Gem Herbs substitute / रत्न वनस्पति जड़ी ( The Tantrik Herbs -2 )

रत्न वनस्पति जड़ी धारण की विधि :
जैसा कि मैँने आपको अपनी पिछली पोस्ट मेँ बताया कि अत्यधिक महँगे रत्नोँ के स्थान पर आप कुछ वनस्पतियोँ की जड़ धारण कर वैसा ही लाभ उठा सकते हैँ। ये वनस्पतियाँ हजारोँ रूपयोँ क रत्नोँ की जगह बेहद कम में बाज़ार से  खरीद सकते हैँ या यदि आप स्वयँ इन्हेँ पहचानते हैँ तो विधिपूर्वक इन्हे पेड़ से ले आयेँ।
रत्न वनस्पति जड़ी को धारण करने से पूर्व उसे पहले गंगाजल अथवा कच्चे दूध से स्नान करायें.उसके बाद एक लकड़ी के पाटे/ पटरे या बाजोट पर जिस रंग का रत्न हो,उसी रंग के कपडे का टुकडा एक प्लेट में बिछाकर रत्न को उस पर स्थापित करें. शुद्ध घी का दीपक व धूप जलाकर रत्न के स्वामी ग्रह के मन्त्र का अधिकाधिक यथासंभव संख्या में या कम से कम 108 जाप करने के बाद उस रत्न को उसी वस्त्र मेँ सिलकर तथा उसी रँग के धागे मेँ पिरोकर ताबीज़ के रूप मेँ गले या भुजा पर धारण करें.
निम्न तालिका से आप सम्बन्धित रत्न का अधिष्ठाता ग्रह, रत्न वनस्पती जड़ी, रँग, उसका मन्त्र तथा उसे धारण करने के दिन तथा समय के बारे में जानकारीप्राप्त कर सकते हैं.
1. ग्रह- सूर्य, रत्न- माणिक्य, वनस्पति- बिल्व/ बेल, वस्त्र का रँग- लाल, दिन- रविवार, पूजन व धारण समय- प्रातःकाल, बीजमँत्र- ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ सः सूर्याय नम:। 


2. चँद्र, मोती, खिरनी, सफेद, सोमवार, प्रातःकाल, ॐ श्राँ श्रीँ श्रौँ सः चँद्रमसे नम:। 


3. मंगल, मूँगा, अनँतमूल, लाल या केसरिया, मँगलवार, प्रातःकाल, ॐ क्राँ क्रीँ क्रौँ सः भौमाय नम:। 


4. बुध, पन्ना, विधारा, हरा, बुधवार, प्रातःकाल, ॐ ब्राँ ब्रीँ ब्रौँ सः बुधाय नम:। 


5. बृहस्पति / गुरू, पुखराज, केला, गुरूवार, पीला, प्रातःकाल, ॐ ग्राँ ग्रीँ ग्रौँ सः गुरुवे नम:। 

6. शुक्र, हीरा, मजीठ या ऐरँड, शुक्रवार, चाँदीजैसा या सफेद, प्रातःकाल, ॐ द्राँ द्रीँ द्रौँ सः शुक्राय नम:।


7. शनि, नीलम, धतूरा/ बिच्छूघास, शनिवार, नीला, सायँकाल, ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ सः शनैश्चराय नमः।


8. राहु, गोमेद, सफेद चँदन/ अश्वगँधा, भूरा, गुरूवार, सायँकाल, ॐ भ्राँ भ्रीँ भ्रौँ सः राहुवे नम:।


9. केतु, लहसुनिया, कुश बरगद, सलेटी ग्रे, गुरुवार, सायँकाल, ॐ स्त्राँ स्त्रीँ स्त्रौँ सः केतवे नम:।


रत्न वनस्पति जड़ी सम्बँधित कुछ जिज्ञासाओँ के उत्तर:

मित्रोँ रत्न जड़ी की पोस्ट के बाद मेरे पास इससे संबंधित अनेको फोन और सौ से अधिक मैसेज आ चुके हैँ। इसी संबँध मेँ आपको बताना चाहूँगा कि

 1. आपको इसके लिए अधिक परेशान होने की आवश्यक्ता नहीँ है। सर्वप्रथम अपने शहर मेँ इन्हेँ प्राकृतिक रूप से ढूँढने का प्रयास करेँ यदि न मिले तो पंसारी से खरीद लेँ। अगर वहाँ भी न मिले तो नीचे लिखे नंबर पर फ़ोन कर आप अपनी जड़ी का बना बनाया मँत्र सिद्ध ताबीज़ मँगवा सकते हैँ। 

2. मात्रा या क्वाँटिटी? 

आपको ये बहुत ज्यादा नहीँ चाहिए, बस 1 या डेढ़ इँच लँबा 1 टुकड़ा जो आपकी किसी उँगली की मोटाई के बराबर हो जिसे आप रत्न के स्वामी ग्रह के रँग के वस्त्र मेँ सिलकर तावीज़ बना कर धारण कर सकेँ।

 3. कितनी कारगर है? 
अगर वाकई आपको उक्त रत्न की आवश्यक्ताहै तो ये जड़ी उसकी 75 -80% कमी पूरी कर देँगी। इसे पहनकर आपका एक प्रकार का ट्रायल भी हो जाएगा कि रत्न आप पर असर करेगा या नही। यदि जड़ी फायदा देगी तो रत्न अवश्य फायदा देगा। फायदा मिलने पर आप रत्न खरीद कर पहन सकते हैँ अन्यथा अक्सर लोग ऐसा कहते देखे गये हैँ कि हजारोँ रूपये का रत्न लिया पर कोई फायदा नहीँ हुआ। 

4. दुष्प्रभाव :- 

मित्रोँ प्रायः रत्नोँ के दुष्प्रभाव भी सुने जाते हैँ कि पहनते ही एक्सिडेँट हुआ, बीमारी हो गई, धँधा मँदा हो गया या गृह क्लेश शुरू हो गया। किँतु वनस्पति जड़ी इनसे पूर्णतः मुक्त होती है तथा इस प्रकार के कोई दुष्प्रभाव नहीँ देती, यदि आप गलती से भी अवाँछित जड़ी पहन लेँ तो वो ग्रह के दुष्प्रभावोँ की जगह अपना औषधीय लाभ देने लगती है। 

5. दोष :-

 रत्न मेँ अनेक दोष हो सकते हैँ पर जड़ी मेँ कोई दोष नहीँ होता बस जड़ी असली होनी चाहिए।

 6. पूर्ण लाभ कैसे मिले:- 

मित्रोँ यदि आप जड़ी का पूर्ण लाभ लेना चाहते हैँ तो ध्यान रखेँ कि जड़ी पूर्णतः वैदिक विधि द्वारा शुद्ध रूप से प्राप्त की गई हो। विधि पूर्वक न निकालने पर ये अशुद्ध हो जाती है, इसका प्रभाव काफी कम हो जाता है और जातक या धारण करने वाले को जड़ी का पूर्ण लाभ नहीँ मिलता। मित्रोँ ये जड़ी आप स्वयँ विधि पूर्वक निकालेँ तो सर्वोत्तम न मिलने पर ही बाज़ार  से लेँ। 

यदि किसी भी प्रकार न मिले तो नीचे लिखे नंबर पर फोन कर आप अपनी जड़ी का बना बनाया मँत्र सिद्ध ताबीज़ घर बैठे मँगवा सकते हैँ। (आपको भेजे जाने वाली जड़ियाँ उत्तराखण्ड के जँगलोँ से पूर्णतः वैदिक विधि द्वारा प्राप्त की जाती हैँ तथा साथ मेँ धारण विधि, अपवित्र होने पर पुनर्शुद्धि विधि व संबंधित ग्रह के मँत्रोँ एवँ उपायोँ की भी विस्तृत जानकारी भेजी जाएगी)

अन्य किसी जानकारी समस्या समाधान, कुंडली विश्लेषण हेतु संपर्क कर हैं।  
 ।।जय श्री राम।।
   08909521616
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7060202653