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Monday, 29 December 2014

प्रवाल(मूंगा) गणेश Coral Ganesh

तंत्र में अतिप्रचलित कुछ वस्तुएं

विभिन्न तंत्र साधनाओं और रोग व्याधि निवारण हेतु
1. प्रवाल गणेश
2. हरिद्रा गणेश

शुभ लाभ प्रतीक गणपति अंकित
1. पुंगी गणेश(सुपारी पर अंकित)
2. गोमती चक्र पर अंकित

3. तांत्रिकों की पारंपरिक श्रृंगार मुद्रिका/ अंगूठी
    
अधिक जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण(सशुल्क)हेतु सम्पर्क कर सकते है।

।।जय श्री राम।।
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Wednesday, 24 December 2014

शत्रुओं से छुटकारा पाने उनके उच्चाटन हेतु एक लघु प्रयोग / Easy remedy to get rid of enemies and there ucchatan:-

शत्रुओं से छुटकारा पाने हेतु एक लघु प्रयोग:-
मित्रों,
     सबके जीवन में कुछ लोग ऐसे रहते हैं जो लगातार आपको परेशान करते हैं। चाहे वो कोई रिश्तेदार हो या पडोसी या ऑफिस का कोई सहकर्मी।

कभी कभी स्वयं से जाने अनजाने कोई गलती हो जाती है और व्यक्ति आप उसके लिए माफ़ी मांग चूके होते है तो कभी परिस्थितिवश या उनके द्वारा किये गए गलत कार्य के खिलाफ कठोर शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है या सहकर्मी हो तो कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। कभी कभी आपके द्वारा किये गए अच्छे कार्य को देख कर भी लोग जलते हैं और इन सबके कारण विभिन्न रूप से परेशां करते हैं आरोप लगाते हैं बदनाम करते हैं।

इनसे व्यक्ति इतना घिर जाता है की सोचता है सब छोड़ कर भाग जाऊँ।

ऐसे ही लोगों से पीछा छुड़ाने का एक प्रयोग दे रहा हूँ। जो स्वयं भी कई बार कर चूका हूँ और दूसरों से भी सफलता पूर्वक करवा चूका हूँ।
एक बार से ही शत्रु शांत हो जाता है और परेशान करना छोड़ देता है पर यदि जल्दी न सुधरे तो पांच बार तक प्रयोग कर सकते हैं।

इसके लिए किसी भी मंगलवार या शनिवार को भैरवजी के मंदिर जाएँ और उनके सामने एक आटे का चौमुखा दीपक जलाएं। दीपक की बत्तियों को रोली से लाल रंग लें। फिर शत्रु या शत्रुओं को याद करते हुए एक चुटकी पीली सरसों दीपक में डाल दें। फिर निम्न श्लोक से उनका ध्यान कर 21बार निम्न मन्त्र का जप करते हुए एक चुटकी काले उड़द के दाने दिए में डाले। फिर एक चुटकी लाल सिंदूर दिए के तेल के ऊपर इस तरह डालें जैसे शत्रु के मुंह पर डाल रहे हों। फिर 5 लौंग ले प्रत्येक पर 21 21 जप करते हुए शत्रुओं का नाम याद कर एक एक कर दिए में ऐसे डालें जैसे तेल में नहीं किसी ठोस चीज़ में गाड़ रहे हों। इसमें लौंग के फूल वाला हिस्सा ऊपर रहेगा।
फिर इनसे छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर घर लौट आएं।

ध्यान :-
ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तम शशिश्कलधरम
                                     मुण्डमालं महेशम्।
दिग्वस्त्रं पिंगकेशं डमरुमथ सृणिं
                                   खडगपाशाभयानि।।
नागं घण्टाकपालं करसरसिरुहै
                                      र्बिभ्रतं भीमद्रष्टम।
दिव्यकल्पम त्रिनेत्रं मणिमयविलसद
                                किंकिणी नुपुराढ्यम।।

मन्त्र:-

ॐ ह्रीं भैरवाय वं वं वं ह्रां क्ष्रौं नमः।

यदि भैरव मन्दिर न हो तो शनि मन्दिर में भी ये प्रयोग कर सकते हैं।

दोनों न हों तो पूरी क्रिया घर में दक्षिण मुखी बैठ कर भैरव जी का पूजन कर उनके समक्ष कर लें और दीपक मध्य रात्रि में किसी चौराहे पर रख आएं। चौराहे पर भी ये प्रयोग कर सकते हैं। परन्तु याद रहे चौराहे पर करेंगे तो कोई देखे न वरना कोई टोक सकता है जादू टोना करने वाला भी समझ सकता है। चौराहें पर करें तो चुपचाप बिना पीछे देखे घर लौट आएं हाथ मुंह धोकर ही किसी से बात करें।
यदि एक बार में शत्रु पूर्णतः शांत न हो तो 5 बार तक एक एक हफ्ते बाद कर सकते हैं।

उक्त प्रयोग शत्रु के उच्चाटन हेतु भी कर सकते हैं पर उसमे बत्ती मदार के कपास की बनेगी और दीपक शत्रु के मुख्य द्वार के सामने जलाना होगा। उच्चाटन प्रयोग सोच समझ के करें क्योंकि किसी ने देख लिया तो बहुत पिटाई होगी। पिटाई से बचाने की मेरी कोई गारन्टी नहीं है।

किसी प्रकार की जानकारी ,कुंडली विश्लेषण या समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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Saturday, 22 November 2014

शनि अमावस्या और शनि मन्त्र पर विशेष लेख/ Shani amavasya and special shani mantras

मित्रोँ
आज शनिवार के दिन अमावस्या होने से (22 नवम्बर 2014) के दिन विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन विशाखा नक्षत्र दोपहर तक रहेगा, जिसका स्वामी देवगुरु बृहस्पति है व दोपहर बाद अनुराधा नक्षत्र रहेगा। जिसका स्वामी शनि स्वयं है। अतः गुरु धर्म के साथ पुण्य प्रदान करेगा व शनि न्याय के साथ सिद्धि देगा।
यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है। कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है, जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है
उन सभी लोगोँ के लिए शनि की शाँति का विशेष अवसर है जो शनि की महादशा, अँतर्दशा, साढेसाती , ढैय्या और जन्मकुण्डली मेँ शनि की खराब स्थिति के कारण दुख और कष्ट भोग रहे हैँ।
शनि की साढ़ेसाती तुला, वृश्चिक, धनु वालो को एवं मेष, सिंह राशि जो की शनि से ग्रसित है व जिनकी कुंडली में नीच राशि का शनि, शत्रु राशि का शनि या कमजोर शनि हो तो इस शनि देव को तिल तेल, काला कपड़ा चढ़ाएं एवं शनि का विशेष पूजन अनुष्ठान करेंगे तो शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। शनि अमावस्या के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से शनि कृत कष्टों से मुक्ति मिलती है और  मनोकामनाएं पूर्ण होंती हैं।
मित्रोँ, काफी समय से देख रहा हूँ कि टीवी पर आने वाले प्रायः सभी ज्योतिषी शनि के लिए एक ही मँत्र बता देते हैँ
"ॐ शं शनैश्चराय नमः",
ये मँत्र वाकई बहुत प्रभावशाली है किँतु सबके लिए नहीँ है जिनका शनि अच्छा है उन्हेँ ये मँत्र नहीँ जपना चाहिए । कुछ लोग तो शनि को ही ईश्वर बता कर ये मँत्र बता रहे हैँ जो पूर्णतः गलत है।
ॐ शनैश्वराय नमः॥
वहीँ कुछ लोगोँ को देखा जो शनि के नाम पर बुध और चँद्र के मँत्र तो कोई राशिनुसार मँत्र दे रहा है, पर वास्तविक स्थिति मेँ आपको अपनी कुंडली मेँ शनि की स्थिति के अनुसार मँत्र जप करना चाहिए। यदि आपको पता न हो कि आपका शनि कैसा है तो अपने पंडित जी या किसी योग्य ज्योतिषी से मिलकर पता करेँ और नीचे दिये गये मँत्रोँ को अपना कर आप लाभ उठा सकते हैँ।
1- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  उच्च का है और फायदेमँद है तो ये मँत्र जपेँ
ॐ शं नो देवीरभिष्टयः आपो भवन्तु पीतये। शं योरभिःस्त्रवन्तु नः।।
2- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  सम है यानि न अधिक फायदा दे रहा है न नुकसान तो ये मँत्र जपेँ
ॐ निलान्जनम समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम । छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
         
3- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  नीच का है तो ये मँत्र जपेँ
ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ सः शनैश्चराय नमः।।
4-यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  उच्च या नीच का होकर कष्टकारी है तो ये मँत्र जपेँ        
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
5- यदि आप कुण्डली मेँ उच्च या नीच के शनि के कारण  व्यापार मेँ नुकसान उठा रहे हैँ या रोग ग्रस्त हैँ तो ये मँत्र जपेँ  , 
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षःशिवप्रियः।मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मेशनिः॥
6- यदि दुर्घटना या पारिवारिक कष्ट या अन्य कोई बाधा हो तो ये मँत्र जपेँ
कोणस्थ पिंगलो ब्रभू कृष्णो रौद्रो दंतको यमः।सौरिः शनैश्वरो मन्दः पिप्पालोद्तः संस्तुतः॥एतानि दशनामानी प्रातः रुत्थाय य पठेतः।शनैश्वर कृता पिडा न कदाचित भविष्यती॥
7- सभी शनि कृत पीड़ाओं से मुक्ति के लिये
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का भी पाठ करना उत्तम  हैँ जो अत्यँत प्रभावशाली है।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवं कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैँ।
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भैरव अष्टमी विशेष: शत्रु नाश और न्याय प्राप्ति

शत्रु नाश/ अदालत में न्याय पाने के लिए एक सरल उपाय :

मित्रों, काफी मित्रों ने पूछा की आज यानि भैरव अष्टमी पर क्या करें तो ये प्रयोग आप आज शाम अपने घर या भैरव मंदिर में कर सकते हैं।

1- यदि आप भी अपने शत्रुओं से परेशान हैं तो आज शाम ये उपाए करें और अपने शत्रुओं से मुक्ति पायें।

एक सफ़ेद कागज़ पर भैरव मंत्र जपते हुए काजल से शत्रु या शत्रुओं के नाम लिखें और उनसे मुक्त करने की प्रार्थना करते हुए एक छोटी सी शहद की शीशी जो 15₹ की किसी भी कंपनी की मिल जाएगी में ये कागज़ मोड़ के डुबो दें व् ढक्कन बंद कर किसी भी भैरव मंदिर या शनि मंदिर में गाड़ दें। यदि संभव न हो तो किसी पीपल के नीचे भी गाड़ सकते हैं। कुछ दिनों में शत्रु स्वयं कष्ट में होगा और आपको छोड़ देगा।

मंत्र जप पूरी प्रक्रिया के दौरान करते रहना होगा। अर्थात नाम लिखने से लेकर गाड़ने तक।
मंत्र:

ॐ क्षौं क्षौं भैरवाय स्वाहा।
ॐ न्यायागाम्याय शुद्धाय योगिध्येयाय ते नम:।
नम: कमलाकांतय कलवृद्धाय ते नम:।

2:- अदालत कोर्ट कचहरी में न्याय पाने के लिए:

मित्रों यदि आप निर्दोष हैं और किसी विभागीय गलती से अथवा जानबूझ कर फंसा दिए गए हैं और न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं और न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखती तो आप ये प्रयोग करें। देश की अदालत कब करे पता नहीं पर भैरव बाबा की अदालत बहुत जल्दी न्याय करती है इसमें कोई संशय नहीं।

आप एक भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से भैरव यन्त्र का निर्माण करें। यदि उपलब्ध न हो तो सफ़ेद कागज पर काजल से भी बना सकते हैं। तत्पश्चात उसकी पंचोपचार पूजा करें और उपरोक्त मंत्र की 21 माला जप करके उसे सिद्ध करें। फिर शुद्ध चाँदी के ताबीज में भरकर उसे एक काले कपडे में सिलकर काले डोरे से अपनी दायीं भुजा में बांध लें और रोज एक माला जप करें। फैसला शीघ्र और आपके पक्ष में होगा।

परन्तु एक बात का ध्यान अवश्य रखें की ये उपाए तभी करें जब आप निर्दोष हों और आपका शत्रु अकारण ही आपको परेशां कर रहा हो या निर्दोष होने पर भी मुकदमा ज। यदि आप दोषी हैं तो भूल कर भी ये उपाए न करें अन्यथा बहुत बड़ी मुसीबत में होंगे । क्यूंकि ये मंत्र जप कर आपका केस भैरो बाबा की अदालत में होगा और आप नकली सबूतों के दम पे देश की अदालत को धोखा दे सकते हैं भगवान् की नहीं।

यदि भैरवाष्टमी पर न कर पाएं तो कृष्ण पक्ष के द्वितीय गुरुवार या शनिवार को भी ये उपाय कर सकते हैं।

प्रयोग सम्बन्धी किसी जानकारी या अन्य किसी प्रकार की सहायता के लिए अथवा ताबीज़ मंगवाने के लिए संपर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।

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Friday, 21 November 2014

Tantra Articles for Increasing Money, Black Magic Removal & Vashikaran तन्त्रोक्त सिद्ध वस्तुएं

मित्रों,
        दीपावली, 13 नवम्बर को साल के अंतिम गुरु-पुष्य नक्षत्र और भैरव अष्टमी पर सिद्ध और अभिमंत्रित कुछ तंत्रोक्त वस्तुएं :-

1. श्री बगुलामुखी कवच/ Shri Bagulamukhi kavach

2. श्री भैरव कवच/ Shri Bhairav Kavach

3. हत्था जोड़ी/ Hattha Jodi

4. सियार सिंगी/ Siyar Singi

5. काली हल्दी/ Kali Haldi

6. एकाक्षी नारियल/ Ekakshi Nariyal

7. दक्षिणावर्ती शंख/ Dakshinavarti Shankh

8. स्फटिक श्री यंत्र/ Sfatik Shri Yantra

9. धन कारक पोटली ( सिर्फ अतिविशेष व्यक्तियों हेतु चाँदी के सिक्के और 16 लक्ष्मी प्रिय वस्तुओं युक्त)/ Packet for Increasing & Stable Money( prepared with silver coin & 16 Goddess Lakshmi articles)

10. गुडलक रिंग/ Goodluck Ring

11. कामिया सिंदूर/ Kamiya Sindur

12. कुश/ डाब का बाँदा/ Kush ka Banda

13. बिल्ली की झेर/ Billi ki Jher

14. अभिमंत्रित लघु नारियल/ Abhimantrit Laghu Nariyal

सभी चित्र उपलब्ध और असली सामग्रियों के हैं । गूगल से चुराए हुए नहीं । अतः बार बार फोटो न मांगे।

जो भी मित्र लेना या मंगवाना चाहते हैं  संपर्क कर सकते हैं।
Whats App पर संपर्क करने वाले सबसे पहले अपना नाम और शहर बताएं फिर जो सामग्री चाहिए वो बताएं।
।।जय श्री राम।।
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Sunday, 9 November 2014

Shaligram : शालिग्राम: साक्षात् श्री नारायण

कार्तिक मास का इंतज़ार सनातन धर्म के मानने वालों और भगवान विष्णु, श्री जगन्नाथ और श्री कृष्ण के भक्तों एवं प्रेमियों को बड़ी आतुरता से रहता है।

विशेषतः एकादशी का क्यूंकि इस दिन उनके प्रभु निद्रा से जागते हैं और परम सती भगवती स्वरूपा माँ तुलसी से उनका विवाह होता है।
ये दिन देव प्रबोधिनी/ देवोत्थानी एकादशी के रूप में जन मानस में जाना जाता है।
इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह होता है जिसमे श्री शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है।

तुलसी विवाह की चर्चा बिना भगवान् नारायण के शालिग्राम स्वरुप का महात्म्य जाने बिना नहीं हो सकती।

भगवान शालिग्राम श्री नारायण का साक्षात् और स्वयंभू स्वरुप माने जाते हैं।
आश्चर्य की बात है की त्रिदेव में से दो भगवान शिव और विष्णु दोनों ने ही जगत के कल्याण के लिए पार्थिव रूप धारण किया।
जिसप्रकार नर्मदा नदी में निकलने वाले पत्थर नर्मदेश्वर या बाण लिंग साक्षात् शिव स्वरुप माने जाते हैं और स्वयंभू होने के कारन उनकी किसी प्रकार प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।

ठीक उसी प्रकार शालिग्राम भी नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं।

शालिग्राम भिन्न भिन्न रूपों में प्राप्त होते हैं कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र होता है तथा पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं। कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं। दुर्लभ रूप से कभी कभी पीताभा युक्त शालिग्राम भी प्राप्त होते हैं।
जानकारों व् संकलन कर्ताओं ने इनके विभिन्न रूपों का अध्यन कर इनकी संख्या 80 से लेकर 124 तक बताई है।

शालिग्राम को एक विलक्षण व मूल्यवान पत्थर माना गया है । इसे बहुत सहेज कर रखना चाहिए क्यूंकि ऐसी मान्यता है की शालिग्राम के भीतर अल्प मात्रा में स्वर्ण भी होता है। जिसे प्राप्त करने के लिए चोर इन्हें चुरा लेते हैं।

भगवान् शालिग्राम का पूजन तुलसी के बिना पूर्ण नहीं होता और तुलसी अर्पित करने पर वे तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
(किस प्रकार भगवान शिव की मदद हेतु भगवान नारायण दैत्यराज जलंधर को हराने के लिए उसकी पत्नी और अपनी परम भक्त वृंदा यानि तुलसी के श्राप के कारन शिला/ पत्थर रूप कप प्राप्त हुए वो एक दिव्य कथा है)

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वादशी को
श्री शालिग्राम और भगवती स्वरूपा तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप ,दुःख और रोग को दूर हो जाते हैं।

तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो की कन्यादान करने से मिलता है।

दैनिक पूजन में श्री शालिग्राम जी को स्नान कराकर चन्दन लगाकर तुलसी दल अर्पित करना और चरणामृत ग्रहण करना। यह उपाय मन, धन व तन की सारी कमजोरियों व दोषों को दूर करने वाला माना गया है।

पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि जिस घर में भगवान शालिग्राम हो, वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ है। इनके दर्शन व पूजन से समस्त भोगों का सुख मिलता है।

भगवान शिव ने भी स्कंदपुराण के कार्तिक माहात्मय में भगवान शालिग्राम की स्तुति की है।

ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड अध्याय में उल्लेख है कि जहां भगवान शालिग्राम की पूजा होती है वहां भगवान विष्णु के साथ भगवती लक्ष्मी भी निवास करती है।

पुराणों में यह भी लिखा है कि शालिग्राम शिला का जल जो अपने ऊपर छिड़कता है, वह समस्त यज्ञों और संपूर्ण तीर्थों में स्नान के समान फल पा लेता है।

जो निरंतर शालिग्राम शिला का जल से अभिषेक करता है, वह संपूर्ण दान के पुण्य तथा पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है।

मृत्युकाल में इनके चरणामृत का जलपान करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक चला जाता है।

जिस घर में शालिग्राम का नित्य पूजन होता है उसमें वास्तु दोष और बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती है।

पुराणों के अनुसार श्री शालिग्राम जी का तुलसीदल युक्त चरणामृत पीने से भयंकर से भयंकर विष का भी तुरंत नाश हो जाता है।

वृन्दावन के श्री राधारमण लालजू का विग्रह भी अपने अनन्य भक्त श्री गोपाल भट्ट की भक्ति से प्रसन्न हो 472 वर्ष पूर्व प्रकट हुआ था।

तुलसी शालिग्राम का सम्बन्ध कैसा अटूट है इसे इस कहावत से समझा जा सकता है जो इनके लिए ग्रामीण अंचलों में प्रयोग होती है की

" आठ पहर चौसठ घड़ी,
ठाकुर पे ठकुराइन चढ़ी।"

ये लेख एक छोटा सा प्रयास मात्र है इनके अतुलित और अपरम्पार महात्म्य की एक छोटी सी झलक देने का बाकि विराट स्वरुप धारी श्री नारायण भगवान जगन्नाथ के बारे में कुछ कह सकने लायक न मुझे ज्ञान है न क्षमता।

।।जय श्री राम।।
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Monday, 20 October 2014

Sahadevi /सहदेवी ( The Tantrik Herbs -8 )

तंत्र में अतिप्रचलित कुछ वस्तुएं
तांत्रिक जड़ी बूटियां भाग -1
Tantrik herbs part - 1
सहदेवी / Sahadevi
मित्रों
  सहदेवी एक छोटा सा कोमल पौधा होता है जो एक फुट से साढ़े तीन फुट तक की ऊँचाई का होता है। पौधा भले ही कोमल हो पर तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में ये किसी महारथी से कम नहीं है।
अपने दिव्य गुणों के कारण आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका उल्लेख्य कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु इसमें कई दिव्य गुण हैं जिसके कारण इसे देवी पद मिला और इसका नाम सहदेवी पड़ा। विभिन्न तंत्र शास्त्र और यहाँ तक की अथर्ववेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।
आशा है इससे आप इसकी महत्ता समझेंगे।
किसी रवि-पुष्य योग के दिन प्रात: सूर्योदय पूर्व शास्त्रीय विधि पूर्वक एक दिन पूर्व संध्याकाल में निमंत्रण देकर प्राप्त कर लें फिर घर लें आये और पंचामृत से स्नान कराकर उसकी विधिवत षोडशोपचार पूजा करें।
पूजन मन्त्र इस प्रकार है
"ॐ नमो भगवती सहदेवी सदबलदायिनी सर्वंजयी कुरु कुरु स्वाहा।"
तंत्र-सिद्धि में सहदेवी का पोधा विभिन कार्यो मे प्रयुक्त होता है l
यदि कोई विशेष प्रयोजन न हो तो उपरोक्त विधि से पूजित पौधे के स्वरस में शुद्ध केसर और शुद्ध गोरोचन मिलाकर गोली बना कर सुरक्षित रख लें। जब कभी आवश्यकता हो गंगाजल में घिस कर उसका तिलक करें। ये चमत्कारी प्रभाव और सर्वत्र विजय देने वाला जगत मोहन प्रयोग है।
1.  शांति, धन-धान्य-व्यापार वृद्धि के लिए :-
A.  विधिवत सिद्ध की हुई जड़ को लाल वस्त्र में लपेट कर तिजोरी मे रखने से अभीष्ट धन-वृद्धि होती है l
B.  रसोई अनाज भंडार में शुद्ध स्थल पर स्थापित करने से अन्न परिपूर्ण रहता है।
C. घर के मंदिर में स्थापित कर नित्य प्रणाम करने से घर में शांति रहती है।
2.    विवाद विजय
यदि किसी प्रकार के विवाद में फंस जाएँ और निर्णय के लिए जाना हो तो इसकी विधिवत सिद्ध की हुई जड़ को धारण करने पर निश्चित ही विजय प्राप्त होती है।
3.   प्रभाव-वृद्धि:-
पंचाग का चुर्ण तिलक की भाति मस्तक और जिह्वा पर लगा कर कही जाए तो दर्शको पर विशेष प्रभाव पड़ता हैl सब लोग इसको सम्मान की दृष्टी से देखते और सुनते है l
4.   मोहन प्रयोग `:-
A. इस पौधे की जड़ का अंजन लगाने से दृष्टी मे मोहक-प्रभाव उत्पन्न होता है l
B. तुलसी-बीजचूर्ण तु सहदेव्य रसेन सह। रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत् सकलं जगत्।।
तुलसी के बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस में पीस कर तिलक के रूप में उसे ललाट पर लगाएं। उससे उसको देखने वाले मोहित हो जाते हैं।
C. अपामार्गों भृङ्गराजो लाजा च सहदेविका। एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रैलोक्यं मोहयेन्नरः।।
अपामार्ग-ओंगा, भांगरा, लाजा, धान की खोल और सहदेवी इनको पीस कर उसका तिलक करने से व्यक्ति तीनों लोकों को मोहित कर लेता है।
मन्त्र - इन प्रयोगों की सिद्धि के लिए अग्रिम दिए हुए मंत्रों के दस हजार जप करने से लाभ होता है।
”ॐ नमो भगवते रुद्राय सर्वजगन्मोहनं कुरु कुरु स्वाहा।“        अथवा
”ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यश्य यश्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।"
5. वशीकरण प्रयोग :
A. गृहीत्वा सहदेवीं च छायाशुष्कां च कारयेत्। ताम्बूलेन च तच्चूर्ण सर्वलोकवशंकरः।।
सहदेवी को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें तथा उसे पान में डाल कर खिलाएं तो सभी का वशीकरण हो जाता है।
B. रोचना सहदेवीभ्यां तिलकं लोकवश्यकृत्।
गोरोचन और सहदेवी को मिलाकर उसका तिलक करने वाला सब को वश में कर लेता है।
वशीकरण मंत्र
”ॐ नमो नारायणाय सर्वलोकान् मम वशं कुरु कुरु स्वाहा।“
एकलक्षजपान्मन्त्रः सिद्धो भवति नान्यथा। अष्टोत्तरशतजपात् प्रयोगे सिद्धिरुत्तमा।। एक लाख जप से यह मंत्र सिद्ध होता है और प्रयोग के समय इस मंत्र का 108 बार जप करके प्रयोग करने से सफलता मिलती है।
6.  शत्रु स्तम्भन प्रयोग:
A.  ‘‘ऊँ नमो दिगंबराय अमुकस्य स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा।
अयुत जपात् मंत्रः सिद्धो भवति। अष्टोत्तर शत जपात् प्रयोगः सिद्धो भवति।
उपर्युक्त मंत्र का दस हजार जप करने से मंत्र सिद्ध होता है और आवश्यकता होने पर एक सौ आठ बार जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र – ‘अमुकस्य’ के स्थान पर जिसके आसन पर स्तंभन करना हो उसका नाम लेना चाहिए।
B. अपामार्ग और सहदेई को लोहे के पात्र में डालकर पींसें और उसका तिलक मस्तक पर लगाएं। अब जो भी देखेगा उसका स्तंभन हो जाएगा।
C. भांगरा, चिरचिटा, सरसों, सहदेई, कंकोल, वचा और श्वेत आक इन सबको समान मात्रा में लेकर कूटें और सत्व निकाल लें। फिर किसी लोहे के पात्र में रखकर तीन दिनों तक घोटें। अब जब भी उसका तिलक कर शत्रु के सम्मुख जाएंगे, तो उसकी बुद्धि कुंठित हो जाएगी।
7. अग्नि स्तम्भन
सहदेवी, घृतकुमारी और आक के रस को मिलाकर लेपन करने से अग्नि स्तंभित होती है। उक्त मिश्रण को हाथ में लगाकर यदि अग्नि में भी हाथ डाल दें  तो हाथ नहीं जलेगा। ऐसा तंत्र ग्रंथों में वर्णित है।
8.  आयुर्वेद
a . इसकी जड़ को भुजा में बाँधने से विभिन्न व्याधियां और रोग स्वतः नष्ट हो जाते हैं।
b. सहदेवी पौधे की जड़ के सात टुकड़े करके कमर में बांधने से अतिसार रोग मिट जाता है।
c. सहदेवी का पौधा नींद न आने वाले मरीजों के लिए सबसे अच्छा है . इसे सुखाकर तकिये के नीचे रखने से अच्छी नींद आती है
d. इसके नन्हे पौधे गमले में लगाकर सोने के कमरे में रख दें . बहुत अच्छी नींद आएगी . 
e.   यह बड़ी कोमल प्रकृति का होता है . बुखार होने पर यह बच्चों को भी दिया जा सकता है . इसका 1-3 ग्राम पंचांग और 3-7 काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बना कर सवेरे शाम लें . यह लीवर के लिए भी बहुत अच्छा है .
             
f.  अगर रक्तदोष है , खाज खुजली है , त्वचा की सुन्दरता चाहिए तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें .
g.   अगर आँतों में संक्रमण है , अल्सर है या फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें
h. अगर मूत्र संबंधी कोई समस्या है तो एक ग्राम सहदेवी का काढ़ा लिया जा सकता है .
i.   कंठमाला रोग में इसकी जड़ भुजा में बांधने से शीघ्र रोग मुक्ति होती है।
9.   संतान-लाभ :-
a.  यदि कोई स्त्री मासिक-धर्म से पांच दिन पूर्व तथा पांच दिन पष्चात तक गाये के घी मे सहदेवी का पंचाग सेवन करे तो अवश्य गर्भ सिथर होता है l
b.  इसको दूध में पीस कर नस्य लेने से स्वस्थ संतान पैदा होती है।
10.  प्रसव-वेदना निवारक :-
इसकी जड़ तेल मे घिसकर जन्नेद्रिये पर लेप कर दें l अथवा स्त्री की कमर मे बांध दें , तो वह प्रसव-पीढा से मुक्त हो जाती हैं l
11.  पथरी
गुर्दे की पथरी में इसके स्वरस को 4-5 पत्ते तुलसी के रस और भूमि आंवला के रस के साथ नियमित रूप से एक सप्ताह लेने पर पथरी स्वयं टूट कर बाहर आ जाती है।
मित्रों, ये तो बस झलक मात्र है इसके अनेकों प्रयोग हैं जिन्हें एक लेख में समेट पाना सम्भव नहीं है।
सबसे जरुरी ये है की आप इसके पौधे को पहचानते हों। यदि न मालूम हो तो किसी जड़ी बूटी के जानकार व्यक्ति या माली की मदद से खोज लें।
क्यूंकि इससे मिलते जुलते दर्जनों पौधे हैं और गलत पौधे पर मेहनत करने का कोई लाभ नहीं होगा।
अन्य किसी जानकारी, कुंडली विश्लेष्ण या समस्या समाधान हेतु संपर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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Friday, 3 October 2014

Remedy to get your own house, अपना घर पाने का उपाय

अपना घर दिलाएगा ये सरल उपाय

मित्रों
      आज हर आदमी का सपना है की उसका एक अपना घर हो लेकिन बढती महंगाई और जमीं मकान प्रॉपर्टी के बढ़ते दामों से अछे अच्छों की हिम्मत जवाब दे जाती है। व्यक्ति को लगता है की उसका सपना मात्र सपना ही रह जायेगा।

आज आपको ऐसा प्राचीन उपाय बता रहा हूँ जो बेहद कारगर है और आपको अपना घर प्राप्त करने में सहायता करेगा।

जिनके पास घर नहीं है उन्हें घर दिलाएग। यदि बार बार कोशिशों के बाद भी डील होते होते रह जाती है या मकान पर कब्ज़ा नहीं मिल पा रहा तो भी ये उपाय करें और आपकी कामना शीघ्र ही पूर्ण होगी।

इस उपाय में थोड़ी मेहनत अवश्य है परन्तु मिलने वाला फल भी बहुत सुंदर और अचूक है।

इसके लिए नवरात्र पर्व की नवमी तिथि पर आप किसी पहाड़ी पर स्थित देवी के मंदिर जाएँ।
सर्वप्रथम देवी का विधिवत पूजन करें। सुंदर सी चुनरी, नारियल और श्रृंगार सामग्री अवश्य चढ़ाएं।

तत्पश्चात मंदिर से बाहर आकर मंदिर के समीप या उसी पहाड़ी पर कोई साफ शुद्ध स्थान देखें। जल छिडक कर उसे साफ कर लें।
तत्पश्चात भूमि पर सिंदूर से एक अष्टदल का निर्माण करें। उक्त अष्टदल पर 11 काली हल्दी के टुकड़े एक साथ मौली/ कलावे से बांध कर देवी स्वरुप मानकर स्थापित करें।

अब इस देवी को नारियल फोड़कर उसके जल से स्नान कराएँ और और पुरे विग्रह को सिंदूर से लेपित कर दें। पुष्प चढ़ाएं व् पंचमेवा भोग स्वरुप अर्पित करें। धुप दीप करें।

अब इस स्वरुप के ऊपर वहीँ पहाड़ी पर मौजूद पत्थर और लकड़ियों से एक घर नुमा आकृति का निर्माण करें। ( चाहे तो मंदिर या झोपडी के रूप में जो आप सुगमता से कर सकें।)

इसके द्वार के आगे एक केसरिया रंग का झंडा लगायें। झंडे के स्तम्भ यानि डंडे को भी सिंदूर से लाल रंग दें और झंडे पर "श्रीं" अंकित करें।

इसके बाद निम्न मन्त्र का 11 माला जप उसी स्थान पर रुद्राक्ष या रक्त चंदन की माला से करें।

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं मे जुषतां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥
अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।।

जप के पश्चात माँ से प्रार्थना करें की हे जगत को पालने वाली माँ महालक्ष्मी जैसे मैंने एक छोटी सी कोशिश की है आपको इस सुंदर पर्वत पर एक स्थान देने की उसी प्रकार आप भी मेरी मनोकामना पूर्ण करें और मुझ गरीब को सर छुपाने और परिवार पालने हेतु एक घर प्रदान करें। उसे प्राप्त करने के मार्ग में आ रही सभी परेशानियों को दूर करें।

फिर आरती कर पूर्व में फोड़े गए नारियल को प्रसाद स्वरुप लेकर अपने घर आ जाएँ।

यदि उक्त स्थल आपके घर के करीब हो तो समय समय पर स्वयं के बनाये उक्त मंदिर की देख रेख करें व् प्रार्थना भी करते रहें।

जिन मित्रों के घर के करीब कोई ऐसा पहाड़ी स्थित मंदिर हो वे आज ही ये प्रयोग कर सकते हैं। जो मित्र दूर हैं वे चैत्र नवरात्री या गुप्त नवरात्री में उक्त प्रयोग कर सकते हैं।

प्रयोग सम्बन्धी या अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु संपर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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Sunday, 28 September 2014

Get your yantra & tabiz बनवाएं अपने ताबीज और यंत्र और पायें अपनी समस्याओं से छुटकारा

मित्रों
    शक्ति साधना के इस अति पावन पर्व शारदीय नवरात्र के समय विविध यंत्रों और ताबीजों का निर्माण किया जा रहा है।

आप भी अपनी आवश्यकतानुसार यंत्र एवं ताबीज बनवा और मंगवा सकते हैं।
अभी बनाये जा रहे ताबीज और यंत्र इस प्रकार हैं:-

1. पंचदशी यंत्र
इस यंत्र के अनेकों काम्य प्रयोग हैं और षट्कर्म में भी ये अचूक है। परन्तु इनका निर्माण सिर्फ निम्न कार्यों हेतु ही किया जा रहा है

अ. आकर्षण
ब.  सफलता प्राप्ति
स.  सर्वजन मोहन (दुकानदार/ व्यापारियों के  
       लिए विशेष लाभदायक)
द.   लक्ष्मी प्राप्ति हेतु

2.  रोग निवारण यंत्र
      विविध प्रकार के साध्यासाध्य रोगों से मुक्ति
      के लिए ये यंत्र धारण करें। जो लोग बार
      बार बीमार होते हों या रोग प्रतिरोधक
      क्षमता कम हो उन्हें ये यंत्र धारण करना
      चाहिए।

3.   स्मरहर यंत्र
      जो लोग किसी प्रकार के मनोरोग या
      अवसाद टेंशन या डिप्रेशन से ग्रस्त हैं
      गुस्सा बहुत आता है या कोई अन्य विकार
      जैसे काम क्रोध लोभ भय से ग्रस्त हों उन्हें
      इस यंत्र को धारण करना चाहिए।

4.    संकट नाशन सर्व रक्षा यंत्र
       जैसा की नाम से ही स्पष्ट है ये सब प्रकार
       के संकटों का नाश कर धारण करता की
       सदैव रक्षा करता है।

5.   पुत्र प्राप्ति/ बंध्या गर्भ मोचन यंत्र
      ये दो विविध यंत्र हैं। जिन्हें पुत्र न हो और
     कन्यायें ही होती जा रही हों ऐसी स्त्री को
     पुत्र प्राप्ति यंत्र पहनना चाहिए।

     जो स्त्रियाँ बंध्या है यानि संतान नहीं हो रही
     या गर्भ ठहरता है पर टिकता नहीं उन्हें गर्भ
     मोचन यंत्र पहनना चाहिए।
( यदि संतान मृत पैदा होती है या पैदा होते ही मर जाती है उन बहनों के लिए एक अन्य गर्भ रक्षा यंत्र भी उपलब्ध है।)

6. गृह शांति यंत्र
     जिनके घरों में रोज अकारण ही लडाई
     झगडा होता हो अथवा कलह रहती हो।
     पति-पत्नी या सास बहुओं में तलवारें खिची
     हों और परिवार का माहौल बिगड़ता जा रहा
     हो। ऐसे लोगों को गृह शांति यंत्र अपने घर
     के मंदिर में स्थापित कर नित्य पूजन करना
     चाहिए।

7.  दुर्गा बीसा यंत्र
    माँ दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए, समग्र 
    उन्नति और रक्षा के लिए तथा व्यापार वृद्धि
    और सफलता के लिए ये यंत्र बहुत प्रभावी है।

8. मिर्गी नाशक यंत्र
    मिर्गी रोग से पीड़ित बच्चों और रोगियों को
   ये यंत्र पहनना चाहिए। इसके प्रभाव से मिर्गी
   के दौरे धीरे धीरे कम होकर बिलकुल बंद हो
   जाते हैं।

9.  ऊपरी बाधा निवारण यंत्र
     जो लोग भूत प्रेत आदि से ग्रस्त हैं या बार बार इनसे पीड़ित होते हों ऐसे लोगों को ये यंत्र धारण करना चाहिए।

10.  नवग्रह शांति यंत्र
       विविध ग्रहों की खराब स्थिति से परेशा
    ं लोगो को ये यंत्र पहनना चाहिए।

जो भी मित्र ऐसी किसी समस्या से ग्रस्त हैं और यंत्र मंगवाना चाहते हैं वे मंगवाने की विधि जानने हेतु निम्न नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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Tuesday, 16 September 2014

असली कामाख्या/ कामिया सिंदूर Original Kamakhya / Kamiya Sindur

तंत्र में अति प्रचलित कुछ वस्तुएं

असली कामाख्या/ कामिया सिंदूर

दो दिन पूर्व एक मित्र ने प्रश्न पूछा की असली कामिया सिंदूर कैसा होता है?
कारण सब बेचने वाले गूगल से चुराकर सुंदर सी डिब्बी वाली फोटो डालते हैं पर सिंदूर की कोई नहीं।( उसी डिब्बी की फोटो मैंने भी साथ में डाली है)
पहचान क्या है?

तो मित्रों असली कामिया सिंदूर की फोटो यहाँ डाली है

रंग सूखे रक्त के समान होता है।
वजन में भारी होता है।( ये कागज में जरा सा दिख रहा एक तोला है )

बाकि गुण विशेषताये और प्रयोग बहुत सारे इन्टरनेट गुरुजन बाँट चुके हैं।

अन्य किसी जानकारी, कुंडली विश्लेषण या समस्या समाधान हेतु संपर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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Wednesday, 13 August 2014

पति को सौतन से छुड़ाने का उपाय Tantra Mantra for Extra Marital affair

मित्रों,
    आज के ज़माने में बदलते समय के साथ रिश्ते भी बदल रहे हैं और आदमी की प्रवृत्ति भी। विवाहेत्तर सम्बन्ध एक ऐसी  समस्या है जो अच्छे खासे परिवार को बर्बाद कर देती है, बच्चो का भविष्य अंधकारमय हो जाता है और मानसिक तनाव, झगडा फसाद, मार पिटाई, कोर्ट कचहरी कुछ नहीं छोडती।
अभी हाल में कानपुर में हुए ज्योति हत्याकांड का कारण भी यही सम्बन्ध थे। वो लड़का खुद तो जेल जायेगा ही शायद उसकी प्रेमिका भी पर उस बेचारी लड़की का क्या कसूर था? जो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

यदि आपका भी पति कहीं ऐसे ही चक्कर में पड़ गया हो या किसी के जाल मे फंस गया हो या कोई मित्र या रिश्तेदार इस समस्या से ग्रस्त हो तो निम्न प्रयोग के द्वारा आप अपने प्रिय को उसकी "वो" से छुडवा सकते हैं और अपना प्रेम पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
मंगलवार की शाम एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर एक लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी का विग्रह या चित्र स्थापित करें । सुगन्धित चमेली के तेल का दीपक और गुग्गुल की धूप जलाएं। हनुमान जी के विग्रह को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
उनके सामने एक प्लेट पर एक जोड़ा सियार सिँगी रखें उस पर कुछ बूंदे चमेली के तेल की चढ़ाएं और सिंदूर की बिंदी लगायें। उनके सामने ही एक सफ़ेद हकीक पत्थर पर हनुमान जी के दायें पैर से लिए सिंदूर से पति का एक हक़ीक पर अपना नाम लिखें और बाएं पैर के सिंदूर से एक हक़ीक   पत्थर पर सौत/ वो का नाम लिखेँ। फिर निम्न मंत्र के 51 माला जाप करेँ। और आक की लकड़ी पर घी गुग्गुल तिल से 108 आहुति दें।
मंत्र:- "ॐ अंजनी पुत्र पवनसुत हनुमान वीर वैताल साथ लावे मेरी सौत(अमुख) से पति छुडावे,उच्चाटन करे करावे मुझे वेग पति मिले।मेरा कारज सिद्ध न करे तो राजा राम की दुहाई।"
अब जिस पत्थर पर सौत का नाम लिखा हो उसे सुनसान मेँ गाड दें। अपने और पति और अपने नाम वाले हकीक सियार सिँगी के साथ डिब्बे मे डाल कर सुरक्षित रख लेँ।
कुछ ही दिनों में आपके पति का उससे अलगाव हो जायेगाऔर वो पुनः आपकी और परिवार की ओर लौट आयेगा।
यदि एक ही दिन में जप संभव न हों तो ये प्रयोग तीन दिनों में 17 माला प्रतिदिन करते हुए अंतिम दिन आहुति दें।
यदि किसी ने वशीकरण द्वारा फसाया है तो वो भी इस प्रयोग से कट जायेगा।
ये एक प्रभावी और अनुभूत प्रयोग है। अपने पति को मुक्त कराने, प्रेम बढ़ाने और सबसे जरुरी अपने परिवार को बचाने हेतु ही प्रयोग करेँ।
अन्य किसी जानकारी, सहायता या कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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