श्रीयंत्र स्वयं सिद्ध करेँ।(संक्षिप्त विधि)
मित्रों,
वैसे तो इसकी सिद्धी इतनी लंबी और कठिन है कि शायद 10 वर्ष या 1जीवन भी कम पड़े पर T.V. पर बिकने वाले और चमत्कारोँ के दावे करने वालोँ यंत्रोँ के धोखे मेँ न आकर नवरात्र के पर्व पर घर मेँ खुद ही श्रीयंत्र सिद्ध करेँ क्योँकि उन्हे(T.V. वाले को) भी आपकी पूजा एवँ श्रद्धा जाग्रत करती है न कि बेचने वाले।
सर्वप्रथम अपनी श्रद्धानुसार चाँदी, ताँबा या स्फटिक का यंत्र ले आएँ और सम्भव हो तो समस्त नवरात्र यानि प्रतिपदा से नवमी पर्यन्त करें जो सर्वोत्तम होगा।यदि न कर पाएं तो पञ्चमी, अष्टमी या नवमी को स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल की ढेरी बनाएँ फिर एक थाली पर अष्टगंध से अष्टदल बनाकर उस पर यंत्र स्थापित करेँ।
अब यंत्र को गँगाजल तथा पँचाम्रत से स्नान कराते हुए इस मंत्र
"ऐँ ह्रीँ श्रीँ महालक्ष्मयै नमः"
का 108 जप करेँ और फिर शुद्ध जल से स्नान करा कर चावल की ढेरी पर स्थापित करेँ।
यंत्र के दाँयी ओर श्री गणेश व बाँयी ओर भगवान विष्णु का प्रतिमा या चित्र रख आह्वान व पूजन करेँ।
अब यंत्र की शोडषोपचार या पंचोपचार पूजा करेँ, कमल, लाल कनेर, गुलाब, अनार के फूल, नारियल, बेलपत्र एवं बेल फल, नैवेद्य अर्पित करेँ और 51 या 108 बार श्रीसूक्त का पाठ निम्न मंत्र से सम्पुट करते हुए करेँ
"ऊँ श्रीँ हीँ श्रीँ कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीँ हीँ श्रीँ ऊँ महालक्ष्मयै नमः"।
सम्पुट ऐसे करेँ यानि "1 मंत्र -1 सूक्त/ श्लोक- 1 मंत्र, 1 मंत्र -1 सूक्त/ श्लोक- 1 मंत्र" और पाठ पूर्ण होने के बाद आरती कर भोग लगाएँ तथा प्रसाद बाँटेँ व यंत्र को घर के मंदिर, तिजोरी मेँ स्थापित करेँ व सामग्री को प्रवाहित कर देँ।
प्रतिदिन श्रीसूक्त का 1 पाठ अवश्य करेँ तथा हर पूर्णिमा एवं अमावस्या पर सम्पुटित पाठ के साथ 1 माला मँत्र जप करेँ। कुछ ही दिनो मेँ आप इसका प्रभाव देखेँगे और माँ के आशीष से आपके कष्टोँ का नाश होगा तथा अन्ऩ, धन, यश व स्वास्थ्य का लाभ व उन्ऩति होगी।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवम् कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616( whats app)
For more easy & useful remedies visit: http://jyotish-tantra.blogspot.in
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वैसे तो इसकी सिद्धी इतनी लंबी और कठिन है कि शायद 10 वर्ष या 1जीवन भी कम पड़े पर T.V. पर बिकने वाले और चमत्कारोँ के दावे करने वालोँ यंत्रोँ के धोखे मेँ न आकर नवरात्र के पर्व पर घर मेँ खुद ही श्रीयंत्र सिद्ध करेँ क्योँकि उन्हे(T.V. वाले को) भी आपकी पूजा एवँ श्रद्धा जाग्रत करती है न कि बेचने वाले।
सर्वप्रथम अपनी श्रद्धानुसार चाँदी, ताँबा या स्फटिक का यंत्र ले आएँ और सम्भव हो तो समस्त नवरात्र यानि प्रतिपदा से नवमी पर्यन्त करें जो सर्वोत्तम होगा।यदि न कर पाएं तो पञ्चमी, अष्टमी या नवमी को स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल की ढेरी बनाएँ फिर एक थाली पर अष्टगंध से अष्टदल बनाकर उस पर यंत्र स्थापित करेँ।
अब यंत्र को गँगाजल तथा पँचाम्रत से स्नान कराते हुए इस मंत्र
"ऐँ ह्रीँ श्रीँ महालक्ष्मयै नमः"
का 108 जप करेँ और फिर शुद्ध जल से स्नान करा कर चावल की ढेरी पर स्थापित करेँ।
यंत्र के दाँयी ओर श्री गणेश व बाँयी ओर भगवान विष्णु का प्रतिमा या चित्र रख आह्वान व पूजन करेँ।
अब यंत्र की शोडषोपचार या पंचोपचार पूजा करेँ, कमल, लाल कनेर, गुलाब, अनार के फूल, नारियल, बेलपत्र एवं बेल फल, नैवेद्य अर्पित करेँ और 51 या 108 बार श्रीसूक्त का पाठ निम्न मंत्र से सम्पुट करते हुए करेँ
"ऊँ श्रीँ हीँ श्रीँ कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीँ हीँ श्रीँ ऊँ महालक्ष्मयै नमः"।
सम्पुट ऐसे करेँ यानि "1 मंत्र -1 सूक्त/ श्लोक- 1 मंत्र, 1 मंत्र -1 सूक्त/ श्लोक- 1 मंत्र" और पाठ पूर्ण होने के बाद आरती कर भोग लगाएँ तथा प्रसाद बाँटेँ व यंत्र को घर के मंदिर, तिजोरी मेँ स्थापित करेँ व सामग्री को प्रवाहित कर देँ।
प्रतिदिन श्रीसूक्त का 1 पाठ अवश्य करेँ तथा हर पूर्णिमा एवं अमावस्या पर सम्पुटित पाठ के साथ 1 माला मँत्र जप करेँ। कुछ ही दिनो मेँ आप इसका प्रभाव देखेँगे और माँ के आशीष से आपके कष्टोँ का नाश होगा तथा अन्ऩ, धन, यश व स्वास्थ्य का लाभ व उन्ऩति होगी।
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