Translate
Thursday, 24 November 2022
Monday, 1 August 2022
नाग पंचमी 2022 विशेष
Sunday, 8 May 2022
वनस्पति तन्त्र: अतिदुर्लभ कुश का डबल बाँदा
बगुलामुखी जयंती 2022 विशेष
Tuesday, 3 May 2022
Akshay Tritiya: Unlimited Benefits अक्षय तृतीया: अतुल फलदायी
इस बार अक्षय तृतीया पर 11 साल बाद महामंगल योग बन रहा है. 21 अप्रैल को सूर्य मेष, चंद्रमा वृषभ और गुरु कर्क राशि में रहकर मंगलकारी योग बनाएंगे.
इस दिन दोपहर 11.59 बजे तक कृतिका व इसके बाद रोहिणी नक्षत्र लगेगा. चंद्रमा के उच्च राशि में रहने से दोनों नक्षत्र भी हर प्रकार के कार्यों में शुभता बढ़ाएंगे.
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को “अक्षय तृतीया” या “आखा तृतीया” अथवा “आखातीज” भी कहते हैं। “अक्षय” का शब्दिक अर्थ है – जिसका कभी नाश (क्षय) न हो अथवा जो स्थायी रहे। स्थायी वहीं रह सकता है जो सर्वदा सत्य है। सत्य केवल परमात्मा है जो अक्षय, अखण्ड और सर्वव्यापक है।
-> यह अक्षय तृतीया तिथि “ईश्वर तिथि” है।
-> इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है।
-> परशुरामजी की गिनती चिंरजीवी महात्माओं में की जाती है। अत: यह तिथि “चिरंजीवी तिथि” भी कहलाती है।
-> चारों युगों – सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग में से त्रेतायुग का आरंभ इसी आखातीज से हुआ है जिससे इस तिथि को युग के आरंभ की तिथि “युर्गाद तिथि” भी कहते हैं।
-> मातंगी जयंती : शक्ति साधकों के लिए भी ये अतिमहत्वपूर्ण दिन है क्योंकि ये दस महाविद्याओं में से एक देवी मातंगी की भी जयंती है इस्लीये कला संगीत का अभ्यास या अध्ययन का आरंभ करने के लिए यह काल सर्वश्रेष्ठ है।
भौतिकता के अनुयायी इस काल को स्वर्ण खरीदने का श्रेष्ठ काल मानते हैं। इसके पीछे शायद इस तिथि की ‘अक्षय’ प्रकृति ही मुख्य कारण है। यानी सोच यह है कि यदि इस काल में हम यदि घर में स्वर्ण लाएंगे तो अक्षय रूप से स्वर्ण आता रहेगा। अक्षय तृतीया कुंभ स्नान व दान पुण्य के साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए अराधना का दिन भी माना गया है।
अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।
धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई।
मातंगी : मतंग शिव का नाम है। शिव की यह शक्ति असुरों को मोहित करने वाली और साधकों को अभिष्ट फल देने वाली है। गृहस्थ जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए लोग इनकी पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया अर्थात वैशाख शुक्ल की तृतीया को इनकी जयंती आती है।
यह श्याम वर्ण और चन्द्रमा को मस्तक पर धारण करती हैं। यह पूर्णतया वाग्देवी की ही पूर्ति हैं। चार भुजाएं चार वेद हैं। मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती हैं।
पलास और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेलपत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति जो मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करेगा, वह अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में कर लेता है। वशीकरण में भी यह महाविद्या कारगर होती है।
शास्त्रों की इस मान्यता को वर्तमान में व्यापारिक रूप दे दिया गया है जिसके कारण अक्षय तृतीया के मूल उद्देश्य से हटकर लोग खरीदारी में लगे रहते हैं। वास्तव में यह वस्तु खरीदने का दिन नहीं है। वस्तु की खरीदारी में आपका संचित धन खर्च होता है
। “न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गङग्या समम्।।”
मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा सँतान भी अक्षय बनी रहती है इस दिन दीन दुःखीयोँ की सेवा करना,वस्त्रादि का दान करना ओर शुभ कर्मोँ की ओर अग्रसर रहते हुए मन वचन ओर अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करके दान अवश्य करना चाहिए|ऐसा करने से निश्चय ही अगले जन्म मेँ समृद्धि ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है
दान को वैज्ञानिक तर्कों में उर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जा सकता है।दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।
क्या करें दान
अक्षय तृतीया को पवित्र तिथी माना गया है इस दिन गँगा यमुना आदि पवित्र नदियोँ मेँ स्नान करके श्रद्धा भाव से अपने सामर्थ्य के अनुसार जल,अनाज,गन्ना,दही,सत्तू,फल,सुराही,हाथ से बने पँखे वस्त्रादि का दान करना विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है।
दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह दिवस सर्वश्रेष्ठ है।
धन के इच्छुक लोगों को-ब्राहमण पूजा करते हुये दानादि शुभ कर्म करने चाहिए व गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए, अक्षय तृतीया के दिन मंत्र साधना भी अक्षय फल प्रदान करती है अक्षय तृतीया के दिन माँ लक्ष्मी सहित व्बिष्णु जी व देवी शक्ति सहित शिव की पूजा करनी चाहिए, विशेष तौर पर गणपति की पूजा घर में धन वैभव ले कर आती है, पूजा के समय घर पर यन्त्र स्थापित करना चाहिए जो आयु आरोग्य और धन प्रदान करें,
कुछ प्रयोग:-
(1) कार्य में सफलता हेतु
श्वेतार्क या स्फटिक के गणपति जी की स्थापना और पूजन करना चाहिए। यदि काम बनते बनते बिगड़ जाते हैं या मन्ज़िल तक पहुँच कर हाथ से निकल जाते हैं तो किसी विद्वान ब्राह्मण से श्वेतार्क का ताबीज़ बनवा कर सिद्ध करवा कर पहनना चाहिए।
(2) लक्ष्मी प्राप्ति हेतु
(क)-ग्रंथों में लक्ष्मी, यश- कीर्ति की प्राप्ति उपाय के रूप में कई उपाय मिलते हैं। लक्ष्मी गायत्री मंत्र का निरंतर जाप भी इष्टप्रद है।
'महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च
धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।'
कमल गट्टे की माला से कम से कम 11 माला जप करें।
(ख) माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र को ताम्बे की बड़ी थाली में स्थापित कर पूजना चाहिए, देवी को धूप दीप, नवैद्य,पंचामृत व दक्षिणा अर्पित करें, उत्तर दिशा की ओर मुख रख कर मंत्र का जाप करें, 9 माला मंत्र जाप 21 दिन करना चाहिए, लाल रंग के आसन पर बैठ कर ही जाप करें, खीर का प्रसाद चढ़ाएं व बाँटें, देवी को नारियल व पुष्प माला अर्पित करें
मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा:।
(ग) चांदी की एक छोटी सी ढक्कन वाली डिबिया लें। इसमें नागकेसर व शहद भरकर शुक्ल पक्ष के शुक्रवार की रात को या अन्य किसी शुभ मुहूर्त में अपने गल्ले या तिजोरी में रख दें। आपकी धन में अचानक वृद्धि होने लगेगी। - नागकेसर के फूल लेकर शुक्रवार के दिन पूजन के बाद एक कपड़े में लपेटकर अपनी दुकान के गल्ले या अपने ऑफिस के केश बॉक्स में रखें तो धन की आवक कभी कम नहीं होगी।
(घ) यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार
ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः
का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
( ङ) अक्षय तृतीया पर एक लाल कपड़े में मोती शंख , गोमती चक्र, लघु नारियल, पीली कौड़ी और चाँदी के सिक्के का माँ लक्ष्मी के सामने पूजन कर 21 पाठ श्री सूक्त का करे और पोटली बना कर मन्दिर में स्थापित कर दें। पोटली खोले बिना नित्य ऊपर से ही धूप दीप करें। थोड़े ही दिनों में आर्थिक समस्या समाप्त होने लगेगी।
(3) सियार सिंगी से आकस्मिक धन प्राप्ति
यदि आपके पास सियार सिंगी है और आपको कुछ प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिल रहा तो अक्षय तीज की शाम माँ महालक्ष्मी का यथासम्भव पूजन कर चाँदी की प्लेट या सिक्के पर या फिर भोज पत्र पर केसर की स्याही और चमेली की कलम से निम्न यंत्र का निर्माण करें
____________
l६६ l ७७ l३३ ।
l४४ l६६ l४४ ।
l७७ l ४४ l७७ ।
------------
धूप दीप गंगाजल शहद फल फूल अक्षत चढ़ा कर देवी के यन्त्र को प्रतिष्ठित करें,
ॐ श्रीं श्रियै नमः ।झटिति लक्ष्मी देहि देहि स्वाहा।
मन्त्र का कम से कम 5 माला जप करें।
फिर सियार सिंगी के करीब 1/2 से 1 इंच बाल काट कर इस यंत्र पर रखें। इस पर सिंदूर और 11 अक्षत चढ़ाएं। इस भोजपत्र को मोड़कर एक पुड़िया बना लें और सामर्थ्यनुसार 50,100 या 500 के नोट में रख कर उसकी भी पुड़िया बना लें।
इसे आप अपने पर्स तिजोरी गल्ले आदि में रखें और रोज ऊपर से ही धुप दें।
ये प्रयोग निश्चित रूप से आकस्मिक धन लाभ करवाता है।
(4) आरोग्य और संतान हेतु
आरोग्य और सन्तान प्राप्ति हेतु भग७वान शिव का रुद्राभिषेक करवाएं। यदि सम्भव न हो तो रोगी के परिवार जन शिव सहस्त्रनाम का पाठ करें और रोगी स्वयं जलाभिषेक करे। निसन्तान दम्पति में पति साउच्चारण सहस्त्रनाम पाठ करे और पत्नी लिंग पर अटूट जलाभिषेक करे।
(5) अभिनय कला संगीत में सफलता हेतु
मातंगी माता का मंत्र स्फटिक की माला से बारह माला करना चाहिए
‘ऊँ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:’
(6) पारिवारिक सुख शांति उन्नति हेतु
माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करके घर- परिवार में वैभव की प्रतिष्ठा की जा सकती है। प्रातः काल, स्नानादि व तुलसी सेवन करके
'हरिजागरणं प्रातः स्नानं तुलसीसेवनम्।
उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके॥'
इस मंत्र के साथ दीपदान करें| इसी मंत्र के द्वारा सत्यभामा ने अक्षय सुख, सौभाग्य और संपदा के साथ सर्वेश्वर को सुलभ किया था।
(7) हनुमान जी को करें प्रसन्न
मंगलवार को अक्षय तीज पड़ने से हनुमान जी के भक्तों के लिए भी ये एक विशिष्ट मौका है।
इस दिन हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए उनके मन्दिर जाकर उनके सम्मुख आटे का 5 बत्ती का लौंग युक्त घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। गुलाब या आक के फूल अर्पित करें। गुग्गुल की धूप जलाकर
सुन्दरकाण्ड
हनुमान चालीसा या बजरँग बाण के 108 पाठ करें।
(7) अबूझ मुहूर्त और अक्षय फलदायी होने के कारण विभिन तंत्रोक्त वस्तुओं के जागरण, पैन प्रतिष्ठा और स्थापना के लिए भी ये स्वर्णिम अवसर है।
(8) रुद्राक्ष और रुद्राक्ष माला, इन्द्राक्षी माला की प्राण प्रतिष्ठा और धारण करना भी महाफलदायि है।
अन्य किसी जानकारी , समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
8909521616(whats app)
7579400465
7060202653
also visit: jyotish-tantra.blogspot.com
Thursday, 7 April 2022
किन मन्त्रों से हवन नहीं करना चाहिए
Tuesday, 5 April 2022
मिर्गी की आयुर्वेदिक कारगर दवा
माता वाराही की कृपा से अब मिर्गी नाशक कवच के साथ
मिर्गी एवं दौरे के लिए आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध है
जिनके दौरे एलोपैथी से भी बंद नहीं हो रहे वो भी साथ साथ ले सकते हैं
मिर्गी और दौरे अलग अलग लिखा है क्योंकि दोनो अलग हैं
सब दौरे मिर्गी नहीं होते
ये दवा दोनों में कारगर है
8 साल से अधिक उम्र के लिए
सिर्फ 5 माह का कोर्स
जिन्हें चाहिए वे सम्पर्क कर सकते हैं
मिर्गी नाशक कवच और दवा मंगवाने के लिए सम्पर्क करें
7579400465( व्हाट्सएप)
।।जय श्री राम।।