हनुमान जयंती विशेष ( रोग-कष्ट निवारक मन्त्र)
सभी मित्रों को श्री हनुमान जयंती की शुभकामनाएं
मित्रों,
हनुमान जयंती के अवसर पर और आप में से कई मित्रों के कहने पर हनुमानजी के 3 मन्त्र यहां दे रहा हूँ।
इसमें 2 शाबर मंत्र हैं, जिन्हें आप सिद्ध कर रोग, पीड़ा, बाधा नाश हेतु प्रयोग कर सकते हैं।
अपने और अपने परिवार जन के कल्याण हेतु, झाड़ा लगाने हेतु भी प्रयोग कर सकते हैं।
(1) भूत-प्रेतादि नाश एवं महामारी तथा समस्त अनिष्ट ग्रह-शान्ति के लिए
ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं हुं ॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत-पिशाच-ब्रह्म राक्षस-शाकिनी- डाकिनी-यक्षिणी-पूतना-मारीमहामा री-राक्षस-भैरव- बेताल ग्रह-राक्षसादिकान् क्षणेन हन हन भञ्जय भञ्जच मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामहेश्वर रुद्रावतार ॐ हूं फट् स्वाहा। ॐ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्वजनदुष्टजनमुखस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ठं ठं ठं फट् स्वाहा।
विधि-मंगलवार को दिन भर व्रत रहकर हनुमानजी के मंदिर में यह मन्त्र सात हजार जप करने से सिद्ध हो जाता है। मन्त्र सिद्ध हो जाने के बाद हनुमान जी के समक्ष जप का दशांश हवन भी करना चाहिए। उपरोक्त मंत्र भोजपत्र पर लाल चन्दन से लिखकर मन्त्र से अभिमन्त्रित कर ताबीज में भरकर धारण कर लेने से यह रामबाण सिद्ध होता है।
जै जै गुणवन्ती वीर हनुमान । रोग मिटे और खेल खिलाब । कारज पुरण करे पवन-सुत । जो न करे, तो मा अंजनी की दुहाई। शब्द साचा, पिण्ड काचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।
विधि : इस मंत्र को 11 माला जप कर सिद्ध करें। जपकाल में निरंतर उपले पर गुग्गुल अथवा लोबान की धूनी जाग्रत रखें।
प्रयोग : तांबे के एक कलश में या बरतन में स्वच्छ जल रखे, उसमें चिरमी के तीन दाने डाले । उसको सामने रखकर उसके ऊपर हाथ रखकर उक्त मन्त्र १०८ बार जपे। बाद में चिरमी के दानों को निकालकर रोगी के मस्तक के ऊपर फिराकर दानों को दक्षिण दिशा की ओर फेंक दे । बरतन का जल रोगी को पिलाए । इस प्रकार प्रत्येक मङ्गलवार को करे रोगी को अतिशीघ्र शान्ति मिलेगी।
(3) श्री हनुमन्त पंजर शाबर स्तोत्र
ॐ हनुमन्ते नमः ॐमहावीर हनुमता । ॐ काल हैंकार हनुमन्ता । ॐ रक्त हनुमन्ता । ॐ चल अञ्जनि-पुत्र ग्रह चल । हाक देत हांको कूदि । हनुमंत लङ्का जारि । पवन-पुत्र! अंजनी आनन्द-कारी राम दूत, हनुमंत ! खं-खं-खं । स्वं षट-ग्रह हं-हं-हं इंका
र-भाज-भाजी। शाकिनी-डाकिनी-भूत-प्रेत-पिशाच बन्ध-बन्ध । वीर हनुमंत ! ढाल बन्ध, तलवार-बन्ध, तपुक-बन्ध, नेजा-बन्ध, फरसा-बन्ध, बान-बन्ध, मोहक-बाण-बन्ध, चण्ड-बाण बन्ध रथ-बन्ध, पृथो-बन्ध, आकाश-बन्ध, पाताल-बन्ध फौज-बन्ध, कमर-बन्ध पत्थर-बन्ध अग्नि-बन्ध, वीर-बन्ध । हनुमान: न बांधो, तो माता अंजनी की दोहाई ।गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईহवरी वाचा।
मन्त्र विधि:- इस मंत्र के 1000 जप कर गुड़ गुग्गुल से दशांश हवन कर सिद्ध कर लें।
जरूरत पड़ने पर आम या अनार की टहनी या मोरपंख से झाड़ें।
स्वयं की रक्षा हेतु 21 बार पढ़ कर शरीर पर हाथ फेर लें।
अन्य किसी प्रकार की जानकारी , उपाय, कुंडली विश्लेषण एवं समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
Abhishek B. Pandey
नैनीताल, उत्तराखण्ड
Abhishek B. Pandey
नैनीताल, उत्तराखण्ड
7579400465
8909521616(whats app)
8909521616(whats app)
हमसे जुड़ने और लगातार नए एवं सरल उपयो के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें:-
हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब करें:-
No comments:
Post a Comment