कार्तिक पूर्णिमा पर कौड़ी कराएगी धन लाभ
सभी मित्रों को कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनायें।
मित्रों
आज एक छोटा सा उपाय दे रहा हूँ, जो बेहद सरल है और आपको वर्ष भर लाभ देगा।
आज शाम को प्रदोष काल में अर्थात जब न दिन हो न रात लगभग उस समय ये प्रयोग शुरू करना है। इसके लिए
शाम में एक लकड़ी की चौकी पर एक लाल वस्त्र बिछाएं उस पर हल्दी से रंगे हुए सवा मुट्ठी पीले चावलों की एक ढेरी बनाएं।
ढेरी पर सर्वप्रथम एक सुपारी को मौली या कलावा लपेट कर भगवान गणेश के रूप में स्थापित कर उनका पंचोपचार पूजन करें।
ॐ गं गणपतये नमः।
मन्त्र का जप करें।
फिर 11 लक्ष्मीदायक कौड़ियों कोस्थापित करें। माँ महालक्ष्मी का स्वरूप मानकर धूप दीप नैवेद्य से उनका भी पंचोपचार पूजन करें।
साथ में दक्षिणा स्वरूप 5 या 10 रूपये का सिक्का रखें।
फिर निम्न मन्त्र का यथासम्भव अधिकाधिक जप रुद्राक्ष या स्फटिक माला से करें
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः।
पूजन के पश्चात् लाल कपड़े को लपेट कर पोटली बनाकर अपने धन स्थान या अलमारी में रख दें और फिर कभी न छेड़ें।
अगले वर्ष इन्हें इस कामना के साथ जल में प्रवाहित कर दें कि ये आपके समस्त दुःख , दरिद्र, रोग शोकादि को लेकर जा रहे हैं। और नई कौड़ियां लेकर पुनः इसी प्रकार पूजन कर रखें।
ये प्रयोग दिखने में बेहद मामूली है पर इसके लाभ बेहद आश्चर्यजनक हैं। जिन्हें आप साल भर महसूस करेंगे।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान, अथवा कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616( whatsapp/ hike)
for more helpful remedies please visit :jyotish-tantra.blogspot.in
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आज शाम को प्रदोष काल में अर्थात जब न दिन हो न रात लगभग उस समय ये प्रयोग शुरू करना है। इसके लिए
शाम में एक लकड़ी की चौकी पर एक लाल वस्त्र बिछाएं उस पर हल्दी से रंगे हुए सवा मुट्ठी पीले चावलों की एक ढेरी बनाएं।
ढेरी पर सर्वप्रथम एक सुपारी को मौली या कलावा लपेट कर भगवान गणेश के रूप में स्थापित कर उनका पंचोपचार पूजन करें।
ॐ गं गणपतये नमः।
मन्त्र का जप करें।
फिर 11 लक्ष्मीदायक कौड़ियों कोस्थापित करें। माँ महालक्ष्मी का स्वरूप मानकर धूप दीप नैवेद्य से उनका भी पंचोपचार पूजन करें।
साथ में दक्षिणा स्वरूप 5 या 10 रूपये का सिक्का रखें।
फिर निम्न मन्त्र का यथासम्भव अधिकाधिक जप रुद्राक्ष या स्फटिक माला से करें
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः।
पूजन के पश्चात् लाल कपड़े को लपेट कर पोटली बनाकर अपने धन स्थान या अलमारी में रख दें और फिर कभी न छेड़ें।
अगले वर्ष इन्हें इस कामना के साथ जल में प्रवाहित कर दें कि ये आपके समस्त दुःख , दरिद्र, रोग शोकादि को लेकर जा रहे हैं। और नई कौड़ियां लेकर पुनः इसी प्रकार पूजन कर रखें।
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