हनुमान रक्षा मन्त्र
(नवरात्र विशेष)
(नवरात्र विशेष)
ध्यान:-
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानर यूथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
वातात्मजं वानर यूथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
मन्त्र:
वज्रान्ङ पिंगलेशाढ्य्यं स्वर्णकुण्डलमण्डितम्।
नियुद्धमुपसंक्रम्य पारावारपराक्रमम्।।
वामहस्ते गदायुक्तं पाशहस्तं कमण्डलम्।
ऊर्ध्वदक्षिणदोर्दण्डं हनुमन्तं विचिन्तयेत्।।
मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रु संहार मां रक्ष श्रीमन्नापदउद्धरम्॥
वज्रान्ङ पिंगलेशाढ्य्यं स्वर्णकुण्डलमण्डितम्।
नियुद्धमुपसंक्रम्य पारावारपराक्रमम्।।
वामहस्ते गदायुक्तं पाशहस्तं कमण्डलम्।
ऊर्ध्वदक्षिणदोर्दण्डं हनुमन्तं विचिन्तयेत्।।
मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रु संहार मां रक्ष श्रीमन्नापदउद्धरम्॥
नियम पूर्वक हनुमान जी के इस मन्त्र का 21बार जप पूजन साधना या ध्यान शुरू करने से पूर्व प्रतिदिन किया जाय तो शरीर और आध्यात्म बल की सुरक्षा होती है। भूत प्रेत बाधा परेशान नहीं करती। जादू टोने से सुरक्षा होती है। शत्रु के भय से छुटकारा मिलता है एवं मनुष्य निर्भय होता है।
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।।जय श्री राम।।
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