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Saturday, 19 August 2017

स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेतार्क गणपति / Natural Shwetark Ganapati for Health & wealth ( The Tantrik Herbs -4 )

स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेतार्क गणपति / Natural Shwetark Ganapati for Health & wealth ( The Tantrik Herbs -4 )

(Sunday, 29 December 2013 की मूल पोस्ट मेरे ब्लॉग http://jyotish-tantra.blogspot.com से)

मित्रों,
कल 20 अगस्त 2017 को रवि- पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग पड़ रहा है जो सैन्य काल 5:47 बजे तक रहेगा। इस विशेष दिन आप भी श्वेतार्क गणपति को प्राप्त कर और पूजन कर विशेष लाभ ले सकते हैं।

भगवान गणेश के श्वेतार्क रूप की साधना कर अक्षय लक्ष्मी, विद्या बुद्धि, और ऋण नाश और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसी आस्था है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष वैदिक विधि के साथ आमंत्रित कर जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।

श्वेतार्क वृक्ष से सभी परिचित हैं। इसे सफेद आक, मदार, श्वेत आक, राजार्क, आदि नामों से जाना जाता है। सफेद फूलों वाले इस वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है। इसलिए प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जहां भी यह पौधा रहता है, वहां इसकी पूजा की जाती है। इससे वहां किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती। वैसे इसकी पूजा करने से साधक को काफी लाभ होता है।

अगर रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में विधिपूर्वक इसकी जड़ को खोदकर ले आएं और पूजा करें, तो कोई भी विपत्ति जातकों को छू भी नहीं सकती। ऐसी मान्यता है कि इस जड़ के दर्शन मात्र से भूत-प्रेत जैसी बाधाएं पास नहीं फटकती।

अगर इस पौधे की टहनी तोड़कर सुखा लें और उसकी कलम बनाकर उससे यंत्र का निर्माण करें, तो यह यंत्र तत्काल प्रभावशाली हो जाएगा।इसकी कलम में देवी सरस्वती का निवास माना जाता है।

 वैसे तो इस जड़ के प्रभाव से सारी विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं । इसकी जड़ में दस से बारह वर्ष की आयु में भगवान गणेश की आकृति का निर्माण होता है।

श्वेतार्क की कथा/ किंवदंती:

कहा जाता है कि जब भस्मासुर दैत्य ने भगवान शिव से अपने हाथ से सब भस्म करने का वरदान पाया तो उसने भगवान शिव पर भी अपना हाथ रख उन्हें भस्म करने का प्रयत्न किया। तब भगवान शिव किसी प्रकार वहां से बचकर निकल गए किन्तु भस्मासुर उनका पीछा करता रहा। ऐसी स्थिति में वे एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां श्वेतार्क के पौधे ही थे अन्य कोई स्थान नहीं तब भगवान शिव ने एक भँवरे का रूप धारण किया और श्वेतार्क के पेड़ में छिपके स्वयम को भस्मासुर से बचाया उसी दौरान भीषण गर्मी के कारण उनके शरीर से पसीने की कुछ बूंदे गिरीं जो श्वेतार्क की जड़ पर पड़ी और उन बूंदों ने उनके पुत्र यानी भगवान गणेश का रूप लिया।
तबसे श्वेतार्क में स्वयम ही भगवान गणेश की आकृति उभरने लगी और श्वेतार्क का प्राकृतिक गणपति रूप में पूजन शुरू हुआ।

**श्वेतार्क की जड़ को ही भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है इसलिए विधिपूर्वक जड़ निकाल कर उसका पूजन ही सर्वश्रेष्ठ है। जड़ में भगवान की साक्षात मूर्ति बहुत किस्मत वालो को ही मिलती है किंतु फिर भी जड़ में भगवान गणेश की आकृति अवश्य ही झलकती है।

** यदि इतनी पुरानी जड़ न मिले और उसमें कहीं भी आकृति न झलकेऔर आप मूर्ति ही बनवाना चाहे तो वैदिक विधि पूर्वक इसकी जड़ निकाल कर इस जड़ की लकड़ी में सोने या चाँदी की सुई या औजारों से से गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर बनाएं।
यह प्रतिमा आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए।

**(एक विशेष बात की मूर्ति निर्माण में लोहे के औजारों का प्रयोग न करें अन्यथा पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा, अपितु मुसीबत भी आ सकती है)

प्राप्त करने की सामान्य विधि:

इसके लिए आज शाम को एक लोटा जल, अक्षत, रोली-कुमकुम,एक सुपारी, लौंग, इलायची और कुछ मिठाई या बताशे लेकर श्वेतार्क के पौधे के समीप जाएं फिर जल और सब सामग्री अर्पित कर प्रार्थना करें

"है दिव्य वनस्पति देव कल प्रातः मैं अपने कल्याणार्थ आपको लेने आऊंगा आप मेरे मनोरथ पूर्ण करें।"

फिर रविवार प्रातः काल सूर्योदय पूर्व जाकर एक बार पुनः नमन और प्रार्थना कर पौधा निकाल लें।

 इसकी विधिवत पूजा करें। पूजन में लाल कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लाएं। एक लकड़ी के चौके या पाटे पर एक पीला वस्त्र बिछाएं । उस पर एक प्लेट रखे वव प्लेट पर कुमकुम या सिंदूर से अष्टदल बनायें इसके ऊपर फूल बिछाकर आसन दें व श्वेतार्क गणपति को विराजमान करें फिर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें और इस मंत्र का 1 माला जप करें

“ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा”

से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र

“ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा”

से 108 आहुति दें। लाल कनेर के पुष्प, शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है।

इसके बाद गणपति कवच का तीन बार पाठ करें अथार्वशिर्ष का 11 पाठ करें ततपश्चात11 माला जप नीचे लिखे मँत्र का करेँ और प्रतिदिन कम से 1 माला करेँ

"ॐ गँ गणपतये नमः"

का जप करें।अब

“ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः”

मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें।

वैसे आयुर्वेद मेँ इसका प्रयोग चर्म रोगों, पाचन समस्याओं, पेट के रोगों, ट्यूमरों, जोड़ों के दर्द, घाव और दाँत के दर्द को दूरकरने में किया जाता है। इस पेड़ का दूध गंजापन दूर करने और बाल गिरने को रोकनेवाला है। इसके फूल, छाल और जड़ दमेऔर खाँसी को दूर करने वाले माने गए हैं।

धार्मिक दृष्टि से श्वेत आक को कल्प वृक्ष की तरह वरदायक वृक्ष माना गयाहै। श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होकर इस पौधे से कुछ माँगने पर यह अपनी जान देकर भी माँगने वाले की इच्छा पूरी करता है।

यह भी कहा गया है कि इसप्रकार की इच्छा शुद्ध होनी चाहिए। ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।

श्वेतार्क के ताँत्रिक, लक्ष्मी प्राप्ति, ऋण नाशक, जादू टोना नाशक, नज़र सुरक्षा के इतने प्रयोग हैँ कि पूरी किताब लिखी जा सकती है।

थोड़ी सी मेहनत कर आप भी अपने घर के आस पास या किसी पार्क आदि मेँ श्वेतार्क का पौधा प्राप्त कर सकते हैँ।

श्वेतार्क गणपति / श्वेतार्क मूल प्रयोग:-

(१) सफेद आक की जड़ रविपुष्य नक्षत्र में लाल कपड़े में लपेटकर सिंदूर मिश्रित चावल के आसन पर श्वेतार्क गणपति जी को विराजमान कर लें। हल्दी, चन्दन, धूप, दीप, नैवेद्य से देव की पूजा करें। नित्य गणपति स्तोत्र का पाठ किया करें, धन-धान्य का अभाव नहीं रहेगा।घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहेगी। नित्य 11 दूर्वादल अर्पण कर श्रद्धापूर्वक गणपति जी का ध्यान किया करें, प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी तथा सब प्रकार के विघ्नों से आपकी रक्षा होगी।

(२) सफेद आक की जड़ का गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक नित्य 'ऊँ गं गणपतये नम' मंत्र से पूजा करें, सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होगी तथा मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होंगी।

(३) सिद्धी की इच्छा रखने वालोँ को 3 मास तक इसकी साधना करने से सिद्धी प्राप्त होती है।

(४) जिनके पास धन न रूकता हो या कमाया हुआ पैसा उल्टे सीधे कामोँ मेँ जाता हो उन्हेँ अपने घर मेँ श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए।

(५) जो लोग कर्ज मेँ डूबे हैँ उनके लिए कर्ज मुक्ति का इससे सरल अन्य कोई उपाय नही है।
11 या 21 दिन के अनुष्ठान से आर्थिक एवम पितृ ऋण का नाश होता है।

(६) दुकान में अलमारी या गल्ले में रखने से धनागम सुचारू रूप से चलता रहता है और व्यापर में न तो मंदी आती है न किसी विरोधी की बुरी नज़र या किये कराये का असर होता है।

(७) जो लोग ऊपरी बाधाओँ और रोग विशेष से ग्रसित हैँ इसकी पूजा से या ताबीज धारण करने से वायव्य बाधाओँ से तुरँत मुक्ति और स्वास्थ्य मेँ अप्रत्याशित लाभ पा सकते हैँ।

(८) जिनके बच्चोँ का पढ़ने मेँ मन न लगता हो वे इसकी स्थापना और पूजन कर या इसका ताबीज पहना कर बच्चोँ की एकाग्रता और सँयम बढ़ा सकते है।

(९) पुत्रकाँक्षी यानि पुत्र कामना करने वालोँ को इसके समक्ष गणपति पुत्रदा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। संतान हीन स्त्रियों को श्वेतार्क ताबीज धारण करने से संतान प्राप्ति शीघ्र होती है

(१०) श्वेतार्क की जड़, गोरोचन तथा गोघृत में घिसकर तिलक किया करें, वशीकरण तथा सम्मोहन में इससे त्वरित फल मिलेगा।

(११) होलिका में श्वेतार्क की जड़ तथा छोटे से एक शंख की राख बनाकर रख लें। इससे नित्य तिलक किया करें, दुर्भिक्षों से रक्षा होगी।

(१२) श्वेतार्क से गणपति की प्रतिमा बनाकर घर में स्थापित करें।

(१३) श्वेतार्क की जड़, मूंगा, फिटकरी, लहसुन तथा मोर का पंख एक थैली में सिल लें। यह एक नजरबट्टू बन जाएगा। बच्चे के सोते समय चौंकना, डरना, रोना आदि में यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।

(१४) श्वेतार्क की जड़ 'ऊँ नमो अग्नि रूपाय ह्रीं नमः' मंत्र जपकर पास रख लें, यात्रा में दुर्घटना का भय नहीं रहेगा।

(१५) पूर्णिमा की रात्रि सफेद आक की जड़ तथा रक्तगुंजा को बकरी के दूध में घिसकर तिलक करें और 'ऊँ नमः श्वेतगात्रे सर्वलोक वंशकरि दुष्टान वशं कुरू कुरू (अमुकं) में वशमानय स्वाहा' मंत्र का जप करें। अमुक के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम जप करें जिसको वश में करना है।

श्वेतार्क पौधे के प्रयोग:-

(१) श्वेतार्क का पौधा घर के मुख्य द्वार के बाहर इस प्रकार लगाना चाहिए कि घर से निकलते समय पौधा आपके बायीं तरफ हो।

(२) इसके पौधे को लाल पीले वस्त्र पहना कर नित्य जल देने एवं दीप जलाने से समृद्धि बढ़ती है।
मन्त्र- ॐ नमो विघ्नहराय गणपतये नमः।

(३)सफेद आक के फूलों से शिव पूजन करें, भोले बाबा की कृपा होगी।

(४)श्वेतार्क के नीचे बैठकर प्रतिदिन साधना करें, जल्दी फल मिलेगा।

(५)वृक्ष के नीचे बैठकर प्रतिदिन 'ऊँ गं गणपतये नमः' की एक माला जप करें, हर क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

(६)श्मशान स्थित श्वेतार्क के नीचे गुरु सानिध्य में साधना करने से प्रेत एवं वीर की सिद्धि मात्र 7 दिनों में होती है।

(७) श्वेतार्क के पत्ते पर अपने शत्रु का नाम इसके ही दूध से लिखकर जमीन में दबा दिया करें, वह शांत रहेगा।

9. श्वेतार्क के फल से निकलने वाली रुई की बत्ती तिल के तेल के दीपक में जलाकर लक्ष्मी साधनाएँ करें, माँ की आप पर कृपा बनी रहेगी ।

(१०) इसके पत्ते पर भगवान राम का नाम सिंदूर से लिखकर इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करने से हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है।

(११) श्वेतार्क की रुई से दीप जलाकर हनुमान जी की साधना करने पर पितृ एवं दुष्ट ग्रहों की बाधाएं समाप्त होती हैं।

(१२) इसकी समिधा से भगवान गणपति, भगवान सूर्य और महामृत्युंजय मंत्र का हवन एक साथ करने से बड़े से बड़ा असाध्य रोग भी दूर हो जाता है।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवम कुंडली विश्लेषण के लिए के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ।

।।जय श्री राम ।।

Abhishek B. Pandey
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