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Tuesday 23 April 2024

Hanumat kalp हनुमत कल्प

 श्री हनुमान जयंती की शुभकामनाएं

इस शुभ अवसर पे विशेष


।।श्रीहनुमत्कल्पः।।



देव्युवाच ।

शैवादिगाणपत्यादिशाक्तानि वैष्णवानि च ।

साधनानि च सौराणि चान्यानि यानि कानि च ॥ १॥


एतानि देवदेवेश त्वदुक्तानि श्रुतानि च ।

किञ्चिदन्यच्च देवानां साधनं यदि कथ्यताम् ॥ २॥


शङ्कर उवाच ।

श‍ृणु देवि प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय ।

हनुमत्साधनं पुण्यं महापातकनाशनम् ॥ ३॥


एतद् गुह्यतमं लोके शीघ्रसिद्धिकरं परम् ।

जपो यस्य प्रसादेन लोकत्रयजितो भवेत् ॥ ४॥


तत्साधनविधिं वक्ष्ये नृणां सिद्धिकरं मतम् ।

हुङ्कारमादौ सम्प्रोक्तं हनुमते तदनन्तरम् ।

रुद्रात्मकाय हुं चैव फडिति द्वादशाक्षरम् ॥ ५॥


      हुं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ॥


एतन्मन्त्रं समाख्यातं गोपनीयं प्रयत्नतः ।

तव स्नेहेन भक्त्या च ददामि तव सुन्दरि ॥ ६॥


एतन्मन्त्रमर्जुनाय पुरा दत्तं तु शौरिणा ।

जपेन साधनं कृत्वा जितं सर्वं चराचरम् ॥ ७॥


नदीकूले विष्णुगेहे निर्जने पर्वते वने ।

एकाग्रचित्तमाधाय साधयेत् साधनं महत् ॥ ८॥


ध्यानम् ।

महाशैलं समुत्पाट्य धावन्तं रावणं प्रति ।

तिष्ठ तिष्ठ रणे दुष्ट मम जीवन्न मोक्ष्यसे ॥ ९॥


इति ब्रुवन्तं कोपेन क्रोधरक्तमुखाम्बुजम् ।

भोगीन्द्राभं स्वलाङ्गूलमुत्क्षिपन्तं मुहुर्मुहुः ॥ १०॥


लाक्षारक्तारुणं रौद्रं कालान्तकयमोपमम् ।

ज्वलदग्निसमं नेत्रं सूर्यकोटिसमप्रभम् ॥ ११॥


अङ्गदाद्यैर्महावीरैर्वेष्टितं रुद्ररूपिणाम् ।

एवं रूपं हनूमन्तं ध्यात्वा यः प्रजपेन्मनुम् ॥ १२॥


लक्षजापात्प्रसन्नः स्यात् सत्यं ते कथितं मया ।

ध्यानैकमाश्रितानां च सिद्धिरेव न संशयः ॥ १३॥


प्रातः स्नात्वा नदीतीर उपविश्य कुशासने ।

प्राणायामं षडङ्गं च मूलेन सकलं चरेत् ॥ १४॥


पुष्पाञ्जल्यष्टकं दत्त्वा ध्यात्वा रामं ससीतकम् ।

ताम्रपात्रे ततः पद्ममष्टपत्रं सकेसरम् ॥ १५॥


रक्तचन्दनघृष्टेन लिखेत्तस्य शलाकया ।

कर्णिकायां लिखेन्मन्त्रं तत्रावाह्य कर्पि प्रभुम् ॥ १६॥


कर्णिकायां यजेद्देवं दत्त्वा पाद्यादिकं ततः ।

गन्धपुष्पादिकं चैव निवेद्य मूलमन्त्रतः ॥ १७॥


सुग्रीवं लक्ष्मणं चैव अङ्गदं नलनीलकम् ।

जाम्बवन्तं च कुमुदं केसरिणं दले दले ॥ १८॥


पूर्वादिक्रमतो देवि पूजयेद् गन्धचन्दनैः ।

पवनं चाञ्जनीं चैव पूजयेद् दक्षवामतः ॥ १९॥


दलाग्रेषु क्रमात्पूज्या लोकपालास्ततः परम् ।

ध्यात्वा जपेन्मन्त्रराजं लक्षं यावच्च साधकः ॥ २०॥


लक्षान्ते दिवसं प्राप्य कुर्याच्च पूजनं महत् ।

एकाग्रमनसा धीमांस्तस्मिन् पवननन्दने ॥ २१॥


दिवारात्रौ जपं कुर्याद् यावत्सन्दर्शनं भवेत् ।

सुदृढं साधकं मत्वा निशीथे पवनात्मजः ॥ २२॥


सुप्रसन्नस्ततो भूत्वा प्रयाति साधकाग्रतः ।

यथेप्सितं वरं दत्त्वा साधकाय कपिप्रभुः ॥ २३॥


सर्वसौख्यमवापोन्ति विहरेदात्मनः सुखैः ।

एतच्च साधनं पुण्यं देवानामपि दुर्लभम् ।

तव स्नेहात् समाख्यातं भक्तासि यदि पार्वति ॥ २४॥


वीरसाधनम् ।

हनुमतोऽतिगुह्यं च लिख्यते वीरसाधनम् ।

बाह्ये मुहुर्त उत्थाय कृतनित्यक्रियो द्विजः ॥ २५॥


गत्वा नदीं ततः स्नात्वा तीर्थमावाह्य त्वष्टधा ।

मूलमन्त्रं ततो जप्त्वा संसिक्तो नित्यसङ्ख्यया ॥ २६॥


ततो वासः परीधाय गङ्गातीरेऽथवा शुचौ ।

उपविश्य ।

ॐ अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।

ॐ हृदयाय नम इत्यादिना च कराङ्गन्यासौ कुर्यात् ।


करन्यासः -

ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।

ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।

ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः ।

ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः ।

ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।

ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।


अङ्गन्यासः -

ॐ ह्रां हृदयाय नमः ।

ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा ।

ॐ ह्रूं शिखायै वषट् ।

ॐ ह्रैं कवचाय हुं ।

ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।

ॐ ह्रः अस्त्राय फट् ।


प्राणायामः ।

अकारादिवर्णानुच्चरन्वामनासापुटेन वायुं पूरयेत् ।

पञ्चवर्गानुच्चरत्कुम्भयेत्, यकाराद्येन रेचयेत् ॥


एवं वारत्रयं कृत्वा मन्त्रवर्णैरङ्गन्यास कुर्यात् ।


ध्यानम् ।

ध्यायेद्गणे हनूमन्तं कपिकोटिसमन्वितम् ।

धावन्तं रावणं जेतुं दृष्ट्वा सत्वरमागतम् ॥ २७॥


लक्ष्मणं च महावीरं पतितं रणभूतले ।

गुरुं च क्रोधमुत्पाद्य गृहीत्वा गुरुपर्वतम् ॥ २८॥


हाहाकारैः सदण्डैश्च कम्पयन्तं जगत्त्रयम् ।

आब्रह्माण्डसमप्रस्थं कृत्वा भीमं कलेवरम् ॥ २९॥


मन्त्रः ।

श्रीबीजं पूर्वमुच्चार्य पवनं च ततो वदेत् ।

नन्दनं च ततो देयं ङेऽवसानेऽनलप्रिया ॥


श्रीपवननन्दनाय स्वाहा ॥ ३०॥


दशार्णोऽयं मनुः प्रोक्तो नराणां सुरपादपः ।

सप्तदिवसं महाभयं दत्त्वा त्रिभागशेषासु निशासुनियतमागच्छति ।

यदि साधको मायां तरति ईप्सितं वरं प्राप्नोति ॥


विद्या वापि धनं वापि राज्यं वा शत्रुनिग्रहम् ।

तत्क्षणादेव प्राप्नोति सत्यं सत्यं सुनिश्चितम् ॥ ३१॥


॥ इति तन्त्रसारोक्त श्रीहनुमत्कल्पः संपूर्णः ॥


।। जय श्री राम।।


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Friday 5 May 2023

कूर्म जयंती एवं गोरख जयंती की शुभकामनाएं

श्री विष्णु स्वरूप कूर्म एवं बुद्ध जयंती तथा
शिव स्वरूप बाबा गोरखनाथ जयंती की शुभकामनाएं

रोग एवं तंत्र मंत्र निवारण मन्त्र

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा

कूर्म जयंती महत्व

जिस दिन भगवान विष्णु जी ने कूर्म का रूप धारण किया था उसी तिथि को कूर्म जयंती के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों नें इस दिन की बहुत महत्ता मानी गई है. इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू किया जाना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि योगमाया स्वरूपा बगलामुखी स्तम्भित शक्ति के साथ कूर्म में निवास करती है. कूर्म जयंती के अवसर पर वास्तु दोष दूर किए ज सकते हैं, नया घर भूमि आदि के पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय होता है तथा बुरे वास्तु को शुभ में बदला जा सकता है.

श्री कूर्म भगवान मन्त्र

ॐ श्रीं कूर्माय नम:।

श्री कूर्म भगवान के कुछ सरल प्रयोग

1) महावास्तु दोष निवारक मंत्र
दुर्भाग्य बश यदि आपका पूरा मकान निवास स्थान या फ्लेट ही वास्तु विरुद्ध बन गया हो और आप किसी भी हालत में उसमें सुधार नहीं कर सकते
तो केवल महावास्तु मंत्र का जाप एवं कूर्म देवता की पूजा करनी चाहिए जिसका विधान है कि

सबसे पहले लाल चन्दन और केसर कुमकुम मिला कर एक पवित्र स्थान पर कछुए की आकृति बना लेँ
कछुए के मुख की ओर सूर्य तथा पूछ की ओर चन्द्रमा बना लेँ
सुबिधानुसार आप धातु का बना कछुआ भी पूजन हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं
फिर धूप दीप फल ओर गंगाजल या समुद्र का जल अर्पित करें
भूमि पर ही आसन बिछ कर रुद्राक्ष माला से 11 माला मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ ह्रीं कूर्माय वास्तु पुरुषाय स्वाहा

जाप पूरा होने के बाद घर अथवा निवास स्थान के चारों ओर एक एक कछुए का छोटा निशान बना दें
ऐसा करने से पूरी तरह वास्तु दोष से ग्रसित घर भी दोष मुक्त हो जाता है दिशाएं नकारात्मक प्रभाव नहीं दे पाती उर्जा परिवर्तित हो जाती है

2)वास्तु दोष निवारक महायंत्र
यदि आप ऐसी हालत में भी नहीं हैं कि पूजा पाठ या मंत्र का जाप कर सकें और आप नकारात्मक वास्तु के कारण बेहद परेशान है
घर दूकान या आफिस को बिना तोड़े फोड़े सुधारना चाहते हैं तो उसका दिव्य उपाय है महायंत्र
वास्तु का तीब्र प्रभावी यन्त्र
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121 177 944
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533 291 311
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657 111 312
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यन्त्र को आप सादे कागज़ भोजपत्र या ताम्बे चाँदी अष्टधातु पर बनवा सकते हैं
यन्त्र के बन जाने पर यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए
प्राण प्रतिष्ठा के लिए पुष्प धूप दीप अक्षत आदि ले कर यन्त्र को अर्पित करें
पंचामृत से सनान कराते हुये या छींटे देते हुये 21 बार मंत्र का उच्चारण करें

मंत्र-ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:

अब पीले रंग या भगवे रंग के वस्त्र में लपेट कर इस यन्त्र को घर दूकान या कार्यालय में स्थापित कर दीजिये

पुष्प माला अवश्य अर्पित करें
इस प्रयोग से शीघ्र ही वास्तु दोष हट जाएगा

3) तनाव मुक्ति हेतु

चांदी के गिलास बर्तन या पात्र पर कछुए का चिन्ह बना कर भोजन करने व पानी पीने से भारी से भारी तनाब नष्ट होता है ।

4) उत्तम स्वास्थ्य हेतु

चार पायी बेड अथवा शयन कक्ष में धातु का कूर्म अर्थात कछुआ रखने से गहरी और सुखद निद्रा आती है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है ।

रसोई घर में कूर्म की स्थापना करने से वहां पकने वाला भोजन रोगमुक्ति के गुण लिए भक्त को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है ।

5) कूर्म श्री यन्त्र

कछुवे की पीठ पर श्री यन्त्र समतल अथवा पिरामिड आकार में प्रायः देखने को मिल जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से जहां ये काम, क्रोध, लोभ, मोह का शमन कर कुंडली जागरण द्वारा मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। वहीं दूसरी ओर भौतिक सुखों की छह रखने वालों के लिए ये स्थिर लक्ष्मी, सम्पदा, सौख्य और विजय देने का भी प्रतीक माना जाता है।

6) नए भवन निर्माण में समृद्धि हेतु

यदि नया भवन बना रहे हैं तो आधार में चाँदी का कछुआ ड़ाल देने से घर में रहने वाला परिवार खूब फलता-फूलता है ।

7) शिक्षा में स्थिर चित्त हेतु

बच्चों को विद्या लाभ व राजकीय लाभ मिले इसके लिए उनसे कूर्म की उपासना करवानी चाहिए तथा मिटटी के कछुए उनके कक्ष में स्थापित करें ।

8) विवाद विजय में

यदि आपका घर किसी विवाद में पड़ गया हो या घर का संपत्ति का विवाद कोर्ट कचहरी तक पहुँच गया हो तो लोहे का कूर्म बना कर शनि मंदिर में दान करना चाहिए ।

9) शत्रु मुक्ति

घर की छत में कूर्म की स्थापना से शत्रु नाश होता है उनपर विजय मिलती है।

10)भूमि दोष नाशक मंत्र उपाय

यदि आपका घर या जमीन ऐसी जगह है जहाँ भूमि में ही दोष है
आपका घर किसी श्मशान भूमि ,कब्रगाह ,दुर्घटना स्थल या युद्ध भूमि पर बना है या कोई अशुभ साया या जमीनी अशुभ तत्व स्थान में समाहित हों
जिस कारण सदा भय कलह हानि रोग तानाब बना रहता हो तो जमीन में मिटटी के कूर्म की स्थापना करनी चाहिए
एक मिटटी का कछुआ ले कर उसका पूजन करें
पूजन के लिए घर के ब्रह्मस्थल में भूमि पर लाल वस्त्र बिछा लेँ
फिर गंगाजल से स्नान करवा कर कुमकुम से तिलक करें
पंचोपचार पूजा करें अर्थात धूप दीप जल वस्त्र फल अर्पित करें चने का प्रसाद बनाये व बांटे

7 माला मंत्र जाप पूर्व दिशा की और मुख रख कर करें

मंत्र-ॐ आधार पुरुषाय जाग्रय-जाग्रय तर्पयामि स्वाहा।

साथ ही एक माला पूरी होने पर एक बार कछुए पर पानी छिड़कें

संध्या के समय भूमि में तीन फिट गढ्ढा कर गाड़ दें
समस्त भूमि दोष दूर होंगे

11) अदृश्य शक्ति नाशक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके घर में कोई अदृश्य शक्ति है ,किसी तरह की कोई बाधा है तो कूर्म की पूजा कर उसे मौली बाँध दें ,लाल कपडे में बंद कर धूप दीप करें , निम्न मन्त्र का 11 माला जप करें

मंत्र-ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय ।

रात के समय इसे द्वार पर रखे तथा सुबह नदी में प्रवाहित कर दें
इससे घर में शीघ्र शांति हो जायेगी।

12)भूमि भवन सुख दायक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके पास ही घर क्यों नहीं है? आपके पास ही संपत्ति क्यों नहीं है?
क्या इतनी बड़ी दुनिया में आपको थोड़ी सी जगह मिलेगी भी या नहीं ? तो इसके लिए केवल कूर्म स्वरुप विष्णु जी की पूजा कीजिये

विष्णु जी की प्रतिमा के सामने कूर्म की प्रतिमा रखें या कागज पर बना कर स्थापित करें
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें
भगवान् को पीले फल व पीले वस्त्र चढ़ाएं
तुलसी दल कूर्म पर रखें और पुष्प अर्पित कर भगवान् की आरती करें
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूर्म को ले जा कर किसी अलमारी आदि में छुपा कर रख लेँ
इस प्रयोग से भूमि संपत्ति भवन के योग रहित जातक को भी इनका सुख प्राप्त होता है।

13) वास्तु स्थापन प्रयोग
यदि आपका दरवाजा खिड़की कमरा रसोई घर सही दिशा में नहीं हैं तो उनको तोड़ने की बजाये
उनपर कछुए का निशान इस तरह से बनाये कि कछुए का मुख नीचे जमीन की ओर हो और पूंछ आकाश की ओर
ये प्रयोग शाम को गोधुली की बेला में करना चाहिए
कछुए को रक्त चन्दन ,कुमकुम ,केसर के मिश्रण से बनी स्याही से बनाएं।
कछुए का निर्माण करते समय मानसिक मंत्र का जाप करते रहें
मंत्र-ॐ कूर्मासनाय नम:
कछुया बन जाने पर धूप दीप कर गंगा जल के छीटे दें
और धूप दिखाएँ।
इस तरह प्रयोग करने से गलत दिशा में बने द्वार खिड़की कक्ष आदि को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती ऐसा विद्वानों का कथन है।

14) व्यापार वृद्धि हेतु

अष्टधातु या चाँदी से निर्मित कूर्म विधिवत पूजन कर अपने कैश काउंटर या मेज पर इस प्रकार रखें की उसका मुख बाहर प्रवेश द्वार की ओर रहे। आने जाने वाले सभी लोगों की नज़र उस पर पड़े।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवं कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।

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