गणेश चतुर्थी 2017 विशेष
प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। सनातन एवं हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता अर्थात सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है।
पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं। हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटे दूर होती हैं।
पूजा विधि
प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से सुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ़ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ़ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें।
शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।
अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर
ॐ गं गणपतये नमः
का मंत्र का जाप करना चाहिए।
बुधवार को यहां बताए जा रहे ये छोटे-छोटे उपाय करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है–
=◆बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरुर होना चाहिए।
=◆ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
इसमें भगवान गणेश जी के बारह नामों का स्मरण किया गया है। इन नामों का जप अगर मंदिर में बैठकर किया जाए तो यह उत्तम बताया जाता है। जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का जप करना शुभ होता है।
परिवार और व्यक्ति के दुःख दूर करते हैं यह सरल उपाय
=◆ घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से समस्त प्रकार की तंत्र शक्ति का नाश होता है।
=◆धन प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।
=◆परिवार में कलह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें। घर के मुख्य दरवाजे पर गणेशजी की प्रतिमा लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती है।
=◆यदि किसी की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो
पुरानी मान्यता है कि श्री गणेश की पूजा का विशेष दिन है बुधवार। साथ ही, इस दिन बुध ग्रह के निमित्त भी पूजा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो बुधवार को ऐसे करें श्री गणेश का पूजन ;श्रीगणेश को सिंदूर, चंदन, यज्ञोपवीत, दूर्वा, लड्डू या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप व दीप लगाकर आरती करें। पूजन में इस मंत्र का जप करें-
मंत्र-
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक कलियुग में भगवान गणेश के धूम्रकेतु रूप की पूजा की जाती है। जिनकी दो भुजाएं है। किंतु मनोकामना सिद्धि के लिये बड़ी आस्था से भगवान गणेश का चार भुजाधारी स्वरूप पूजनीय है। जिनमें से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथे में आशीर्वाद है। इनमें खासतौर पर श्री गणेश के हाथ में मोदक प्रतीक रूप में जीवन से जुड़े संदेश देता है। बुधवार के स्वामी बुध ग्रह भी है, जो बुद्धि के कारक भी माने जाते हैं। इस तरह बुद्धि प्रधानता वाले दिवस पर बुद्धि के दाता श्री गणेश की मोदक का भोग लगाकर पूजा प्रखर बुद्धि व संकल्प के साथ सुख-सफलता व शांति की राह पर आगे बढऩे की प्रेरणा व ऊर्जा से भर देती है।
=◆ज्योतिषीय मापदंड के अनुरूप दूर्वा छाया गृह केतु को संबोधित करती है। गणपति जी धुम्रवर्ण गृह केतु के अधिष्ट देवता है तथा केतु गृह से पीड़ित जातकों को गणेशजी को 11 अथवा 21 दूर्वा का मुकुट बनाकर गणेश कि मूर्ति/प्रतिमा पर जातक बुधवार कि सायं 4 से 6 बजे के बीच सूर्यास्त पूर्व गणेशजी को अर्पित करना हितकारी रहता है।
=◆बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
=◆सन्तान प्राप्ति के लिए
संतान गणपति स्तोत्र
नमो$स्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरू दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गेाप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मनें।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिनें ।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम : ।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने ।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थ विरता : स्यु : वरो मत : ।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का प्रयोग करने से सन्तान सुख की अवश्य प्राति होती है। जिन्हें कन्या रत्न है अौर पुत्र रत्न नही है तो उपरोक्त विधि से स्तोत्र का प्रयोग करनें से पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जाती है।
श्री गणेशाष्टकम्
मित्रों, ये भगवान गणेश का अतिप्रिय गणेशष्टक स्तोत्र है, इसके विषय मे भगवान गणेश स्वयम कहते हैं कि इसका जप 3 दिन तक त्रिसंध्या में करने वाला सभी मनोरथ पूर्ण करता है।
इस अष्टक स्तोत्र का चतुर्थी तिथि से आठ दिन आठ बार पाठ करने से अष्टसिद्धि का पात्र हो जाता है।
दस दिनों तक पाठ करने से मृत्यदंड भी टल जाता है।
इसके पाठ से विद्यार्थी को विद्या, पुत्रार्थी को पुत्र और सुख की इच्छा रखने वाले को समस्त वैभव प्राप्त होते हैं।
सर्वे उचु:
यतोsनंतशक्तेरनंताश्च जीवा यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते ।
यतो भाति सर्वं त्रोधा भेदभिन्नं सदा तं गणेश नमामो भजाम: ॥१॥
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाsब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता ।
तथेंद्रादयो देवसंघा मनुष्या: सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥२॥
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च यत: सागराश्चंद्रमा व्योम वायु: ।
यत: स्थावरा जंगमा वृक्षसंघा सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥३॥
यतो: दानवा: किन्नरा यक्षसंघा यतश्चारणा वारणा: श्वापदाश्च।
यत: पक्षिकीटा यतो वीरूधश्च सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥४॥
यतो बुद्धिरजाननाशो मुमुक्षोर्यत: संपदो भक्तसंतोषिका: स्यु: ।
यतो विध्ननाशो यत: कार्यसिद्धि: सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥५॥
यत: पुत्रसंपद्यतो वांछितार्थो यतोsभक्तविध्नास्तथाsनेकरूपा: ।
यत: शोकमोहौ यत: काम एव सदा तं गणेशं नमामो भजाम:॥६॥
.
यतोsनंतशक्ति: स शेषो बभूव धराधारणेsनेकरूपे च शक्त: ।
यतोsनेकधा स्वर्गलोका हि नाना सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥७॥
.
यतो वेदवाचो विकुंठा मनोभि: सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति ।
परब्रह्मरूपं चिदानंदभूतं सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥८॥
श्रीगणेश उवाच ।
पुनरूचे गणाधीश: स्तोत्रमेतत्पठन्नर: ।
त्रिसंध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वं कार्यं भवाष्यति ॥९॥
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोsष्टसिद्धिरवानप्नुयात् ॥१०॥
य: पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने ।
स मोचयेद्वन्धगतं राजवध्यं न संशय: ॥११॥
विद्याकामो लभेद्वद्यां पुत्रार्थी पुत्रमापनुयात् ।
वांछितांल्लभते सर्वानेकविंशतिवारत: ॥१२॥
यो जपेत्परया भक्तया गजाननपरो नर: ।
एवमुक्तवा ततो देवश्चांतर्धानं गत: प्रभु: ॥१३॥
.
इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकं संपूर्णम् ॥
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवम कुंडली विश्लेषण के लिए के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ।
।।जय श्री राम ।।
Abhishek B. Pandey
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प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। सनातन एवं हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता अर्थात सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है।
पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं। हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटे दूर होती हैं।
पूजा विधि
प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से सुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ़ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ़ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें।
शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।
अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर
ॐ गं गणपतये नमः
का मंत्र का जाप करना चाहिए।
बुधवार को यहां बताए जा रहे ये छोटे-छोटे उपाय करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है–
=◆बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरुर होना चाहिए।
=◆ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
इसमें भगवान गणेश जी के बारह नामों का स्मरण किया गया है। इन नामों का जप अगर मंदिर में बैठकर किया जाए तो यह उत्तम बताया जाता है। जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का जप करना शुभ होता है।
परिवार और व्यक्ति के दुःख दूर करते हैं यह सरल उपाय
=◆ घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से समस्त प्रकार की तंत्र शक्ति का नाश होता है।
=◆धन प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।
=◆परिवार में कलह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें। घर के मुख्य दरवाजे पर गणेशजी की प्रतिमा लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती है।
=◆यदि किसी की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो
पुरानी मान्यता है कि श्री गणेश की पूजा का विशेष दिन है बुधवार। साथ ही, इस दिन बुध ग्रह के निमित्त भी पूजा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो बुधवार को ऐसे करें श्री गणेश का पूजन ;श्रीगणेश को सिंदूर, चंदन, यज्ञोपवीत, दूर्वा, लड्डू या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप व दीप लगाकर आरती करें। पूजन में इस मंत्र का जप करें-
मंत्र-
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक कलियुग में भगवान गणेश के धूम्रकेतु रूप की पूजा की जाती है। जिनकी दो भुजाएं है। किंतु मनोकामना सिद्धि के लिये बड़ी आस्था से भगवान गणेश का चार भुजाधारी स्वरूप पूजनीय है। जिनमें से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथे में आशीर्वाद है। इनमें खासतौर पर श्री गणेश के हाथ में मोदक प्रतीक रूप में जीवन से जुड़े संदेश देता है। बुधवार के स्वामी बुध ग्रह भी है, जो बुद्धि के कारक भी माने जाते हैं। इस तरह बुद्धि प्रधानता वाले दिवस पर बुद्धि के दाता श्री गणेश की मोदक का भोग लगाकर पूजा प्रखर बुद्धि व संकल्प के साथ सुख-सफलता व शांति की राह पर आगे बढऩे की प्रेरणा व ऊर्जा से भर देती है।
=◆ज्योतिषीय मापदंड के अनुरूप दूर्वा छाया गृह केतु को संबोधित करती है। गणपति जी धुम्रवर्ण गृह केतु के अधिष्ट देवता है तथा केतु गृह से पीड़ित जातकों को गणेशजी को 11 अथवा 21 दूर्वा का मुकुट बनाकर गणेश कि मूर्ति/प्रतिमा पर जातक बुधवार कि सायं 4 से 6 बजे के बीच सूर्यास्त पूर्व गणेशजी को अर्पित करना हितकारी रहता है।
=◆बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
=◆सन्तान प्राप्ति के लिए
संतान गणपति स्तोत्र
नमो$स्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरू दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गेाप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मनें।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिनें ।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम : ।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने ।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थ विरता : स्यु : वरो मत : ।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का प्रयोग करने से सन्तान सुख की अवश्य प्राति होती है। जिन्हें कन्या रत्न है अौर पुत्र रत्न नही है तो उपरोक्त विधि से स्तोत्र का प्रयोग करनें से पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जाती है।
श्री गणेशाष्टकम्
मित्रों, ये भगवान गणेश का अतिप्रिय गणेशष्टक स्तोत्र है, इसके विषय मे भगवान गणेश स्वयम कहते हैं कि इसका जप 3 दिन तक त्रिसंध्या में करने वाला सभी मनोरथ पूर्ण करता है।
इस अष्टक स्तोत्र का चतुर्थी तिथि से आठ दिन आठ बार पाठ करने से अष्टसिद्धि का पात्र हो जाता है।
दस दिनों तक पाठ करने से मृत्यदंड भी टल जाता है।
इसके पाठ से विद्यार्थी को विद्या, पुत्रार्थी को पुत्र और सुख की इच्छा रखने वाले को समस्त वैभव प्राप्त होते हैं।
सर्वे उचु:
यतोsनंतशक्तेरनंताश्च जीवा यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते ।
यतो भाति सर्वं त्रोधा भेदभिन्नं सदा तं गणेश नमामो भजाम: ॥१॥
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाsब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता ।
तथेंद्रादयो देवसंघा मनुष्या: सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥२॥
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च यत: सागराश्चंद्रमा व्योम वायु: ।
यत: स्थावरा जंगमा वृक्षसंघा सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥३॥
यतो: दानवा: किन्नरा यक्षसंघा यतश्चारणा वारणा: श्वापदाश्च।
यत: पक्षिकीटा यतो वीरूधश्च सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥४॥
यतो बुद्धिरजाननाशो मुमुक्षोर्यत: संपदो भक्तसंतोषिका: स्यु: ।
यतो विध्ननाशो यत: कार्यसिद्धि: सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥५॥
यत: पुत्रसंपद्यतो वांछितार्थो यतोsभक्तविध्नास्तथाsनेकरूपा: ।
यत: शोकमोहौ यत: काम एव सदा तं गणेशं नमामो भजाम:॥६॥
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यतोsनंतशक्ति: स शेषो बभूव धराधारणेsनेकरूपे च शक्त: ।
यतोsनेकधा स्वर्गलोका हि नाना सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥७॥
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यतो वेदवाचो विकुंठा मनोभि: सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति ।
परब्रह्मरूपं चिदानंदभूतं सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ॥८॥
श्रीगणेश उवाच ।
पुनरूचे गणाधीश: स्तोत्रमेतत्पठन्नर: ।
त्रिसंध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वं कार्यं भवाष्यति ॥९॥
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोsष्टसिद्धिरवानप्नुयात् ॥१०॥
य: पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने ।
स मोचयेद्वन्धगतं राजवध्यं न संशय: ॥११॥
विद्याकामो लभेद्वद्यां पुत्रार्थी पुत्रमापनुयात् ।
वांछितांल्लभते सर्वानेकविंशतिवारत: ॥१२॥
यो जपेत्परया भक्तया गजाननपरो नर: ।
एवमुक्तवा ततो देवश्चांतर्धानं गत: प्रभु: ॥१३॥
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इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकं संपूर्णम् ॥
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवम कुंडली विश्लेषण के लिए के लिए सम्पर्क कर सकते हैँ।
।।जय श्री राम ।।
Abhishek B. Pandey
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