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Saturday 17 July 2021

सर्वकार्य सिद्धिदायक भस्म

सर्वकार्य सिद्धिदायक भस्म

मित्रों, 
गुप्त नवरात्रि पर बहुत से प्रयोग मंत्रादि सब जगह अब सहज मिल रहे हैं किंतु आज मैं आपको एक बहुत खास प्रयोग बताने जा रहा हूँ जो है विशुद्ध भस्म के निर्माण का।
इस भस्म को आयुर्वेदिक दवा और भूत प्रेत जादू टोना नज़र इत्यादि दूर करने के लिए तथा भगवान शिव के श्रृंगार के लिए आराम से प्रयोग किया जा सकता है।

भस्म निर्माण के लिए सबसे पहले आपको चाहिए देसी गाय से प्राप्त पंचगव्य, पंचगव्य आप समान मात्रा में दूध दही घी गौमूत्र और गोमय  (गोबर का रस) मिलाकर बना सकते हैं, चाहें तो विशुद्ध आयुर्वेदिक पद्धति से भी बना सकते हैं जिसके बारे में आप हमारे पेज अमृतम पर पढ़ सकते हैं।

इस पंचगव्य को आप सबसे पहले किसी मिट्टी के स्वच्छ पात्र में बना कर तैयार कर लें फिर पलाश या कमल के पत्ते से बड़े से दोने(कटोरे) में एक बेल फल रखकर उसे इस पंचगव्य से स्नान कराएं।

स्नान के बाद इष्ट देवता के मन्त्र, गुरु मन्त्र या पंचाक्षरी ॐ नमः शिवाय का 1100 जप करें।

जप के उपरांत बेल फल निकाल कर किसी स्वच्छ स्थान पर रखें ये बेल फल भी संस्कारित माना गया है। ये सब प्रकार से रक्षा करता है और सुख समृद्धि देने वाला है।
सबसे अच्छा हो कि इसे अपने घर मे  मिट्टी में गाड़ लें या किसी प्रियजन के घर मे गड़वा दें जिसे सुख समृद्धि की जरूरत हो।

इसके बाद पंचगव्य को पुनः दोने समेत मिट्टी के पात्र में डालकर लकड़ियों पर जलाई हुई अग्नि में रखें।

इसके बाद इसमें 
पलाश और गूलर वृक्षों की छाल, 
मलयागिरिचन्दन, 
गुग्गुल, 
केशर, हल्दी गांठ, 
कूठ,
विल्व का पञ्चाङ्ग 
अपामार्ग ,
 तिल,
 दूर्वा, 
जौं, 
सहदेवी 
श्यामा और रामा दोनों प्रकार की तुलसी, 
कुशा, 
गोरोचन, 
कमल का फूल
 गोमय रस में भिगोई हुई  वचा, 
विष्णुकान्ता और 
श्वेतार्क की छाल

ये सब सामग्री डालकर पकने दें और इसका क्वाथ बनने दें, उसके बाद भी इसे तब तक पकने दें जब तक ये पूरी तरह जलकर भस्म न बन जाये।

जब ये प्रक्रिया होती हो उस समय निरन्तर मन्त्र का जप करते रहें।
जब ये भस्म बन कर तैयार हो जाये तब इसे पलाश या कमल के पत्ते पर रखें और सबसे अच्छा हो इस भस्म को किसी कांटेदार पत्तों वाले पौधे के पत्तों का पत्तल बना कर उसमें रखें जैसे कटेरी।

इसके बाद इस भस्म पर फिर से 21000 जप करें।

इस प्रकार से तैयार भस्म को शिर पर छिड़क दे और सर्वांग में लेप भी कर दे तो ऐसा करने से कृत्या जन्य उपद्रव, शत्रुद्रोह, ग्रहबाधा, उन्माद एवं व्याधि तथा अन्य प्रकार के दुःखों का निवारण हो जाता है।
 इससे शत्रुबाधा शान्त हो जाती है, सारे पाप दूर हो जाते हैं यह भस्म सब प्रकार का कल्याण करता है और समस्त विपत्तियों का विनाश करता है ॥

इस भस्म को दवा के रूप में खाया भी जा सकता है नज़र टोटके ऊपरी हवा आदि से पीड़ित व्यक्ति को लगाने के साथ खिलाया भी जा सकता है। इनके कारण होने वाले भय, ज्वर अनिद्रा को ये भस्म दूर करती है।
सही नक्षत्र मुहूर्त में किये गए वशीकरण आदि प्रयोगों के लिए भी ये भस्म सर्वोत्तम है।( शास्त्र वचन है)

इस प्रकार का भस्म गर्भिणी, बालक तथा रोगीजनों को विशेष रूप से लाभदायी है, इस लोक में इससे बढ़कर अन्य कोई रक्षा का उपाय नहीं कहा गया है ।