बाबा जागनाथ: मृत्युँजय लिँग जागेश्वर धाम
मित्रोँ देश मेँ शायद ही ऐसे अन्य धाम होँगे जहाँ एक ही मँदिर परिसर मेँ एक साथ दो या अधिक जागृत शिवलिँग होँ।
जागेश्वर धाम मेँ महादेव मृत्युँजय रूप मेँ दूसरे जागृत लिँग मेँ विराजमान हैँ। इसकी महिमा भी अवर्णनीय है।
आठवीँ सदी मेँ जब आदि शँकराचार्य यहाँ आये तो ये देख विस्मित हुए कि लोग इस लिँग का भी दुरुपयोग कर रहे हैँ और दूसरोँ को कष्ट पहुँचाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैँ तब उन्होँने इसके निचले भाग को लकड़ी के 7 पटरोँ से ढक दिया और इसे शाँत किया। मात्र एक नेत्र आकार का स्थान छोड़ा ताकि शक्ति प्रस्फुटित होती रहे। आज भक्तजन इसी नेत्र पर हाथ रख वर माँगते हैँ।
जिन लोगोँ की कुण्डली मेँ प्रबल अकालमृत्यु योग, कालसर्पदोष, अँग भँग या भीषण दुर्घटना के योग होँ या कोई भी शनि राहु या केतु के द्वारा कष्ट ग्रस्त हो यहाँ आकर भगवान मृत्युँजय का रूद्राभिषेक करवाकर और महामृत्युँजय मँत्र का जप कर अपने समस्त कष्टोँ से मुक्ति पाता है।
निसँतान और पुत्रहीन लोगोँ के लिए इससे बड़ा कोई अन्य तीर्थ नहीँ है। यहाँ ऐसे हजारोँ घर हैँ जिन्हेँ यहाँ पुत्र मिला है। यदि निसँतान दम्पत्ति यहाँ रुद्राभिषेक कराएँ और रात भर अपने हाथ मेँ दिया लेकर जप करेँ तो पुत्र सँतान अवश्य होती है इसमेँ कोइ सँशय नहीँ।
जय बाबा जागनाथ।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616(whats app)
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मित्रोँ देश मेँ शायद ही ऐसे अन्य धाम होँगे जहाँ एक ही मँदिर परिसर मेँ एक साथ दो या अधिक जागृत शिवलिँग होँ।
जागेश्वर धाम मेँ महादेव मृत्युँजय रूप मेँ दूसरे जागृत लिँग मेँ विराजमान हैँ। इसकी महिमा भी अवर्णनीय है।
आठवीँ सदी मेँ जब आदि शँकराचार्य यहाँ आये तो ये देख विस्मित हुए कि लोग इस लिँग का भी दुरुपयोग कर रहे हैँ और दूसरोँ को कष्ट पहुँचाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैँ तब उन्होँने इसके निचले भाग को लकड़ी के 7 पटरोँ से ढक दिया और इसे शाँत किया। मात्र एक नेत्र आकार का स्थान छोड़ा ताकि शक्ति प्रस्फुटित होती रहे। आज भक्तजन इसी नेत्र पर हाथ रख वर माँगते हैँ।
जिन लोगोँ की कुण्डली मेँ प्रबल अकालमृत्यु योग, कालसर्पदोष, अँग भँग या भीषण दुर्घटना के योग होँ या कोई भी शनि राहु या केतु के द्वारा कष्ट ग्रस्त हो यहाँ आकर भगवान मृत्युँजय का रूद्राभिषेक करवाकर और महामृत्युँजय मँत्र का जप कर अपने समस्त कष्टोँ से मुक्ति पाता है।
निसँतान और पुत्रहीन लोगोँ के लिए इससे बड़ा कोई अन्य तीर्थ नहीँ है। यहाँ ऐसे हजारोँ घर हैँ जिन्हेँ यहाँ पुत्र मिला है। यदि निसँतान दम्पत्ति यहाँ रुद्राभिषेक कराएँ और रात भर अपने हाथ मेँ दिया लेकर जप करेँ तो पुत्र सँतान अवश्य होती है इसमेँ कोइ सँशय नहीँ।
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