कामिया सिंदूर जाँच, सत्य और तथ्य
मित्रों,
करीब 2 वर्ष पूर्व मैंने कामिया सिंदूर के विषय में पोस्ट डाली थी उसके बाद से अब तक सैकडों फोन और मैसेज प्राप्त हो चुके हैं।
जितने फोन आते हैं उतनी ही अजीबो गरीब बातें भी सुनने में आती हैं। जो बेचने वालों के द्वारा सीधी सादी जनता को फंसाने का भ्रम जाल ही है ।
आपको बता दूं कि
असली कामिया सिंदूर मुख्यतः 3 प्रकार का मिलता है
और इसकी कोई जाँच विधि नहीं है।
सबसे बड़ी जांच अनूभव मात्र ही है।
1. शुद्ध सिंदूर मंदिर से प्राप्त हुआ
2. शुद्ध सिंदूर में मिलाया हुआ हिंगुल या सामान्य सिंदूर
3. कामाख्या वस्त्र में रखकर सिद्ध किया हुआ सामान्य सिंदूर
इसके अलावा जो कुछ भी नारंगी, पीला या लाल मिलता है वो सब सिंथेटिक, हनुमान जी वाला, या हिंगुल ही होता है।
अब कुछ प्रश्नों के उत्तर एवं तथ्य कामिया सिंदूर के जाँच के विषय में :-
1. कामिया सिंदूर कामाख्या मंदिर से टुकडों के रूप में प्राप्त होता है।
गलत:- कामाख्या मंदिर में शक्ति स्थल से रक्त वर्ण स्त्राव होता है जिसके अवसर पे अम्बूवाची पर्व मनाया जाता है।
उसी स्त्राव को कपड़े में एकत्र किया जाता है या समझें कि कपड़ा उसमे भिगोया जाता है। सूखने पर जो कुछ पाउडर रूप में प्राप्त होता है वही शुद्ध कामिया सिंदूर है।
वो सूखा हुआ वस्त्र या उसका धागा भी उतना ही प्रभावशाली है जितना की सिंदूर ।
2. कामिया सिंदूर कामाख्या मंदिर के ऊपर पहाड़ी पर से निकलता है।
गलत:- कामाख्या मंदिर के ऊपर दूर दूर तक कहीं ऐसी कोई खान / खदान नहीं है।
3. कामाख्या सिंदूर पत्थर के रूप में निकलता है।
गलत:- पत्थर के रूप में जो कामाख्या सिंदूर
बिकता है वो असल में सिंगरफ/ दरद यानि हिंगुल होता है।
जिससे प्राचीन काल से सिंदूर बनता है।
ये भी देवी को अति प्रिय है क्योंकि इसमें पारा होता है और ये ही शुद्ध सिंदूर है लेकिन ये कामिया सिंदूर नहीं है।
4. कामिया सिंदूर का तिलक मस्तक पर लगाने पर शीशे/ दर्पण में देखने पर तिलक दिखाई नहीं देता।
तथ्य :- कामिया सिंदूर का तिलक मस्तक पर साफ दिखता है।
नकली कामिया सिंदूर यानि सिंगरफ या हिंगुल का चूर्ण होता है जो पीसने के बाद भी बारीक़ कणों/ क्रिस्टल के रूप में रहता है और अधिक चिपकता भी नहीं है इसीलिए तिलक करने पर दर्पण में स्पष्ट प्रतिबिम्ब परिलक्षित नहीं होता और बेचने वाले इसे कामिया सिंदूर का चमत्कार बता के ठगते हैं।
5. साधारण सिंदूर संग कामिया सिंदूर मिलाने पर धुआं निकलता है या बहने लगता है।
तथ्य:- कामिया सिंदूर ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।
असली हिंगुल जो गन्धक और पारे के मेल से धरती के भीतर बनता है और ज्वालामुखी से बाहर आता है अपने साथ विभिन्न रासायनिक घटक लिए होता है।
यदि उसे गन्धक के संग कोयले के बारीक़ चूर्ण संग एयर टाइट कर रखा जाये तो धुआं निकलता है कभी कभी आग भी लग जाती है।
असली हिंगुल इसी प्रकार फॉस्फोरस युक्त नकली सिंदूर या सल्फाइड से भी रिएक्ट कर धुआं निकालता है।
सीसे और क्रोमियम के संघटको से रिएक्ट होने पर ये थोड़ा तरल हो जाता है।
ये सब एक तरह की बाजीगरी है जिन्हें जनता को दिखाकर ठगा जाता है।
अब बात करते हैं हिंगुल की
ये देवी को अति प्रिय है और विभिन्न तंत्र एवं देवी पूजनों में प्रयोग किया जाता है।
हिंगुल भारत में नहीं पाया जाता, प्राचीन काल से ही ये यूनान, मिस्र, चीन, इराक, जर्मनी आदि जगहों से भारत लाया जाता था।
इसका मुख्य उद्देश्य था पारा निकालना क्योंकि ये पारे का अयस्क है।
विभिन्न विधियों एवं शोधन द्वारा हिंगुल से शुद्ध पारा प्राप्त किया जा सकता है।
इसी को पीसकर सिंदूर बनता था, पारा युक्त होने के कारण ये देवी को चढ़ता था और स्त्रिया अपनी मांग में लगाती थीं।
हालाँकि शुद्ध हिंगुल भी इतनी सरलता से नहीं मिलता क्योंकि ये भी काफी महंगा है।
शुद्ध हिंगुल का मूल्य 14 से 20 हजार रूपये प्रति किलो है उसकी शुद्धता और रंग के ऊपर।
किमियागारों ने पारे और गन्धक के मिश्रण से भी हिंगुल बनाने की विधि प्राप्त कर ली थी वो भी लगभग 1500 वर्ष पूर्व।
आमतौर पर जो कामिया सिंदूर नाम से बिकने वाला हिंगुल है वो ऐसी ही कीमियागिरी का नतीजा है और मार्किट में 1000 से 3000 रूपये किलो तक आराम से मिल जाता है।
कुछ ठग इसे 10 हजार रूपये किलो तक में भी बेच देते हैं ।
इसमें पारे की मात्रा बेहद कम होती है। जो इसकी जान है।
ऐसा नकली हिंगुल बनाने की कई फैक्ट्रियां गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में हैं।
इसलिए ऐसे चमत्कारी बहकावो और दावों से बचें।
अपना कीमती समय और पैसा बर्बाद न् करें।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616 ( whats app)
मित्रों,
करीब 2 वर्ष पूर्व मैंने कामिया सिंदूर के विषय में पोस्ट डाली थी उसके बाद से अब तक सैकडों फोन और मैसेज प्राप्त हो चुके हैं।
जितने फोन आते हैं उतनी ही अजीबो गरीब बातें भी सुनने में आती हैं। जो बेचने वालों के द्वारा सीधी सादी जनता को फंसाने का भ्रम जाल ही है ।
आपको बता दूं कि
असली कामिया सिंदूर मुख्यतः 3 प्रकार का मिलता है
और इसकी कोई जाँच विधि नहीं है।
सबसे बड़ी जांच अनूभव मात्र ही है।
1. शुद्ध सिंदूर मंदिर से प्राप्त हुआ
2. शुद्ध सिंदूर में मिलाया हुआ हिंगुल या सामान्य सिंदूर
3. कामाख्या वस्त्र में रखकर सिद्ध किया हुआ सामान्य सिंदूर
इसके अलावा जो कुछ भी नारंगी, पीला या लाल मिलता है वो सब सिंथेटिक, हनुमान जी वाला, या हिंगुल ही होता है।
अब कुछ प्रश्नों के उत्तर एवं तथ्य कामिया सिंदूर के जाँच के विषय में :-
1. कामिया सिंदूर कामाख्या मंदिर से टुकडों के रूप में प्राप्त होता है।
गलत:- कामाख्या मंदिर में शक्ति स्थल से रक्त वर्ण स्त्राव होता है जिसके अवसर पे अम्बूवाची पर्व मनाया जाता है।
उसी स्त्राव को कपड़े में एकत्र किया जाता है या समझें कि कपड़ा उसमे भिगोया जाता है। सूखने पर जो कुछ पाउडर रूप में प्राप्त होता है वही शुद्ध कामिया सिंदूर है।
वो सूखा हुआ वस्त्र या उसका धागा भी उतना ही प्रभावशाली है जितना की सिंदूर ।
2. कामिया सिंदूर कामाख्या मंदिर के ऊपर पहाड़ी पर से निकलता है।
गलत:- कामाख्या मंदिर के ऊपर दूर दूर तक कहीं ऐसी कोई खान / खदान नहीं है।
3. कामाख्या सिंदूर पत्थर के रूप में निकलता है।
गलत:- पत्थर के रूप में जो कामाख्या सिंदूर
बिकता है वो असल में सिंगरफ/ दरद यानि हिंगुल होता है।
जिससे प्राचीन काल से सिंदूर बनता है।
ये भी देवी को अति प्रिय है क्योंकि इसमें पारा होता है और ये ही शुद्ध सिंदूर है लेकिन ये कामिया सिंदूर नहीं है।
4. कामिया सिंदूर का तिलक मस्तक पर लगाने पर शीशे/ दर्पण में देखने पर तिलक दिखाई नहीं देता।
तथ्य :- कामिया सिंदूर का तिलक मस्तक पर साफ दिखता है।
नकली कामिया सिंदूर यानि सिंगरफ या हिंगुल का चूर्ण होता है जो पीसने के बाद भी बारीक़ कणों/ क्रिस्टल के रूप में रहता है और अधिक चिपकता भी नहीं है इसीलिए तिलक करने पर दर्पण में स्पष्ट प्रतिबिम्ब परिलक्षित नहीं होता और बेचने वाले इसे कामिया सिंदूर का चमत्कार बता के ठगते हैं।
5. साधारण सिंदूर संग कामिया सिंदूर मिलाने पर धुआं निकलता है या बहने लगता है।
तथ्य:- कामिया सिंदूर ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।
असली हिंगुल जो गन्धक और पारे के मेल से धरती के भीतर बनता है और ज्वालामुखी से बाहर आता है अपने साथ विभिन्न रासायनिक घटक लिए होता है।
यदि उसे गन्धक के संग कोयले के बारीक़ चूर्ण संग एयर टाइट कर रखा जाये तो धुआं निकलता है कभी कभी आग भी लग जाती है।
असली हिंगुल इसी प्रकार फॉस्फोरस युक्त नकली सिंदूर या सल्फाइड से भी रिएक्ट कर धुआं निकालता है।
सीसे और क्रोमियम के संघटको से रिएक्ट होने पर ये थोड़ा तरल हो जाता है।
ये सब एक तरह की बाजीगरी है जिन्हें जनता को दिखाकर ठगा जाता है।
अब बात करते हैं हिंगुल की
ये देवी को अति प्रिय है और विभिन्न तंत्र एवं देवी पूजनों में प्रयोग किया जाता है।
हिंगुल भारत में नहीं पाया जाता, प्राचीन काल से ही ये यूनान, मिस्र, चीन, इराक, जर्मनी आदि जगहों से भारत लाया जाता था।
इसका मुख्य उद्देश्य था पारा निकालना क्योंकि ये पारे का अयस्क है।
विभिन्न विधियों एवं शोधन द्वारा हिंगुल से शुद्ध पारा प्राप्त किया जा सकता है।
इसी को पीसकर सिंदूर बनता था, पारा युक्त होने के कारण ये देवी को चढ़ता था और स्त्रिया अपनी मांग में लगाती थीं।
हालाँकि शुद्ध हिंगुल भी इतनी सरलता से नहीं मिलता क्योंकि ये भी काफी महंगा है।
शुद्ध हिंगुल का मूल्य 14 से 20 हजार रूपये प्रति किलो है उसकी शुद्धता और रंग के ऊपर।
किमियागारों ने पारे और गन्धक के मिश्रण से भी हिंगुल बनाने की विधि प्राप्त कर ली थी वो भी लगभग 1500 वर्ष पूर्व।
आमतौर पर जो कामिया सिंदूर नाम से बिकने वाला हिंगुल है वो ऐसी ही कीमियागिरी का नतीजा है और मार्किट में 1000 से 3000 रूपये किलो तक आराम से मिल जाता है।
कुछ ठग इसे 10 हजार रूपये किलो तक में भी बेच देते हैं ।
इसमें पारे की मात्रा बेहद कम होती है। जो इसकी जान है।
ऐसा नकली हिंगुल बनाने की कई फैक्ट्रियां गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में हैं।
इसलिए ऐसे चमत्कारी बहकावो और दावों से बचें।
अपना कीमती समय और पैसा बर्बाद न् करें।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
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ReplyDeleteSir mujhe kamiya sindoor chahiye
ReplyDeleteSir sindoor chahiye mujhe
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