शत्रुओं से छुटकारा पाने हेतु एक लघु प्रयोग:-
मित्रों,
सबके जीवन में कुछ लोग ऐसे रहते हैं जो लगातार आपको परेशान करते हैं। चाहे वो कोई रिश्तेदार हो या पडोसी या ऑफिस का कोई सहकर्मी।
सबके जीवन में कुछ लोग ऐसे रहते हैं जो लगातार आपको परेशान करते हैं। चाहे वो कोई रिश्तेदार हो या पडोसी या ऑफिस का कोई सहकर्मी।
कभी कभी स्वयं से जाने अनजाने कोई गलती हो जाती है और व्यक्ति आप उसके लिए माफ़ी मांग चूके होते है तो कभी परिस्थितिवश या उनके द्वारा किये गए गलत कार्य के खिलाफ कठोर शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है या सहकर्मी हो तो कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। कभी कभी आपके द्वारा किये गए अच्छे कार्य को देख कर भी लोग जलते हैं और इन सबके कारण विभिन्न रूप से परेशां करते हैं आरोप लगाते हैं बदनाम करते हैं।
इनसे व्यक्ति इतना घिर जाता है की सोचता है सब छोड़ कर भाग जाऊँ।
ऐसे ही लोगों से पीछा छुड़ाने का एक प्रयोग दे रहा हूँ। जो स्वयं भी कई बार कर चूका हूँ और दूसरों से भी सफलता पूर्वक करवा चूका हूँ।
एक बार से ही शत्रु शांत हो जाता है और परेशान करना छोड़ देता है पर यदि जल्दी न सुधरे तो पांच बार तक प्रयोग कर सकते हैं।
इसके लिए किसी भी मंगलवार या शनिवार को भैरवजी के मंदिर जाएँ और उनके सामने एक आटे का चौमुखा दीपक जलाएं। दीपक की बत्तियों को रोली से लाल रंग लें। फिर शत्रु या शत्रुओं को याद करते हुए एक चुटकी पीली सरसों दीपक में डाल दें। फिर निम्न श्लोक से उनका ध्यान कर 21बार निम्न मन्त्र का जप करते हुए एक चुटकी काले उड़द के दाने दिए में डाले। फिर एक चुटकी लाल सिंदूर दिए के तेल के ऊपर इस तरह डालें जैसे शत्रु के मुंह पर डाल रहे हों। फिर 5 लौंग ले प्रत्येक पर 21 21 जप करते हुए शत्रुओं का नाम याद कर एक एक कर दिए में ऐसे डालें जैसे तेल में नहीं किसी ठोस चीज़ में गाड़ रहे हों। इसमें लौंग के फूल वाला हिस्सा ऊपर रहेगा।
फिर इनसे छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर घर लौट आएं।
फिर इनसे छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर घर लौट आएं।
ध्यान :-
ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तम शशिश्कलधरम
मुण्डमालं महेशम्।
दिग्वस्त्रं पिंगकेशं डमरुमथ सृणिं
खडगपाशाभयानि।।
नागं घण्टाकपालं करसरसिरुहै
र्बिभ्रतं भीमद्रष्टम।
दिव्यकल्पम त्रिनेत्रं मणिमयविलसद
किंकिणी नुपुराढ्यम।।
ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तम शशिश्कलधरम
दिग्वस्त्रं पिंगकेशं डमरुमथ सृणिं
नागं घण्टाकपालं करसरसिरुहै
दिव्यकल्पम त्रिनेत्रं मणिमयविलसद
मन्त्र:-
ॐ ह्रीं भैरवाय वं वं वं ह्रां क्ष्रौं नमः।
यदि भैरव मन्दिर न हो तो शनि मन्दिर में भी ये प्रयोग कर सकते हैं।
दोनों न हों तो पूरी क्रिया घर में दक्षिण मुखी बैठ कर भैरव जी का पूजन कर उनके समक्ष कर लें और दीपक मध्य रात्रि में किसी चौराहे पर रख आएं। चौराहे पर भी ये प्रयोग कर सकते हैं। परन्तु याद रहे चौराहे पर करेंगे तो कोई देखे न वरना कोई टोक सकता है जादू टोना करने वाला भी समझ सकता है। चौराहें पर करें तो चुपचाप बिना पीछे देखे घर लौट आएं हाथ मुंह धोकर ही किसी से बात करें।
यदि एक बार में शत्रु पूर्णतः शांत न हो तो 5 बार तक एक एक हफ्ते बाद कर सकते हैं।
उक्त प्रयोग शत्रु के उच्चाटन हेतु भी कर सकते हैं पर उसमे बत्ती मदार के कपास की बनेगी और दीपक शत्रु के मुख्य द्वार के सामने जलाना होगा। उच्चाटन प्रयोग सोच समझ के करें क्योंकि किसी ने देख लिया तो बहुत पिटाई होगी। पिटाई से बचाने की मेरी कोई गारन्टी नहीं है।
किसी प्रकार की जानकारी ,कुंडली विश्लेषण या समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
7060202653
8909521616(whats app)
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