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Saturday, 22 November 2014

शनि अमावस्या और शनि मन्त्र पर विशेष लेख/ Shani amavasya and special shani mantras

मित्रोँ
आज शनिवार के दिन अमावस्या होने से (22 नवम्बर 2014) के दिन विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन विशाखा नक्षत्र दोपहर तक रहेगा, जिसका स्वामी देवगुरु बृहस्पति है व दोपहर बाद अनुराधा नक्षत्र रहेगा। जिसका स्वामी शनि स्वयं है। अतः गुरु धर्म के साथ पुण्य प्रदान करेगा व शनि न्याय के साथ सिद्धि देगा।
यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है। कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है, जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है
उन सभी लोगोँ के लिए शनि की शाँति का विशेष अवसर है जो शनि की महादशा, अँतर्दशा, साढेसाती , ढैय्या और जन्मकुण्डली मेँ शनि की खराब स्थिति के कारण दुख और कष्ट भोग रहे हैँ।
शनि की साढ़ेसाती तुला, वृश्चिक, धनु वालो को एवं मेष, सिंह राशि जो की शनि से ग्रसित है व जिनकी कुंडली में नीच राशि का शनि, शत्रु राशि का शनि या कमजोर शनि हो तो इस शनि देव को तिल तेल, काला कपड़ा चढ़ाएं एवं शनि का विशेष पूजन अनुष्ठान करेंगे तो शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। शनि अमावस्या के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से शनि कृत कष्टों से मुक्ति मिलती है और  मनोकामनाएं पूर्ण होंती हैं।
मित्रोँ, काफी समय से देख रहा हूँ कि टीवी पर आने वाले प्रायः सभी ज्योतिषी शनि के लिए एक ही मँत्र बता देते हैँ
"ॐ शं शनैश्चराय नमः",
ये मँत्र वाकई बहुत प्रभावशाली है किँतु सबके लिए नहीँ है जिनका शनि अच्छा है उन्हेँ ये मँत्र नहीँ जपना चाहिए । कुछ लोग तो शनि को ही ईश्वर बता कर ये मँत्र बता रहे हैँ जो पूर्णतः गलत है।
ॐ शनैश्वराय नमः॥
वहीँ कुछ लोगोँ को देखा जो शनि के नाम पर बुध और चँद्र के मँत्र तो कोई राशिनुसार मँत्र दे रहा है, पर वास्तविक स्थिति मेँ आपको अपनी कुंडली मेँ शनि की स्थिति के अनुसार मँत्र जप करना चाहिए। यदि आपको पता न हो कि आपका शनि कैसा है तो अपने पंडित जी या किसी योग्य ज्योतिषी से मिलकर पता करेँ और नीचे दिये गये मँत्रोँ को अपना कर आप लाभ उठा सकते हैँ।
1- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  उच्च का है और फायदेमँद है तो ये मँत्र जपेँ
ॐ शं नो देवीरभिष्टयः आपो भवन्तु पीतये। शं योरभिःस्त्रवन्तु नः।।
2- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  सम है यानि न अधिक फायदा दे रहा है न नुकसान तो ये मँत्र जपेँ
ॐ निलान्जनम समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम । छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
         
3- यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  नीच का है तो ये मँत्र जपेँ
ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ सः शनैश्चराय नमः।।
4-यदि आपकी कुण्डली मेँ शनि  उच्च या नीच का होकर कष्टकारी है तो ये मँत्र जपेँ        
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
5- यदि आप कुण्डली मेँ उच्च या नीच के शनि के कारण  व्यापार मेँ नुकसान उठा रहे हैँ या रोग ग्रस्त हैँ तो ये मँत्र जपेँ  , 
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षःशिवप्रियः।मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मेशनिः॥
6- यदि दुर्घटना या पारिवारिक कष्ट या अन्य कोई बाधा हो तो ये मँत्र जपेँ
कोणस्थ पिंगलो ब्रभू कृष्णो रौद्रो दंतको यमः।सौरिः शनैश्वरो मन्दः पिप्पालोद्तः संस्तुतः॥एतानि दशनामानी प्रातः रुत्थाय य पठेतः।शनैश्वर कृता पिडा न कदाचित भविष्यती॥
7- सभी शनि कृत पीड़ाओं से मुक्ति के लिये
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का भी पाठ करना उत्तम  हैँ जो अत्यँत प्रभावशाली है।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवं कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैँ।
।।जय श्री राम।।
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