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Saturday, 6 September 2025

चंद्र ग्रहण 2025

पूर्ण चन्द्रग्रहण, 07 सितम्बर 2025, भारत में दिखेगा

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा, दिनांक 07 सितम्बर, रविवार को यह ग्रहण अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया, एशिया, हिन्द महासागर, यूरोप, पूर्वी अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। आइसलैण्ड, अफ्रीका के पाश्चिमी भाग और अटलांटिक महासागर के कुछ भाग में उपच्छागा का अंत चन्द्रोदय के समय दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत के सभी हिस्सो में दिखाई देगा। पूरे देश में ग्रहण के आरम्भ से अंत तक सभी चरण दिखेगें इसका सूतक दोपहर 12:56 से आरम्भ हो जायेगा


ग्रहण समय

उपच्छाया प्रवेश रात्रि 08:56 से

ग्रहण प्रारम्भ रात्रि 09:56 से

पूर्णता प्रारम्भ मध्यरात्रि 11:00 से

ग्रहण मध्य मध्यरात्रि 11:41 से

पूर्णता समाप्त मध्यरात्रि 12:23 से

ग्रहण समाप्त (मोक्ष) मध्य रात्रि 01:26 पर।

उपच्छाया अन्त मध्यरात्रि 02.26 पर

ग्रहण (परिमाण) 1:36

ग्रहण की अवधि 3 घण्टे 30 मिनट

पूर्णता की अवधि 01 घंटा 23 मिनट

यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत मे पूर्ण रूप से दिखाई देगा अतः धर्मनिष्ठ एवं श्रद्धालुजनों को ग्रहण-संबंधी पथ्य-अपथ्य का विचार करते हुए ग्रहण संबंधी व्रत-दानादि का अनुष्ठान करना चाहिए। 

ग्रहण-सूतक काल:

चंद्र ग्रहण का सूतक 3 पहर पूर्व यानी 9 घंटे पहले शुरू होता है, उपछाया प्रवेश रात 8:56 से है तो सूतक दिन में 12 :56 से मान्य होगा।

सूतक में क्या करें: 
सूतक के समय तथा ग्रहण के समय दान तथा जापादि का महत्व माना गया है. पवित्र नदियों अथवा तालाबों में स्नान किया जाता है और मंत्र जप और सिद्धि की जाती है।

# किंतु सूर्यास्त के पश्चात नदी अथवा तालाब में स्नान वर्जित है और ये ग्रहण रात्रि के समय है इसलिए नदी अथवा तालाब में स्नान न करें।
( कुंभ का उदाहरण नहीं चलेगा बहुत मनमानी हुई) फिर कहां करें ?
मंदिर बंद रहेंगे, नदी में करना नहीं है तो अपने घर में या किसी गौशाला में करें।

दान -
 किसी योग्य ब्राह्मण के परामर्श से दान की जाने वाली वस्तुओं को इकठ्ठा कर के रख लेना चाहिए फिर अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय दुबारा स्नान कर संकल्प के साथ उन वस्तुओं को योग्य व्यक्ति को दे देना चाहिए।

# ग्रहण के दान का सबसे सुपात्र व्यक्ति होता है स्वच्छक यानि सफाई कर्मी, उसे दें यदि न मिले तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दें।

सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण डाल देना चाहिए जिससे ये खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नहीं होगें। अगर कुशा नहीं है तो तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं. घर में जो सूखे खाद्य पदार्थ हैं उनमें कुशा अथवा तुलसी पत्ता डालना आवश्यक नहीं है।

ग्रहण-सूतक में वर्जित:

सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है। खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं. इस समय झूठ बोलना, छल-कपट, बेकार का वार्तालाप और मूत्र विसर्जन से परहेज करना चाहिए।
#सूतक काल में बच्चे, बूढ़े, गर्भावस्था स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं हैं।

ग्रहण में क्या करें :

1. चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है। 

2. ईष्ट मंत्र का जप करें
3. कुलदेवी कुलदेवता का जप करें
4. गुरु मंत्र का जप करें 
5. इनमें से कुछ नहीं पता तो 
    A. राम / कृष्ण नाम जप 
    B. ॐ नमः शिवाय जप 
6. जप नहीं कर सकते या जप के अतिरिक्त 
     A. विष्णु सहस्त्रनाम 
     B. शिव सहस्त्रनाम
     C. देवी सहस्त्रनाम या शतनाम स्तोत्र
     D. हनुमान चालीसा/ बजरंग बाण/हनुमान अष्टक
     E. सुंदरकांड 
     F. श्रीसूक्त 
     G. गणपति अथर्वशीर्ष/ देवी अथर्वशीर्ष 

इनमें से जो कुछ संभव हो वो करें और अधिकाधिक पुण्यलाभ लें।

पितृदोष पीड़ा निवारण के लिए

ग्रहण काल में जप या स्तोत्र पाठ आरम्भ करने से पूर्व संकल्प करें कि पितृ शांति के लिए जप/ पाठ कर रहा हूं।

अंत में पुनः निवेदन करें कि मेरे द्वार किए इस जप/पाठ का फल मेरे पितरों को प्राप्त हो और प्रसन्न हों मेरी समस्त पीड़ाओं का हरण करें।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवं कुंडली विश्लेषण हेतु संपर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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