श्री नरसिंह एवं माँ छिन्नमस्ता जयंती की शुभकामनाएं
छिन्नमस्ता गायत्री मंत्र:-
ॐ वैरोचनीयै च विदमहे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
छिन्नमस्ता शाबर मन्त्र:-
सत का धर्म सत की काया, ब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छिन्नमस्ता, चन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवी, त्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरी, तन का मुन्डा हाथ में लिन्हा, दाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्त, बरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजाली, श्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छाया, प्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डी, चण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठी, श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जाप, पाप कन्टन्ते आपो आप, जो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।
मंत्र श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।
****श्री नरसिंह****
नरसिंह गायत्री:-
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
नृसिंह शाबर मन्त्र :-
ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय
,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों
क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी
क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं
हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय
ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम
ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय २ शाकिनिं प्रच्छादय २ भूतं
प्रच्छादय २ प्रेतं प्रच्छादय २ ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम
प्रच्छादय २ राक्षसं प्रच्छादय २ सिन्हिनी पुत्रं
प्रच्छादय २ अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी
ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत
प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी
ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु
की शक्ति स्फ़ुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ll
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान, कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
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छिन्नमस्ता गायत्री मंत्र:-
ॐ वैरोचनीयै च विदमहे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
छिन्नमस्ता शाबर मन्त्र:-
सत का धर्म सत की काया, ब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छिन्नमस्ता, चन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवी, त्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरी, तन का मुन्डा हाथ में लिन्हा, दाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्त, बरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजाली, श्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छाया, प्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डी, चण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठी, श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जाप, पाप कन्टन्ते आपो आप, जो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।
मंत्र श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।
****श्री नरसिंह****
नरसिंह गायत्री:-
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
नृसिंह शाबर मन्त्र :-
ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय
,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों
क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी
क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं
हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय
ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम
ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय २ शाकिनिं प्रच्छादय २ भूतं
प्रच्छादय २ प्रेतं प्रच्छादय २ ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम
प्रच्छादय २ राक्षसं प्रच्छादय २ सिन्हिनी पुत्रं
प्रच्छादय २ अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी
ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत
प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी
ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु
की शक्ति स्फ़ुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ll
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Chinnamasta Shabar Mantra kay pehlay dhyan kaisay karna hai
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