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Wednesday, 11 December 2019

अन्नपूर्णा जयंती 2019 Annapurna Jayanti 2019

श्रीअन्नपूर्णा जयंती की शुभकामनाएं

भगवती अन्नपूर्णा स्तोत्र :

ध्यानम्‌

अर्कोन्मुक्तशशाङ्ककोटिवदनामापीनतुङ्गस्तनीं
चन्द्रार्धाङ्कितमस्तकां मधुमदामालोलनेत्रत्रयीम् ।
बिभ्राणामनिशं वरं जपपटीं शूलं कपालं करैः
आद्यां यौवनगर्वितां लिपितनुं वागीश्वरीमाश्रये।।

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौंदर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिल-घोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।
प्रालेयाचल-वंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥1॥


नानारत्न-विचित्र-भूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहार-विलम्बमान विलसद्वक्षोज-कुम्भान्तरी।
काश्मीरा-ऽगुरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी।
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥2॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्माऽर्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानल-भासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।
सर्वैश्वर्य-समस्त वांछितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥3॥


कैलासाचल-कन्दरालयकरी गौरी उमा शंकरी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओंकारबीजाक्षरी।
मोक्षद्वार-कपाट-पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥4॥

दृश्याऽदृश्य-प्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपांकुरी।
श्री विश्वेशमन प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥5॥


उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी
वेणीनील-समान-कुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।
सर्वानन्दकरी दृशां शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥6॥

आदिक्षान्त-समस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी
काश्मीरा त्रिपुरेश्वरी त्रिनयनि विश्वेश्वरी शर्वरी ।
स्वर्गद्वार-कपाट-पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥ 7 ॥

 देवी सर्वविचित्र-रत्नरुचिता दाक्षायिणी सुन्दरी
वामा-स्वादुपयोधरा प्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी ।
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥ 8 ॥

 चन्द्रार्कानल-कोटिकोटि-सदृशी चन्द्रांशु-बिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्नि-समान-कुण्डल-धरी चन्द्रार्क-वर्णेश्वरी
 माला-पुस्तक-पाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥ 9 ॥

 क्षत्रत्राणकरी महाभयकरी माता कृपासागरी
सर्वानन्दकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी ।
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥ 10 ॥

 अन्नपूर्णे सादापूर्णे शङ्कर-प्राणवल्लभे ।
ज्ञान-वैराग्य-सिद्धयर्थं बिक्बिं देहि च पार्वती ॥ 11 ॥

 माता च पार्वतीदेवी पितादेवो महेश्वरः ।
बान्धवा: शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥ 12 ॥

विशेष मन्त्र:-

ऐं ह्रीं सौं श्रीं क्लीमोन्नमो भगवत्यन्नपूर्णे
ममाभिलषितमन्नं देहि स्वाहा ।।

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।।जय श्री राम।।

Abhishek B. Pandey

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