श्री लक्ष्मीनरसिंह अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
शक्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए करें 31 दिसम्बर 1 जनवरी का प्रयोग
31 दिसम्बर 2017 की सायंकाल पौष मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि आरम्भ हो जाएगी और 1 जनवरी 2018 की सायंकाल पूर्णिमा तिथि और शाकम्भरी नवरात्र का अवसर। http://jyotish-tantra.blogspot.com
चतुर्दशी तिथि भगवान नरसिंह और भगवती दोनो की उपासना के लिए उपयुक्त अवसर है वहीं पूर्णिमा भगवान विष्णु की प्रसन्नता का समय।
इस मौके को यूं ही व्यर्थ में उछल कूद, मांस मदिरा में न गवाएं। जेब मे धन हो, मन प्रसन्न हो तो हर दिन व्यक्ति आनन्द उठा सकता है।
चतिर्दशी यानी 31 दिसम्बर की रात्रि भगवान लक्ष्मी नृसिंह के इस चमत्कारी स्तोत्र का संकल्प लेकर 108 बार पाठ करें और पूर्णिमा 1 जनवरी की रात्रि इसके 11 पाठों का प्रत्येक नाम का हवन करें। इस प्रकार 11x 108 आहुति होंगी।
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आसन: ऊनी कम्बल या कुश
दिशा: पूर्व या उत्तर मुखी होकर
वस्त्र: साफ स्वच्छ धोती एवं ऋतु अनुकूल
हवन सामग्री: जौं, तिल, अक्षत , शक्कर, घी, शहद, गुग्गुल, नागकेसर, कपूर, दूध
( सम्भव हो तो जटामांसी, अगर, तगर, कचूर भी मिलाएं)
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।। ॐ श्रीं ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नम: श्रीं ॐ।।
नारसिंहो महासिंहो दिव्यसिंहो महीबल:।
उग्रसिंहो महादेव: स्तंभजश्चोग्रलोचन:।।
रौद्र: सर्वाद्भुत: श्रीमान् योगानन्दस्त्रीविक्रम:।
हरि: कोलाहलश्चक्री विजयो जयवर्द्धन:।।
पञ्चानन: परंब्रह्म चाघोरो घोरविक्रम:।
ज्वलन्मुखो ज्वालमाली महाज्वालो महाप्रभु:।।
निटिलाक्ष: सहस्त्राक्षो दुर्निरीक्ष्य: प्रतापन:। महाद्रंष्ट्रायुध: प्राज्ञश्चण्डकोपी सदाशिव:।।
हिरण्यकशिपुध्वंसी दैत्यदानवभञ्जन:।
गुणभद्रो महाभद्रो बलभद्र: सुभद्रक:।।
करालो विकरालश्च विकर्ता सर्वकर्तृक:। शिंशुमारस्त्रिलोकात्मा ईश: सर्वेश्वरो विभु:।।
भैरवाडम्बरो दिव्याश्चच्युत: कविमाधव:।
अधोक्षजो अक्षर: शर्वो वनमाली वरप्रद:।।
विश्वम्भरो अद्भुतो भव्य: श्रीविष्णु: पुरूषोतम:।
अनघास्त्रो नखास्त्रश्च सूर्यज्योति: सुरेश्वर:।।
सहस्त्रबाहु: सर्वज्ञ: सर्वसिद्धिप्रदायक:।
वज्रदंष्ट्रो वज्रनखो महानन्द: परंतप:।।
सर्वयन्त्रैकरूपश्च सप्वयन्त्रविदारण:।
सर्वतन्त्रात्मको अव्यक्त: सुव्यक्तो भक्तवत्सल:।।
वैशाखशुक्ल भूतोत्थशरणागत वत्सल:।
उदारकीर्ति: पुण्यात्मा महात्मा चण्डविक्रम:।।
वेदत्रयप्रपूज्यश्च भगवान् परमेश्वर:।
श्रीवत्साङ्क: श्रीनिवासो जगद्व्यापी जगन्मय:।।
जगत्पालो जगन्नाथो महाकायो द्विरूपभृत्।
परमात्मा परंज्योतिर्निर्गुणश्च नृकेसरी।।
परतत्त्वं परंधाम सच्चिदानंदविग्रह:।
लक्ष्मीनृसिंह: सर्वात्मा धीर: प्रह्लादपालक:।।
इदं लक्ष्मीनृसिंहस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेद् भक्त्या सर्वाभीष्टंवाप्नुयात्।।
श्री भगवान महाविष्णु स्वरूप श्री नरसिंह के अंक में विराजमान माँ महालक्ष्मी के इस श्रीयुगल स्तोत्र का तीनो संध्याओं में पाठ करने से भय, दारिद्र, दुःख, शोक का नाश होता है और अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
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महाविष्णु भगवान लक्ष्मीरमण नृसिंह आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
अन्य किसी प्रकार की जानकारी ,कुंडली विश्लेषण या समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
Abhishek B. Pandey
7579400465
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शक्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए करें 31 दिसम्बर 1 जनवरी का प्रयोग
31 दिसम्बर 2017 की सायंकाल पौष मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि आरम्भ हो जाएगी और 1 जनवरी 2018 की सायंकाल पूर्णिमा तिथि और शाकम्भरी नवरात्र का अवसर। http://jyotish-tantra.blogspot.com
चतुर्दशी तिथि भगवान नरसिंह और भगवती दोनो की उपासना के लिए उपयुक्त अवसर है वहीं पूर्णिमा भगवान विष्णु की प्रसन्नता का समय।
इस मौके को यूं ही व्यर्थ में उछल कूद, मांस मदिरा में न गवाएं। जेब मे धन हो, मन प्रसन्न हो तो हर दिन व्यक्ति आनन्द उठा सकता है।
चतिर्दशी यानी 31 दिसम्बर की रात्रि भगवान लक्ष्मी नृसिंह के इस चमत्कारी स्तोत्र का संकल्प लेकर 108 बार पाठ करें और पूर्णिमा 1 जनवरी की रात्रि इसके 11 पाठों का प्रत्येक नाम का हवन करें। इस प्रकार 11x 108 आहुति होंगी।
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आसन: ऊनी कम्बल या कुश
दिशा: पूर्व या उत्तर मुखी होकर
वस्त्र: साफ स्वच्छ धोती एवं ऋतु अनुकूल
हवन सामग्री: जौं, तिल, अक्षत , शक्कर, घी, शहद, गुग्गुल, नागकेसर, कपूर, दूध
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।। ॐ श्रीं ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नम: श्रीं ॐ।।
नारसिंहो महासिंहो दिव्यसिंहो महीबल:।
उग्रसिंहो महादेव: स्तंभजश्चोग्रलोचन:।।
रौद्र: सर्वाद्भुत: श्रीमान् योगानन्दस्त्रीविक्रम:।
हरि: कोलाहलश्चक्री विजयो जयवर्द्धन:।।
पञ्चानन: परंब्रह्म चाघोरो घोरविक्रम:।
ज्वलन्मुखो ज्वालमाली महाज्वालो महाप्रभु:।।
निटिलाक्ष: सहस्त्राक्षो दुर्निरीक्ष्य: प्रतापन:। महाद्रंष्ट्रायुध: प्राज्ञश्चण्डकोपी सदाशिव:।।
हिरण्यकशिपुध्वंसी दैत्यदानवभञ्जन:।
गुणभद्रो महाभद्रो बलभद्र: सुभद्रक:।।
करालो विकरालश्च विकर्ता सर्वकर्तृक:। शिंशुमारस्त्रिलोकात्मा ईश: सर्वेश्वरो विभु:।।
भैरवाडम्बरो दिव्याश्चच्युत: कविमाधव:।
अधोक्षजो अक्षर: शर्वो वनमाली वरप्रद:।।
विश्वम्भरो अद्भुतो भव्य: श्रीविष्णु: पुरूषोतम:।
अनघास्त्रो नखास्त्रश्च सूर्यज्योति: सुरेश्वर:।।
सहस्त्रबाहु: सर्वज्ञ: सर्वसिद्धिप्रदायक:।
वज्रदंष्ट्रो वज्रनखो महानन्द: परंतप:।।
सर्वयन्त्रैकरूपश्च सप्वयन्त्रविदारण:।
सर्वतन्त्रात्मको अव्यक्त: सुव्यक्तो भक्तवत्सल:।।
वैशाखशुक्ल भूतोत्थशरणागत वत्सल:।
उदारकीर्ति: पुण्यात्मा महात्मा चण्डविक्रम:।।
वेदत्रयप्रपूज्यश्च भगवान् परमेश्वर:।
श्रीवत्साङ्क: श्रीनिवासो जगद्व्यापी जगन्मय:।।
जगत्पालो जगन्नाथो महाकायो द्विरूपभृत्।
परमात्मा परंज्योतिर्निर्गुणश्च नृकेसरी।।
परतत्त्वं परंधाम सच्चिदानंदविग्रह:।
लक्ष्मीनृसिंह: सर्वात्मा धीर: प्रह्लादपालक:।।
इदं लक्ष्मीनृसिंहस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेद् भक्त्या सर्वाभीष्टंवाप्नुयात्।।
श्री भगवान महाविष्णु स्वरूप श्री नरसिंह के अंक में विराजमान माँ महालक्ष्मी के इस श्रीयुगल स्तोत्र का तीनो संध्याओं में पाठ करने से भय, दारिद्र, दुःख, शोक का नाश होता है और अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
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महाविष्णु भगवान लक्ष्मीरमण नृसिंह आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
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