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Tuesday, 9 May 2017

Narsimha & Kurma jayanti 2017 नरसिंह एवम कूर्म जयंती 2017

नरसिंह एवं कूर्म जयंती 2017

भगवान नरसिंह काटेंगे कष्ट, श्री कूर्म भगवान मिटायेंगे वास्तु दोष।
नरसिंह जयंती 9 मई 2017
कूर्म जयंती 10 मई 2017

नरसिंह जयंती 
|अथ श्री नृसिंहकवचस्तोत्रम् ||

भगवान नरसिंह के प्रिय भक्त प्रह्लाद द्वारा कहे गए इस कवच के नियमित पाठ से भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त होती है।
 धन, पुत्र और यश की प्राप्ति होती है, इस लोक में जो जो कामना करता है उसे प्राप्त होती है।
बिछू आदि विष का नाश होता है, भूत प्रेत ब्रह्मराक्षस का भय नहीं रहता, दुःस्वप्न नहीं आते।
 इसके संकल्प पूर्वक 32000 पाठ करने से यह सिद्ध होता है और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
कवच समान धारण करने से सभी कार्य सफल एवं सिद्ध होते हैं।
भस्म अभिमंत्रित कर तिलक करने से सभी प्रकार की सुरक्षा होती है।
बच्चों के ज्वर, पेट पीड़ा, डब्बा हक्का आदि रोगों का नाश होता है,
अकारण डरने रोने चौकाने जैसे पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।

नृसिंहकवचं वक्ष्ये प्रह्लादेनोदितं पुरा |सर्वरक्षकरं पुण्यं सर्वोपद्रवनाशनम् ||१||
सर्व सम्पत्करं चैव स्वर्गमोक्षप्रदायकम् |ध्यात्वा नृसिंहं देवेशं हेमसिंहासनस्थितम् ||२||
विवृतास्यं त्रिनयनं शरदिन्दुसमप्रभम् |लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गम् विभूतिभिरुपाश्रितम् ||३||
चतुर्भुजं कोमलाङ्गं स्वर्णकुण्डलशोभितम् |सरोजशोभितोरस्कं रत्नकेयूरमुद्रितम् ||४||
तप्त काञ्चनसंकाशं पीतनिर्मलवाससम् |इन्द्रादिसुरमौलिष्ठः स्फुरन्माणिक्यदीप्तिभिः ||५||
विरजितपदद्वन्द्वम् च शङ्खचक्रादिहेतिभिः |गरुत्मत्मा च विनयात् स्तूयमानम् मुदान्वितम् ||६||
स्व हृत्कमलसंवासं कृत्वा तु कवचं पठेत् |नृसिंहो मे शिरः पातु लोकरक्षार्थसम्भवः ||७||
सर्वगेऽपि स्तम्भवासः फलं मे रक्षतु ध्वनिम् |नृसिंहो मे दृशौ पातु सोमसूर्याग्निलोचनः ||८||
स्मृतं मे पातु नृहरिः मुनिवार्यस्तुतिप्रियः |नासं मे सिंहनाशस्तु मुखं लक्ष्मीमुखप्रियः ||९||
सर्व विद्याधिपः पातु नृसिंहो रसनं मम |वक्त्रं पात्विन्दुवदनं सदा प्रह्लादवन्दितः ||१०||
नृसिंहः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ भूभृदनन्तकृत् |दिव्यास्त्रशोभितभुजः नृसिंहः पातु मे भुजौ ||११||
करौ मे देववरदो नृसिंहः पातु सर्वतः |हृदयं योगि साध्यश्च निवासं पातु मे हरिः ||१२||
मध्यं पातु हिरण्याक्ष वक्षःकुक्षिविदारणः |नाभिं मे पातु नृहरिः स्वनाभिब्रह्मसंस्तुतः ||१३||
ब्रह्माण्ड कोटयः कट्यां यस्यासौ पातु मे कटिम् |गुह्यं मे पातु गुह्यानां मन्त्राणां गुह्यरूपदृक्||१४||
ऊरू मनोभवः पातु जानुनी नररूपदृक् |जङ्घे पातु धराभर हर्ता योऽसौ नृकेशरी ||१५||
सुर राज्यप्रदः पातु पादौ मे नृहरीश्वरः |सहस्रशीर्षापुरुषः पातु मे सर्वशस्तनुम् ||१६||
महोग्रः पूर्वतः पातु महावीराग्रजोऽग्नितः |महाविष्णुर्दक्षिणे तु महाज्वलस्तु नैरृतः ||१७||
पश्चिमे पातु सर्वेशो दिशि मे सर्वतोमुखः |नृसिंहः पातु वायव्यां सौम्यां भूषणविग्रहः ||१८||
ईशान्यां पातु भद्रो मे सर्वमङ्गलदायकः |संसारभयतः पातु मृत्योर्मृत्युर्नृकेशई ||१९||
इदं नृसिंहकवचं प्रह्लादमुखमण्डितम् |भक्तिमान् यः पठेन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ||२०||
पुत्रवान् धनवान् लोके दीर्घायुरुपजायते |कामयते यं यं कामं तं तं प्राप्नोत्यसंशयम् ||२१||
सर्वत्र जयमाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् |भूम्यन्तरीक्षदिव्यानां ग्रहाणां विनिवारणम् ||२२||
वृश्चिकोरगसम्भूत विषापहरणं परम् |ब्रह्मराक्षसयक्षाणां दूरोत्सारणकारणम् ||२३||
भुजेवा तलपात्रे वा कवचं लिखितं शुभम् |
करमूले धृतं येन सिध्येयुः कर्मसिद्धयः ||२४||
देवासुर मनुष्येषु स्वं स्वमेव जयं लभेत् |
एकसन्ध्यं त्रिसन्ध्यं वा यः पठेन्नियतो नरः ||२५||
सर्व मङ्गलमाङ्गल्यं भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति |द्वात्रिंशतिसहस्राणि पठेत् शुद्धात्मनां नृणाम् ||२६||
कवचस्यास्य मन्त्रस्य मन्त्रसिद्धिः प्रजायते |
अनेन मन्त्रराजेन कृत्वा भस्माभिर्मन्त्रानाम् ||२७||
तिलकं विन्यसेद्यस्तु तस्य ग्रहभयं हरेत् |त्रिवारं जपमानस्तु दत्तं वार्याभिमन्त्र्य च ||२८||
प्रसयेद् यो नरो मन्त्रं नृसिंहध्यानमाचरेत् |
तस्य रोगः प्रणश्यन्ति ये च स्युः कुक्षिसम्भवाः ||२९||
गर्जन्तं गार्जयन्तं निजभुजपतलं स्फोटयन्तं हतन्तंरूप्यन्तं तापयन्तं दिवि भुवि दितिजं क्षेपयन्तं क्षिपन्तम् |
क्रन्दन्तं रोषयन्तं दिशि दिशि सततं संहरन्तं भरन्तंवीक्षन्तं पूर्णयन्तं करनिकरशतैर्दिव्यसिंहं नमामि||३०|||
|इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे प्रह्लादोक्तं श्रीनृसिंहकवचं सम्पूर्णम् ||

।।लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्रम्।।

श्री शंकराचार्य रचित इस लक्ष्मी नरसिंह कारावलम्बम स्तोत्र के पाठ से सभी पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है और ज्ञान तथा ऐश्वर्य दोनों की प्राप्ति होती है।
श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे भोगीन्द्रभोगमणिरंजितपुण्यमूर्ते।
योगीश शाश्वतशरण्यभवाब्धिपोतलक्ष्मीनृसिंहममदेहिकरावलम्बम॥1॥
ब्रम्हेन्द्र-रुद्र-मरुदर्क-किरीट-कोटि-संघट्टितांघ्रि-कमलामलकान्तिकान्त।
लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥2॥
संसारघोरगहने चरतो मुरारे मारोग्र-भीकर-मृगप्रवरार्दितस्य।
आर्तस्य मत्सर-निदाघ-निपीडितस्यलक्ष्मीनृसिंहममदेहिकरावलम्बम्॥3॥
संसारकूप-मतिघोरमगाधमूलं सम्प्राप्य दुःखशत-सर्पसमाकुलस्य।
दीनस्य देव कृपणापदमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥4॥
संसार-सागर विशाल-करालकाल-नक्रग्रहग्रसन-निग्रह-विग्रहस्य।
व्यग्रस्य रागदसनोर्मिनिपीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहिकरावलम्बम्॥5॥
संसारवृक्ष-भवबीजमनन्तकर्म-शाखाशतं करणपत्रमनंगपुष्पम्।
आरुह्य दुःखफलित पततो दयालो लक्ष्मीनृसिंहम देहिकरावलम्बम्॥6॥
संसारसर्पघनवक्त्र-भयोग्रतीव्र-दंष्ट्राकरालविषदग्ध-विनष्टमूर्ते।
नागारिवाहन-सुधाब्धिनिवास-शौरे लक्ष्मीनृसिंहममदेहिकरावलम्बम्॥7॥
संसारदावदहनातुर-भीकरोरु-ज्वालावलीभिरतिदग्धतनुरुहस्य।
त्वत्पादपद्म-सरसीशरणागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥8॥
संसारजालपतितस्य जगन्निवास सर्वेन्द्रियार्थ-बडिशार्थझषोपमस्य।
प्रत्खण्डित-प्रचुरतालुक-मस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहिकरावलम्बम्॥9॥
सारभी-करकरीन्द्रकलाभिघात-निष्पिष्टमर्मवपुषः सकलार्तिनाश।
प्राणप्रयाणभवभीतिसमाकुलस्यलक्ष्मीनृसिंहमम देहि करावलम्बम्॥10॥
अन्धस्य मे हृतविवेकमहाधनस्य चौरेः प्रभो बलि भिरिन्द्रियनामधेयै।
मोहान्धकूपकुहरे विनिपातितस्य लक्ष्मीनृसिंहममदेहिकरावलम्बम्॥11॥
लक्ष्मीपते कमलनाथ सुरेश विष्णो वैकुण्ठ कृष्ण मधुसूदन पुष्कराक्ष।
ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव देवेश देहि कृपणस्य करावलम्बम्॥12॥
यन्माययोर्जितवपुःप्रचुरप्रवाहमग्नाथमत्र निबहोरुकरावलम्बम्।
लक्ष्मीनृसिंहचरणाब्जमधुवतेत स्तोत्र कृतं सुखकरं भुविशंकरेण॥13॥
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्याकृतं लक्ष्मीनृसिंहस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

कूर्म जयंती महत्व

जिस दिन भगवान विष्णु जी ने कूर्म का रूप धारण किया था उसी तिथि को कूर्म जयंती के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों नें इस दिन की बहुत महत्ता मानी गई है. इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू किया जाना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि योगमाया स्वरूपा बगलामुखी स्तम्भित शक्ति के साथ कूर्म में निवास करती है. कूर्म जयंती के अवसर पर वास्तु दोष दूर किए ज सकते हैं, नया घर भूमि आदि के पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय होता है तथा बुरे वास्तु को शुभ में बदला जा सकता है.

श्री कूर्म भगवान मन्त्र

ॐ श्रीं कूर्माय नम:।


श्री कूर्म भगवान के कुछ सरल प्रयोग

1) महावास्तु दोष निवारक मंत्र
दुर्भाग्य बश यदि आपका पूरा मकान निवास स्थान या फ्लेट ही वास्तु विरुद्ध बन गया हो और आप किसी भी हालत में उसमें सुधार नहीं कर सकते
तो केवल महावास्तु मंत्र का जाप एवं कूर्म देवता की पूजा करनी चाहिए जिसका विधान है कि

सबसे पहले लाल चन्दन और केसर कुमकुम मिला कर एक पवित्र स्थान पर कछुए की आकृति बना लेँ
कछुए के मुख की ओर सूर्य तथा पूछ की ओर चन्द्रमा बना लेँ
सुबिधानुसार आप धातु का बना कछुआ भी पूजन हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं
फिर धूप दीप फल ओर गंगाजल या समुद्र का जल अर्पित करें
भूमि पर ही आसन बिछ कर रुद्राक्ष माला से 11 माला मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ ह्रीं कूर्माय वास्तु पुरुषाय स्वाहा

जाप पूरा होने के बाद घर अथवा निवास स्थान के चारों ओर एक एक कछुए का छोटा निशान बना दें
ऐसा करने से पूरी तरह वास्तु दोष से ग्रसित घर भी दोष मुक्त हो जाता है दिशाएं नकारात्मक प्रभाव नहीं दे पाती उर्जा परिवर्तित हो जाती है

2)वास्तु दोष निवारक महायंत्र
यदि आप ऐसी हालत में भी नहीं हैं कि पूजा पाठ या मंत्र का जाप कर सकें और आप नकारात्मक वास्तु के कारण बेहद परेशान है
घर दूकान या आफिस को बिना तोड़े फोड़े सुधारना चाहते हैं तो उसका दिव्य उपाय है महायंत्र
वास्तु का तीब्र प्रभावी यन्त्र
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121 177 944
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533 291 311
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657 111 312
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यन्त्र को आप सादे कागज़ भोजपत्र या ताम्बे चाँदी अष्टधातु पर बनवा सकते हैं
यन्त्र के बन जाने पर यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए
प्राण प्रतिष्ठा के लिए पुष्प धूप दीप अक्षत आदि ले कर यन्त्र को अर्पित करें
पंचामृत से सनान कराते हुये या छींटे देते हुये 21 बार मंत्र का उच्चारण करें

मंत्र-ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:

अब पीले रंग या भगवे रंग के वस्त्र में लपेट कर इस यन्त्र को घर दूकान या कार्यालय में स्थापित कर दीजिये

पुष्प माला अवश्य अर्पित करें
इस प्रयोग से शीघ्र ही वास्तु दोष हट जाएगा

3) तनाव मुक्ति हेतु

चांदी के गिलास बर्तन या पात्र पर कछुए का चिन्ह बना कर भोजन करने व पानी पीने से भारी से भारी तनाब नष्ट होता है ।

4) उत्तम स्वास्थ्य हेतु

चार पायी बेड अथवा शयन कक्ष में धातु का कूर्म अर्थात कछुआ रखने से गहरी और सुखद निद्रा आती है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है ।

रसोई घर में कूर्म की स्थापना करने से वहां पकने वाला भोजन रोगमुक्ति के गुण लिए भक्त को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है ।

5) कूर्म श्री यन्त्र

कछुवे की पीठ पर श्री यन्त्र समतल अथवा पिरामिड आकार में प्रायः देखने को मिल जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से जहां ये काम, क्रोध, लोभ, मोह का शमन कर कुंडली जागरण द्वारा मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। वहीं दूसरी ओर भौतिक सुखों की छह रखने वालों के लिए ये स्थिर लक्ष्मी, सम्पदा, सौख्य और विजय देने का भी प्रतीक माना जाता है।

6) नए भवन निर्माण में समृद्धि हेतु

यदि नया भवन बना रहे हैं तो आधार में चाँदी का कछुआ ड़ाल देने से घर में रहने वाला परिवार खूब फलता-फूलता है ।

7) शिक्षा में स्थिर चित्त हेतु

बच्चों को विद्या लाभ व राजकीय लाभ मिले इसके लिए उनसे कूर्म की उपासना करवानी चाहिए तथा मिटटी के कछुए उनके कक्ष में स्थापित करें ।

8) विवाद विजय में

यदि आपका घर किसी विवाद में पड़ गया हो या घर का संपत्ति का विवाद कोर्ट कचहरी तक पहुँच गया हो तो लोहे का कूर्म बना कर शनि मंदिर में दान करना चाहिए ।

9) शत्रु मुक्ति

घर की छत में कूर्म की स्थापना से शत्रु नाश होता है उनपर विजय मिलती है।

10)भूमि दोष नाशक मंत्र उपाय

यदि आपका घर या जमीन ऐसी जगह है जहाँ भूमि में ही दोष है
आपका घर किसी श्मशान भूमि ,कब्रगाह ,दुर्घटना स्थल या युद्ध भूमि पर बना है या कोई अशुभ साया या जमीनी अशुभ तत्व स्थान में समाहित हों
जिस कारण सदा भय कलह हानि रोग तानाब बना रहता हो तो जमीन में मिटटी के कूर्म की स्थापना करनी चाहिए
एक मिटटी का कछुआ ले कर उसका पूजन करें
पूजन के लिए घर के ब्रह्मस्थल में भूमि पर लाल वस्त्र बिछा लेँ
फिर गंगाजल से स्नान करवा कर कुमकुम से तिलक करें
पंचोपचार पूजा करें अर्थात धूप दीप जल वस्त्र फल अर्पित करें चने का प्रसाद बनाये व बांटे

7 माला मंत्र जाप पूर्व दिशा की और मुख रख कर करें

मंत्र-ॐ आधार पुरुषाय जाग्रय-जाग्रय तर्पयामि स्वाहा।

साथ ही एक माला पूरी होने पर एक बार कछुए पर पानी छिड़कें

संध्या के समय भूमि में तीन फिट गढ्ढा कर गाड़ दें
समस्त भूमि दोष दूर होंगे

11) अदृश्य शक्ति नाशक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके घर में कोई अदृश्य शक्ति है ,किसी तरह की कोई बाधा है तो कूर्म की पूजा कर उसे मौली बाँध दें ,लाल कपडे में बंद कर धूप दीप करें , निम्न मन्त्र का 11 माला जप करें

मंत्र-ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय ।

रात के समय इसे द्वार पर रखे तथा सुबह नदी में प्रवाहित कर दें
इससे घर में शीघ्र शांति हो जायेगी।

12)भूमि भवन सुख दायक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके पास ही घर क्यों नहीं है? आपके पास ही संपत्ति क्यों नहीं है?
क्या इतनी बड़ी दुनिया में आपको थोड़ी सी जगह मिलेगी भी या नहीं ? तो इसके लिए केवल कूर्म स्वरुप विष्णु जी की पूजा कीजिये

विष्णु जी की प्रतिमा के सामने कूर्म की प्रतिमा रखें या कागज पर बना कर स्थापित करें
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें
भगवान् को पीले फल व पीले वस्त्र चढ़ाएं
तुलसी दल कूर्म पर रखें और पुष्प अर्पित कर भगवान् की आरती करें
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूर्म को ले जा कर किसी अलमारी आदि में छुपा कर रख लेँ
इस प्रयोग से भूमि संपत्ति भवन के योग रहित जातक को भी इनका सुख प्राप्त होता है।

13) वास्तु स्थापन प्रयोग
यदि आपका दरवाजा खिड़की कमरा रसोई घर सही दिशा में नहीं हैं तो उनको तोड़ने की बजाये
उनपर कछुए का निशान इस तरह से बनाये कि कछुए का मुख नीचे जमीन की ओर हो और पूंछ आकाश की ओर
ये प्रयोग शाम को गोधुली की बेला में करना चाहिए
कछुए को रक्त चन्दन ,कुमकुम ,केसर के मिश्रण से बनी स्याही से बनाएं।
कछुए का निर्माण करते समय मानसिक मंत्र का जाप करते रहें
मंत्र-ॐ कूर्मासनाय नम:
कछुया बन जाने पर धूप दीप कर गंगा जल के छीटे दें
और धूप दिखाएँ।
इस तरह प्रयोग करने से गलत दिशा में बने द्वार खिड़की कक्ष आदि को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती ऐसा विद्वानों का कथन है।

14) व्यापार वृद्धि हेतु

अष्टधातु या चाँदी से निर्मित कूर्म विधिवत पूजन कर अपने कैश काउंटर या मेज पर इस प्रकार रखें की उसका मुख बाहर प्रवेश द्वार की ओर रहे। आने जाने वाले सभी लोगों की नज़र उस पर पड़े।

अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान एवं कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
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