वनस्पति तन्त्र
तांत्रिक जड़ीबूटियां भाग - 10
अपामार्ग (चिरचिंटा/ लटजीरा) तंत्र:
मित्रों,
तंत्र और आयुर्वेद की एक बेहद अहम वनस्पति है अपामार्ग। आम बोलचाल की भाषा में चिरचिटा, चिड़चिड़ा, ओंगा और लटजीरा जैसे नामों से ये पहचाना जाता है। देश के लगभग हर हिस्से में ये आराम से मिल जाता है। इसके पौधे यत्र तत्र स्वतः ही उग जाते हैं। प्रायः एक वर्ष की आयु होने पर पौधा सूख जाता है किन्तु कुछ दुर्लभ पौधे 10-15 वर्ष की आयु भी प्राप्त कर लेते हैं उनके त्वक् और मूल भी विशिष्ट क्रियाओं में प्रयोग होती है।
अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है। आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं। सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग
युक्त होते हैं। इसके अलावा फल चपटे होते हैं, जबकि लाल अपामार्ग का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।
इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद
अपामार्ग श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग
एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं। इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं।
इसकी दो प्रजातियां होती हैं सफेद और लाल। तंत्र और आयुर्वेद दोनों में ही इसकी दोनों की प्रजातियों का उपयोग होता है।
इस वनस्पति को रवि-पुष्य नक्षत्र मे या आवश्यकता होने पर विधि पूर्वक शुभ नक्षत्र में लाकर निम्न प्रयोग कर सकते हैं।
1. सन्तान प्राप्ति:-
सफेद अपामार्ग की जड़ को जलाकर भस्म बना लें। फिर इस भस्म का नित्य गाय के दूध के साथ सेवन करें, संतान सुख प्राप्त होगा।
2. धन प्राप्ति:-
सफेद लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।
3. तिजारी ज्वर ( हर तीसरे दिन आने वाला बुखार)
चिरचिटा (अपामार्ग या ओंगा) की जड़ को लाल रंग के 7 धागों में रविवार के दिन लपेटकर रोगी
चिरचिटाकी कमर में बांध देने से `तिजारी बुखार´ चला जाता है।
4. सर्वजन वशीकरण
अपामार्ग, भृंगराज, लाजवन्ती, सहदेवी के मूल समभाग घिस कर तिलक करने से सर्वजन वशीकरण होता है।
5. सम्मोहन
इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
6. वाक् सिद्धि
इसकी डंडी की दातून 6 माह तक करने से वाक सिद्धि होती है। किन्तु यह अत्यंत दुष्कर है किसी न किसी कारण से क्रम टूट जाता है।
7. भूख बन्द
इसके बीजों को साफ करके चावल निकाल लें और दूध में इसकी खीर बना कर खाएं, भूख का अनुभव नहीं होगा। ( ये सिद्ध प्रयोग है किन्तु किसी जानकर के सानिध्य में ही करना चाहिए क्योंकि ये पेट बांध देता है अर्थात भूख के साथ साथ मल भी बन्द हो जाता है और लोगो को गर्मी, बेचैनी, ऐंठन मरोड़ हो जाते हैं अतः बिना विरेचन जाने ये प्रयोग नहीं करना चाहिए)
8. विष नाश
विषनाश का मन्त्र पढ़कर इसकी 7 टहनियां लेकर सर्प, बिछू या ततैया के काटे स्थान पर झड़ने से विष उतर जाता है।
9. ऊपरी बाधा
यदि घर में ऊपरी बाधाओ का उपद्रव हो तो अपमार्ग और काले धतूरे के पौधे को जड़ समेत उखाड़ कर घर में गड्ढा कर उल्टा गाड़ने से उपद्रव शांत होते हैं।
10. रक्षा हेतु
अभिमन्त्रित श्वेत अपामार्ग-मूल को ताबीज में भर कर
लाल,पीले या हरे धागे में गूंथकर गले वा वांह में धारण करने से शत्रु, शस्त्र आदि से रक्षा होती है।
11. वंचित प्रश्नों के उत्तर पाना
अभिमन्त्रित श्वेत अपामार्ग-मूल को चूर्ण करके हरे रंग के नवीन कपड़े में लपेट कर वर्तिका बना,तिल तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें।उस दीपक को एकान्त में रखकर उसकी लौ पर ध्यान केन्द्रित करने से वांछित दृश्य देखे जा सकते हैं। मान लिया किसी चोरी गई वस्तु की,अथवा गुमशुदा व्यक्ति के बारे में हम जानना चाहते हैं,तो इस प्रयोग को किया जा सकता है।
(आपका ध्यान जितना केन्द्रित होगा, दृश्य और
आभास उतना ही स्पष्ट होगा। ये विद्या / सिद्धि लम्बे अभ्यास के बाद मिलती है, जो लोग निरन्तर त्राटक अभ्यास करते हैं उन्हें शीघ्र सफलता मिल सकती है)
१२. स्त्री वशीकरण
अपने वीर्य में अपामार्ग की जड़ , धतूरे की जड़, हरताल घोंट कर किसी स्त्री को 25 ग्राम खिला देने पर वशीकरण होता है।
|| अपामार्ग के अदभुत औषिधय गुण ||
आइये जाने ये किस-किस काम में और क्या-क्या प्रयोग में काम आती है -
1. गुर्दे की पथरी (Kidney stone)
लगभग 1 से 3 ग्राम चिरचिटा के पंचांग का क्षार बकरी के दूध के साथ दिन में 2 बार लेते हैं। इससे गुर्दे की पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह- शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है। इसकी क्षार अगर भेड़ के पेशाब के साथ खायें तो गुर्दे की
पथरी में ज्यादा लाभ होता है।
2. खूनी बवासीर (Bloody piles)
चिरचिटा की 25 ग्राम जड़ों को चावल के पानी में पीसकर बकरी के दूध के साथ दिन में 3 बार लेने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
3. कुष्ठ (Leprosy)
चिरचिटा के पंचांग का काढ़ा लगभग 14 से 28 मिलीलीटर दिन में 3 बार सेवन करने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।
4. हैजा(Cholera)
चिरचिटा की जड़ों को 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में बारीक पीसकर दिन में 3 बार देने से हैजा में लाभ
मिलता है।
5. शारीरिक दर्द (Physical pain)
चिरचिटा की लगभग 1 से 3 ग्राम पंचांग का क्षार नींबू के रस में या शहद के साथ दिन में 3 बार देने से
शारीरिक दर्द में लाभ मिलता है।
6. तृतीयक बुखार (Tertiary fever)
इसकी ढाई पत्तियों को गुड़ में मिलाकर दो दिन तक सेवन करने से पुराना ज्वर उतर जाता है।
7. खांसी (cough)
चिरचिटा को जलाकर, छानकर उसमें उसके बराबर वजन की चीनी मिलाकर 1 चुटकी दवा मां के दूध के साथ रोगी को देने से खांसी बंद हो जाती है।
8. आंवयुक्त दस्त (Dysentery diarrhea)
चिरचिटा के कोमल के पत्तों को मिश्री के साथ मिलाकर अच्छी तरह पीसकर मक्खन के साथ धीमी आग पर रखे जब यह गाढ़ा हो जाये तब इसको खाने से ऑवयुक्त दस्त में लाभ मिलता है।
9. बवासीर (Hemorrhoids)
250 ग्राम चिरचिड़ा का रस, 50 ग्राम लहसुन का रस, 50 ग्राम प्याज का रस और 125 ग्राम सरसों का तेल
इन सबको मिलाकर आग पर पकायें। पके हुए रस में 6 ग्राम मैनसिल को पीसकर डालें और 20 ग्राम मोम डालकर महीन मलहम (पेस्ट) बनायें। इस मलहम को
मस्सों पर लगाकर पान या धतूरे का पत्ता ऊपर से चिपकाने से बवासीर के मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं।
चिरचिटा के पत्तों के रस में 5-6 काली मिर्च पीसकर पानी के साथ पीने से बवासीर में आराम मिलता है।
10. पक्षाघात-लकवा-फालिस- परालिसिस (Stroke-paralysis-Falis- paralysis)
एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।
11. जलोदर (Dropsy)
चिरचिटा का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की
मात्रा में लेकर पीने से जलोदर (पेट में पानी भरना) की सूजन कम होकर समाप्त हो जाती है।
12. शीतपित्त (Urticaria)
अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
13. घाव -व्रण( wound)
फोड़े की सूजन व दर्द कम करने के लिए चिरचिटा, सज्जीखार अथवा जवाखार का लेप बनाकर फोड़े पर
लगाने से फोड़ा फूट जाता है, जिससे दर्द व जलन में रोगी को आराम मिलता है।
14 . उपदंश -सिफलिस( Syphilis)
चिरचिटा की धूनी देने से उपदंश के घाव मिट जाते हैं। 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ के रस को सफेद जीरे के 8 ग्राम चूर्ण के साथ मिलाकर पीने से उपदंश में बहुत लाभ होता है। इसके साथ रोगी को मक्खन भी साथ
में खिलाना चाहिए।
15. नाखून की खुजली (Nail itch)
चिरचिटा के पत्तों को पीसकर रोजाना 2 से 3 बार लेप करने से नाखूनों की खुजली दूर हो जाती है।
16. नासूर (Ulcer)
नासूर दूर करने के लिए चिरचिटे की पत्तियों को पानी में पीसकर रूई में लगाकर नासूर में भर दें। इससे नासूर मिट जाता है।
17. शरीर में सूजन (Inflammation in the
body)
लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में चिरचिटा खार, सज्जी खार और जवाखार को लेकर पानी में पीसकर सूजन वाली गांठ पर लेप की तरह सेलगाने से सूजन दूर हो जाती है।
18. बच्चों के रोगों में लाभकारी
( Beneficial Children's Diseases)
अगर बच्चे की आंख में माता (दाने) निकल आये तो दूध में मूल को घिसकर आंख में काजल की तरह लगाएं।
19. बिच्छू का जहर(Poison Scorpion)
जिस बच्चे या औरत-आदमी के बिच्छू ने डंक मारा हो,उसे चिरचिटे की जड़ का स्पर्श करायें अथवा 2 बार
दिखायें। इससे जहर उतर जाता है।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
7579400465
8909521616 (whats app)
For more easy & useful remedies visit : http://jyotish-tantra.blogspot.in
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अपामार्ग (चिरचिंटा/ लटजीरा) तंत्र:
मित्रों,
तंत्र और आयुर्वेद की एक बेहद अहम वनस्पति है अपामार्ग। आम बोलचाल की भाषा में चिरचिटा, चिड़चिड़ा, ओंगा और लटजीरा जैसे नामों से ये पहचाना जाता है। देश के लगभग हर हिस्से में ये आराम से मिल जाता है। इसके पौधे यत्र तत्र स्वतः ही उग जाते हैं। प्रायः एक वर्ष की आयु होने पर पौधा सूख जाता है किन्तु कुछ दुर्लभ पौधे 10-15 वर्ष की आयु भी प्राप्त कर लेते हैं उनके त्वक् और मूल भी विशिष्ट क्रियाओं में प्रयोग होती है।
अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है। आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं। सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग
युक्त होते हैं। इसके अलावा फल चपटे होते हैं, जबकि लाल अपामार्ग का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।
इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद
अपामार्ग श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग
एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं। इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं।
इसकी दो प्रजातियां होती हैं सफेद और लाल। तंत्र और आयुर्वेद दोनों में ही इसकी दोनों की प्रजातियों का उपयोग होता है।
इस वनस्पति को रवि-पुष्य नक्षत्र मे या आवश्यकता होने पर विधि पूर्वक शुभ नक्षत्र में लाकर निम्न प्रयोग कर सकते हैं।
1. सन्तान प्राप्ति:-
सफेद अपामार्ग की जड़ को जलाकर भस्म बना लें। फिर इस भस्म का नित्य गाय के दूध के साथ सेवन करें, संतान सुख प्राप्त होगा।
2. धन प्राप्ति:-
सफेद लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।
3. तिजारी ज्वर ( हर तीसरे दिन आने वाला बुखार)
चिरचिटा (अपामार्ग या ओंगा) की जड़ को लाल रंग के 7 धागों में रविवार के दिन लपेटकर रोगी
चिरचिटाकी कमर में बांध देने से `तिजारी बुखार´ चला जाता है।
4. सर्वजन वशीकरण
अपामार्ग, भृंगराज, लाजवन्ती, सहदेवी के मूल समभाग घिस कर तिलक करने से सर्वजन वशीकरण होता है।
5. सम्मोहन
इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
6. वाक् सिद्धि
इसकी डंडी की दातून 6 माह तक करने से वाक सिद्धि होती है। किन्तु यह अत्यंत दुष्कर है किसी न किसी कारण से क्रम टूट जाता है।
7. भूख बन्द
इसके बीजों को साफ करके चावल निकाल लें और दूध में इसकी खीर बना कर खाएं, भूख का अनुभव नहीं होगा। ( ये सिद्ध प्रयोग है किन्तु किसी जानकर के सानिध्य में ही करना चाहिए क्योंकि ये पेट बांध देता है अर्थात भूख के साथ साथ मल भी बन्द हो जाता है और लोगो को गर्मी, बेचैनी, ऐंठन मरोड़ हो जाते हैं अतः बिना विरेचन जाने ये प्रयोग नहीं करना चाहिए)
8. विष नाश
विषनाश का मन्त्र पढ़कर इसकी 7 टहनियां लेकर सर्प, बिछू या ततैया के काटे स्थान पर झड़ने से विष उतर जाता है।
9. ऊपरी बाधा
यदि घर में ऊपरी बाधाओ का उपद्रव हो तो अपमार्ग और काले धतूरे के पौधे को जड़ समेत उखाड़ कर घर में गड्ढा कर उल्टा गाड़ने से उपद्रव शांत होते हैं।
10. रक्षा हेतु
अभिमन्त्रित श्वेत अपामार्ग-मूल को ताबीज में भर कर
लाल,पीले या हरे धागे में गूंथकर गले वा वांह में धारण करने से शत्रु, शस्त्र आदि से रक्षा होती है।
11. वंचित प्रश्नों के उत्तर पाना
अभिमन्त्रित श्वेत अपामार्ग-मूल को चूर्ण करके हरे रंग के नवीन कपड़े में लपेट कर वर्तिका बना,तिल तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें।उस दीपक को एकान्त में रखकर उसकी लौ पर ध्यान केन्द्रित करने से वांछित दृश्य देखे जा सकते हैं। मान लिया किसी चोरी गई वस्तु की,अथवा गुमशुदा व्यक्ति के बारे में हम जानना चाहते हैं,तो इस प्रयोग को किया जा सकता है।
(आपका ध्यान जितना केन्द्रित होगा, दृश्य और
आभास उतना ही स्पष्ट होगा। ये विद्या / सिद्धि लम्बे अभ्यास के बाद मिलती है, जो लोग निरन्तर त्राटक अभ्यास करते हैं उन्हें शीघ्र सफलता मिल सकती है)
१२. स्त्री वशीकरण
अपने वीर्य में अपामार्ग की जड़ , धतूरे की जड़, हरताल घोंट कर किसी स्त्री को 25 ग्राम खिला देने पर वशीकरण होता है।
|| अपामार्ग के अदभुत औषिधय गुण ||
आइये जाने ये किस-किस काम में और क्या-क्या प्रयोग में काम आती है -
1. गुर्दे की पथरी (Kidney stone)
लगभग 1 से 3 ग्राम चिरचिटा के पंचांग का क्षार बकरी के दूध के साथ दिन में 2 बार लेते हैं। इससे गुर्दे की पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।
5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह- शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है। इसकी क्षार अगर भेड़ के पेशाब के साथ खायें तो गुर्दे की
पथरी में ज्यादा लाभ होता है।
2. खूनी बवासीर (Bloody piles)
चिरचिटा की 25 ग्राम जड़ों को चावल के पानी में पीसकर बकरी के दूध के साथ दिन में 3 बार लेने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
3. कुष्ठ (Leprosy)
चिरचिटा के पंचांग का काढ़ा लगभग 14 से 28 मिलीलीटर दिन में 3 बार सेवन करने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।
4. हैजा(Cholera)
चिरचिटा की जड़ों को 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में बारीक पीसकर दिन में 3 बार देने से हैजा में लाभ
मिलता है।
5. शारीरिक दर्द (Physical pain)
चिरचिटा की लगभग 1 से 3 ग्राम पंचांग का क्षार नींबू के रस में या शहद के साथ दिन में 3 बार देने से
शारीरिक दर्द में लाभ मिलता है।
6. तृतीयक बुखार (Tertiary fever)
इसकी ढाई पत्तियों को गुड़ में मिलाकर दो दिन तक सेवन करने से पुराना ज्वर उतर जाता है।
7. खांसी (cough)
चिरचिटा को जलाकर, छानकर उसमें उसके बराबर वजन की चीनी मिलाकर 1 चुटकी दवा मां के दूध के साथ रोगी को देने से खांसी बंद हो जाती है।
8. आंवयुक्त दस्त (Dysentery diarrhea)
चिरचिटा के कोमल के पत्तों को मिश्री के साथ मिलाकर अच्छी तरह पीसकर मक्खन के साथ धीमी आग पर रखे जब यह गाढ़ा हो जाये तब इसको खाने से ऑवयुक्त दस्त में लाभ मिलता है।
9. बवासीर (Hemorrhoids)
250 ग्राम चिरचिड़ा का रस, 50 ग्राम लहसुन का रस, 50 ग्राम प्याज का रस और 125 ग्राम सरसों का तेल
इन सबको मिलाकर आग पर पकायें। पके हुए रस में 6 ग्राम मैनसिल को पीसकर डालें और 20 ग्राम मोम डालकर महीन मलहम (पेस्ट) बनायें। इस मलहम को
मस्सों पर लगाकर पान या धतूरे का पत्ता ऊपर से चिपकाने से बवासीर के मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं।
चिरचिटा के पत्तों के रस में 5-6 काली मिर्च पीसकर पानी के साथ पीने से बवासीर में आराम मिलता है।
10. पक्षाघात-लकवा-फालिस- परालिसिस (Stroke-paralysis-Falis- paralysis)
एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।
11. जलोदर (Dropsy)
चिरचिटा का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की
मात्रा में लेकर पीने से जलोदर (पेट में पानी भरना) की सूजन कम होकर समाप्त हो जाती है।
12. शीतपित्त (Urticaria)
अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।
13. घाव -व्रण( wound)
फोड़े की सूजन व दर्द कम करने के लिए चिरचिटा, सज्जीखार अथवा जवाखार का लेप बनाकर फोड़े पर
लगाने से फोड़ा फूट जाता है, जिससे दर्द व जलन में रोगी को आराम मिलता है।
14 . उपदंश -सिफलिस( Syphilis)
चिरचिटा की धूनी देने से उपदंश के घाव मिट जाते हैं। 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ के रस को सफेद जीरे के 8 ग्राम चूर्ण के साथ मिलाकर पीने से उपदंश में बहुत लाभ होता है। इसके साथ रोगी को मक्खन भी साथ
में खिलाना चाहिए।
15. नाखून की खुजली (Nail itch)
चिरचिटा के पत्तों को पीसकर रोजाना 2 से 3 बार लेप करने से नाखूनों की खुजली दूर हो जाती है।
16. नासूर (Ulcer)
नासूर दूर करने के लिए चिरचिटे की पत्तियों को पानी में पीसकर रूई में लगाकर नासूर में भर दें। इससे नासूर मिट जाता है।
17. शरीर में सूजन (Inflammation in the
body)
लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में चिरचिटा खार, सज्जी खार और जवाखार को लेकर पानी में पीसकर सूजन वाली गांठ पर लेप की तरह सेलगाने से सूजन दूर हो जाती है।
18. बच्चों के रोगों में लाभकारी
( Beneficial Children's Diseases)
अगर बच्चे की आंख में माता (दाने) निकल आये तो दूध में मूल को घिसकर आंख में काजल की तरह लगाएं।
19. बिच्छू का जहर(Poison Scorpion)
जिस बच्चे या औरत-आदमी के बिच्छू ने डंक मारा हो,उसे चिरचिटे की जड़ का स्पर्श करायें अथवा 2 बार
दिखायें। इससे जहर उतर जाता है।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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ye pauda apamarg nahi hai Pandeyji
ReplyDeleteफिर क्या है आप बताएं और असली अपामार्ग का चित्र दें
Deleteबिलकुल सही चित्र है
DeleteMere Pass Pada Hai appa Marg Kisi Ko chiye To Batana Free Main
DeleteThis is not Apamarg plant
ReplyDeleteApmarg hi hai.... Jab paudha grow karta hai us samay ka h
DeleteApmarg hi hai.... Jab paudha grow karta hai us samay ka h
Deletehttps://www.bimbim.in/wp-content/uploads/2015/11/apamarg.jpg
ReplyDeletethis is actual apamarg.
Apamarg is used for which planet gem substitute in astrology ?
ReplyDeleteApamarg plant kis liye used hota h
ReplyDeleteVery Useful article and very informative 5 Mukhi Rudraksha Please post regularly article like this.
ReplyDeletePaditji apmarg ko abhimantrit kese karna hai kruyay bataiye
ReplyDeleteGuruji pranam, please says how to abhimantrit and also the mantra.
DeleteGuruji pranam, please says about abhimantra along with mantra.
DeleteIsme se ek jadi buti ke aneekh naam janne ke liye kaise kiya jaye.
ReplyDeleteWe wants Mantraki image
ReplyDeleteHi, This is a nice article you shared great information about Rashi ratan, I have read it thanks for share such a wonderful blog for the reader.
ReplyDeleteVisit: rashi ratan price list
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ReplyDeleteNice articles
ReplyDeleteThanks for writing this blog, You may also like the
ReplyDeleteVibhuti