श्री गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
इत्वं विष्णुशिवादितत्वतनवे श्री वक्रतुण्डायहुँ
काराक्षिप्त समस्त दैत्यप्रतनाव्राताय दीप्य त्विषे। आनन्दैकरसावबोध लहरी विध्वस्त सर्वोर्मये
सर्वत्र प्रथमानमुग्धमहसे तस्मै परस्मै नमः।।
अर्थात: इस प्रकार विष्णु, शिव आदि तत्व शरीर वाले, हुँकार मात्र से दैत्य समूह को मार डालने में समर्थ अत्यन्त उद्वीप्त दीप्ति वाले आनन्दैकरसमय ज्ञान लहरी से समस्त उर्मियों को विध्वस्त करने वाले उन परमात्मा वक्रतुण्ड को नमस्कार है। जिनका मनोहर तेज सर्वत्र व्याप्त है।
महर्षि वेदव्यास द्वारा भगवान गणपति की स्तुति
एकदन्तं महाकायं तप्त कान्चन सन्निभम्।
लम्बोदरं विशालाक्षं वन्देऽहं गणनायकम्।।
मुन्जकृष्णाजिन्धरं नागयज्ञोपवीतिनम्।
बालेन्दुकलिकामौलीं वन्देऽहं गणनायकम्।।
चित्ररत्नादिचित्राङ्ग चित्रकला विभूषणम्।
कामरुपधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम्।।
गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं चारुकर्ण विभूषितम्।
पाशाङ्कुशधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम्।
गणेश पुराण अनुसार भगवान ब्रह्मा-विष्णु-महेश द्वारा भगवान गणेश की स्तुति
ततोऽतिकरुणाविष्टो लोकाध्यक्षोऽखिलार्थवित्।
दर्शयामास तान् रुपम् मनोनयननन्दनम्।।
पादाङ्गुलीनखश्रीभिर्जितरक्ताब्जकेसरम्।
रक्ताम्बरप्रभावात्तु जितसंध्यार्कमण्डलम्।।
कटिसूत्रप्रभाजालैर्जितहेमाद्रिशेखरम्।
खड्गखेटधनुः शक्तिशोभिचारुचतुर्भुजम्।।
सुना पूर्णिमा चन्द्र जितकान्तिमुखाम्बुजम्।
अहर्निशं प्रभायुक्तं पद्मचारुसुलोचनम्।।
अनेकसूर्यशोभाजिन्मुकुटभ्राजिमस्तकम्।
नानातारांकितव्योमकान्तिजिदुत्तरीयकम्।।
वराहदंष्ट्राशोभाजिदेकदन्तविराजितम्।
ऐरावता दिदिक्पालभयकारीसुपुष्करम्।।
भगवान गणेश के वाहन
श्री गणेश पुराण के क्रीडाखण्ड में उल्लेख है कि -
सिंहारुढो दशभुजः कृते नाम्नाः विनायकः।
तेजोरुपी महाकायः सर्वेषां वरदो वशी।।
त्रेतायुगे बर्हिरुढः षड्भुजोऽप्र्जुनच्छविः।
मयूरेश्वरनाम्ना च विख्यातो भुवनत्रे।।
द्वापरे रक्तवर्णोऽसावाखुरुढश्रचतुर्भुजः।
गजानन इति ख्यातः पूजितः सुरमानवैः।।
कलौ धूम्रवर्णोऽसावश्रवारूढो द्विहस्त वां ।
तु धूम्रकेतुरिति ख्यातो मलेच्छानीकविनाशकृत्।।
अर्थात् सतयुग में भगवान गणेश का वाहन सिंह है, वे दस भुजा वाले, तेजःस्वरूप व विशालकाय तथा सबको वर देने वाले हैं, उनका नाम विनायक है।
त्रेतायुग में उनका वाहन मयूर है, वे ६ भुजाओं वाले हैं, उनका वर्ण श्वेत है, वे तीनों लोकों में विख्यात मयूरेश्वर नाम वाले हैं।
द्वापर युग में उनका वर्ण लाल है, व आखु-मूषक वाहन हैं, उनकी चार भुजाएँ हैं, वे मनुष्यों तथा देवों द्वारा सर्वपूज्य हैं, उनका नाम गजानन हैं और
कलयुग में उनका धर्म वर्ण है, वे घोड़े पर आरुढ़ रहते हैं, उनके दो हाथ हैं, उनका नाम धूम्रकेतु है, वे म्लेच्छों का विनाश करने वाले हैं।
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।।जय श्री राम।।
अभिषेक पाण्डेय
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