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Saturday, 28 September 2019

Tripur sundari adhyayan त्रिपुरसुंदरी अष्टकम

शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं

श्री राजराजेश्वरी अष्टकम

ब्रह्मण्ड को भण्ड नाम के असुर के त्रास से मुक्ति देने के लिए महायागानलोत्पन्ना श्री माता राजराजेश्वरी ललिता परमेश्वरी का प्रादूर्भव हुआ ऐसी कथा ब्रह्मण्ड पुराण के उत्तर भाग के इक्तीसवें अध्याय में आयी है। ब्रह्मर्षी अगस्त्य जी के पूछने पर हयग्रवी भगवान कहते है –

“यथा चक्ररथं प्राप्य पूर्वोक्तैर्लक्षणैयुर्तम्।
महायागान्लोत्पनन्ना ललिता परमेश्वरी।।
कृत्वा वैवाहिकीं लीलां ब्रह्माद्यैः प्रार्थिता पुनः।
व्यजेष्ठ भण्डनामानमसुरं लोककण्टकम्।।
तदा देवा महेन्द्राद्याः सन्तोष बहु मेजिरे।।”

माता ललिता के विहार करने के लिए विश्वकर्मा ने अद्भुद प्रासाद की रचना की थी। श्रीपुर नवकूट परिवृत है जहाँ बिन्दुमण्डल मध्यवासिनी का मुख्य स्थान है। भगवती को पचप्रेतासनासीना भी कहा गया है। जो भगवती के व्यापकता व अक्षुण्ण सत्ता का भी बोधक है। महाराज्ञी विष्णु, ब्रह्मा एवं शिव के भी न रहने पर स्थित होकर अपने प्रेयस कामेश्वर की आराधना व विहार करती है। ऐसी भागवती को अनेको देवों ने पूजा, ईष्ट बनाया और अलभ्य पदार्थों की, पदों की प्राप्ति की जैसे-विष्णु, चन्द्र, कुबेर, मनु, लोपामुद्रा, अगस्त्य, नन्दिकेश्वर, इन्द्र, सूर्य, शंकर एवं दुर्वासा आदि।

अन्य भी अनेकों उपसकों ने इशित्वादि अष्टसिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मोक्ष, ज्ञान, धन आदिकों की प्राप्ति के लिए कामदुधा त्रिपुरसुन्दरी की उपासना की है।

माँ ललिता को ही लम्बोदरप्रसू भी कहा गया है जिसका भाष्य करते हुए शंकराचार्य भगवान ने कहा है- “लम्बोदरस्य महागणेशस्य प्रसूः जनयित्री मातेत्यर्थः, लम्बोदरं प्रसूत इति वा”, विघ्नहर्ता की जननी यही जगत्जननी है।।

।। श्री राजराजेश्वरी अष्टकम् ।।

अम्बा शाँभवि चन्द्रमौलि रमलाऽपर्णा उमा पार्वती काली हैमवती शिवा त्रिनयनी कात्यायनी भैरवी ।
सावित्री नवयौवना शुभकरी साम्राज्य लक्ष्मीप्रदा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा मोहिनी देवता त्रिभुवनी आनन्द सन्दायिनी वाणी पल्लव पाणि वेणु मुरली गानप्रिया लोलिनी ।
कल्याणी उडुराजबिंब वदना धूम्राक्ष संहारिणी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा नूपुर रत्न कंकणधरी केयूर हारावली जाती चंपक वैजयन्ति लहरी ग्रैवेयकै राजिता ।
वीणा वेणु विनोद मण्डित करा वीरासने संस्थिता चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा रौद्रिणि भद्रकालि बगला ज्वालामुखी वैष्णवी ब्रह्माणी त्रिपुरान्तकी सुरनुता देदीप्यमानोज्वला ।
चामुण्डा श्रितरक्ष पोष जननी दाक्षायणी वल्लवी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा शूल धनु: कशाँकु़शधरी अर्धेन्दु बिम्बाधरी वाराही मधुकैटभ प्रशमनी वाणी रमा सेविता ।
मल्लाद्यासुर मूकदैत्य मथनी माहेश्वरी चाम्बिका चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा सृष्टिविनाश पालनकरी आर्या विसंशोभिता गायत्री प्रणवाक्षरामृतरस: पूर्णनुसन्धी कृता ।
ओंकारी विनतासुतार्चित पदा उद्दण्ड दैत्यापहा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा शाश्वत आगमादि विनुता आर्या महादेवता या ब्रह्मादि पिपलिकान्त जननी या वै जगन्मोहिनी ।
या पन्चप्रणवादि रेफजननी या चित्कला मालिनी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

अम्बा पालित भक्तराजमनिशं अम्बाष्टकमं य: पठेत अम्बा लोल कटाक्षवीक्ष ललितं चैश्वर्यमव्याहतम् ।
अम्बा पावन मन्त्र राज पठनात् अन्ते च मोक्षप्रदा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्री राजराजेश्वरी ।।

।।जय श्री राम।।
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Monday, 2 September 2019

गणेश गायत्री 5 रूप Ganesha Gayatri 5 versions

॥ श्रीगणेश गायत्री ॥

श्री गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
प्रस्तुत है भगवान गणेश के 5 गायत्री मंत्र

1 :- लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ (अग्निपुराण ७१ अध्याय)

 2:- महोत्कटाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ (अग्निपुराण, १७९ अध्याय)

3:- एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ (गणपत्यथर्वशीर्ष)

4:- तत्कराटाय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ (मैत्रायणीय-संहिता)

5:- तत्पुरूषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ (तैत्तिरीयारण्यक-नारायणोपनिषद्)

श्रावण पूर्णिमा विशेष
15 अगस्त 2019

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।।जय श्री राम।।

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