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Thursday, 18 April 2019

Hanuman jayanti 2019 mantra for prosperity हनुमान जयंती 2019

श्री हनुमान जयंती की शुभकामनाएं

सुख समृद्धि हेतु हनुमान मन्त्र साधना

श्री हनुमान मंदिर में श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर सिन्दूर का चोला चढ़ाएं, लाल फूल, अक्षत, जनेऊ व गुग्गुल की धूप दें, नैवेद्य (भोग) चढ़ाकर ये हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से यथाशक्ति जप करें। मंत्र स्मरण के बाद श्री हनुमान की आरती कर प्रसाद ग्रहण करें. श्री हनुमान के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लाकर घर के द्वार या देवालय में स्वस्तिक बनाएं. हनुमान जी की कृपा होगी।

ॐ अंजनीसुताय विद्महे,
वायुपुत्राय धीमहि,
तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।

ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय l
दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय ll महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय l
पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय
रामदूताय स्वाहा ll

लाभ – जिस घर में इस हनुमान मंत्र का नियमित जाप होता है, वहाँ धन-वैभव का आगमन होता है, हनुमानजी की कृपा कल्पवृक्ष के समान सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। शत्रु, दुष्ट व्यक्तियों और संकटो से रक्षा होती है।

अन्य किसी प्रकार की जानकारी , उपाय, कुंडली विश्लेषण एवं समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
Abhishek B. Pandey
नैनीताल, उत्तराखण्ड

7579400465
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Saturday, 13 April 2019

Ram Navmi 2019 special Ram Raksha Stotra रामनवमी 2019 विशेष राम रक्षा स्तोत्र

श्रीराम नवमी की शुभकामनाएं

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् पद्ममहापुराणान्तर्गतम् ॥

इदं पवित्रं परमं भक्तानां वल्लभं सदा ।
ध्येयं हि दासभावेन भक्तिभावेन चेतसा ॥

परं सहस्रनामाख्यम् ये पठन्ति मनीषिणः ।
सर्वपापविनिर्मुक्ताः ते यान्ति हरिसन्निधौ ॥

महादेव उवाच ।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि माहात्म्यं केशवस्य तु ।
ये शृण्वन्ति नरश्रेष्ठाः ते पुण्याः पुण्यरूपिणः ॥

ॐ रामरक्षास्तोत्रस्य श्रीमहर्षिर्विश्वामित्रऋषिः ।
श्रीरामोदेवता । अनुष्टुप् छन्दः  ।
विष्णुप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ १॥

अतसी पुष्पसङ्काशं पीतवास समच्युतम्  ।
ध्यात्वा वै पुण्डरीकाक्षं श्रीरामं विष्णुमव्ययम् ॥ २॥

पातुवो हृदयं रामः श्रीकण्ठः कण्ठमेव च ।
नाभिं पातु मखत्राता कटिं मे विश्वरक्षकः ॥ ३॥

करौ पातु दाशरथिः पादौ मे विश्वरूपधृक् ।
चक्षुषी पातु वै देव सीतापतिरनुत्तमः ॥ ४॥

शिखां मे पातु विश्वात्मा कर्णौ मे पातु कामदः ।
पार्श्वयोस्तु सुरत्राता कालकोटि दुरासदः ॥ ५॥

अनन्तः सर्वदा पातु शरीरं विश्वनायकः ।
जिह्वां मे पातु पापघ्नो लोकशिक्षाप्रवर्त्तकः ॥ ६॥

राघवः पातु मे दन्तान् केशान् रक्षतु केशवः ।
सक्थिनी पातु मे दत्तविजयोनाम विश्वसृक् ॥ ७॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यो वै पुमान् पठेत् ।
सचिरायुः सुखी विद्वान् लभते दिव्यसम्पदाम् ॥ ८॥

रक्षां करोति भूतेभ्यः सदा रक्षतु वैष्णवी ।
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति यः स्मरेत् ॥ ९॥

विमुक्तः स नरः पापान् मुक्तिं प्राप्नोति शाश्वतीम् ।
वसिष्ठेन इदं प्रोक्तं गुरवे विष्णुरूपिणे ॥ १०॥

ततो मे ब्रह्मणः प्राप्तं मयोक्तं नारदं प्रति ।
नारदेन तु भूर्लोके प्रापितं सुजनेष्विह ॥ ११॥

सुप्त्वा वाऽथ गृहेवापि मार्गे गच्छेत एव वा ।
ये पठन्ति नरश्रेष्ठः ते नराः पुण्यभागिनः ॥ १२॥

इति श्रीपाद्मेमहापुराणे पञ्चपञ्चाशत्साहस्त्र्यां
संहितायामुत्तरखण्डे उमापतिनारदसंवादे
रामरक्षास्तोत्रं नामत्रिसप्ततितमोऽध्यायः ॥

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।।जय श्री राम।।
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