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Friday, 18 January 2019

2019 Shani results & Effects 2019 में शनि का प्रभाव

2019 में शनि का विभिन्न राशियों पर प्रभाव

न्याय और भाग्योन्नति का कारक माने जाने वाला शनिग्रह 15 दिसंबर से 33 दिन तक अस्त रहने के बाद शनिवार को 19 जनवरी को सुबह 8.28 बजे उदय होने के बाद साल के अंत तक शनिदेव दिव्य अवस्था में रहेंगे अर्थात तकरीबन एक साल शनि का प्रभाव दृष्टि गोचर होगा. इस बीच साल 2019 के मध्य में
शनि की वक्रीय तथा मार्गीय दृष्टि का विशेष प्रभाव भी नजर आएगा.

वर्तमान में शनि धनु राशि में गोचरस्थ हैं तथा 30 अप्रैल तक मार्गी रहेंगे, उसके बाद वक्री होंगे।

वर्ष 2019 में ‘शनिदेव’ लगभग पूरे वर्ष पर्यन्त ‘धनु राशि’तथा ‘शुक्र’ के नक्षत्र पूर्वा-आषाढ़ में रहेंगे | जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा | इस पूरे वर्ष में 30 अप्रैल से 18 सितम्बर (2019) के बीच ‘शनि-ग्रह’ वक्री रहेंगे | ‘शनिदेव’ वक्री अथवा मार्गी दोनों ही स्थिति में ‘धनु राशि’ में बने रहेंगे तथा पूर्वा-आषाढ़ नक्षत्र में ‘गोचर’ करेंगे, जिसके कारण ‘शनिदेव’ ‘शुक्र’ से प्रभावित होंगे |

करीब एक साल तक शनि का विशेष प्रभाव

जनमानस को नजर आएगा। उदय काल से ही शनि-राहू का खड़ाष्टक योग बन रहा है, इसलिए 19 फरवरी तक अफसरों के विभागीय परिवर्तन व स्थानांतरण बड़ी संख्या में होंगे.

शनि का उदय पूर्व दिशा में हो रहा है जो व्यापारिक वर्ग के लिए फायदेमंद होगा. बाजार में तेजी आएगी. साथ ही इसका असर भी अलग-अलग राशि के जातकों (व्यक्तियों) पर अलग-अलग पड़ेगा.

अधिकांश राशियों के लिए यह उदय लाभप्रद है जबकि कुछ को सावधानी भी बरतनी पड़ेगी. सड़क योजना का विस्तार होगा. परिवहन की सुविधा बढ़ेगी. निगम के कार्यों में तेजी आएगी. नए कारखानों की स्थापना होगी. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. परिश्रम की अनुकूलता से जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान आएगी. राजनीतिक उठापटक देखने को मिलेगी. नए चेहरों को अवसर मिलने के योग हैं.

साढ़े साती एवं ढैय्या

2019 पूरे वर्ष ये राशियां साढ़े साती व ढैय्या से प्रभावित होंगी।

वृश्चिक राशि  – शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण
धनु राशि– शनि की साढ़े साती के मध्य का चरण में होगी
मकर राशि – शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण
कन्या राशि – शनि की ढैय्या
वृषभ राशि – शनि की ढैय्या

‘शुक्र ग्रह’ भौतिक सुख, भोग-विलास, समृद्धि के कारक हैं | इस दृष्टि से ‘शनिदेव’ जातक के लग्न-कुण्डली, गोचर, तथा किस भाव में आ रहे हैं, इसके अनुसार राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ेगा |

मेष –
 इस वर्ष ‘शनिदेव’ आपके दशम भाव और एकादश के स्वामी हैं अर्थात कर्म और आय स्थान के स्वामी हैं  और आपके भाग्य स्थान पूरे वर्ष पर्यन्त रहनेवाले हैं | भाग्य स्थान से  ‘शनिदेव’ की तीसरी दृष्टि आपके आय तथा पराक्रम को प्रभावित करेगी | ‘शनिदेव’ ‘शुक्र’ के नक्षत्र में रहेंगे  और छठे स्थान को भी प्रभावित करेंगे | शुक्र आपके लिए दूसरे और सप्तम स्थान के स्वामी हैं |

 इस वर्ष आपकी आय में निरन्तरता बनी रहेगी तथा जो लोग व्यापार में हैं, उनकी आय में अच्छी वृद्धि रहेगी |जो लोग ‘शनि’ और ‘शुक्र’ से सम्बन्धित व्यापार में हैं उसमे वृद्धि का योग बनेगा | जो कार्य भाग्य-भरोसे सिद्ध होनेवाला है, उसमे बाधा उत्पन्न होगी | भाग्य आपका साथ नहीं देगा | कार्यस्थल पर बड़े अधिकारीयों से परेशानियाँ मिलेंगी | इस वर्ष आपको किसी अपने से विछोह (दूर) होने का प्रबल योग बना हुआ है | आपके करीबी मित्र से सम्बन्ध खराब होने अथवा टूटने की सम्भावना बन रही है | बहन या यदि महिला मित्र हैं, तो उनसे रिश्ते टूटने की सम्भावना है | आपके शत्रु परास्त होंगे | तथा शत्रुओं का नाश होगा | लम्बे समय से चल रहे कर्ज से मुक्ति मिलेगी | इस वर्ष धन बचत अच्छा नहीं होगी | आप धर्म के पथ पर जा सकते हैं | पिता के लिए यह वर्ष कष्टकरी रहेगा |

वृषभ –
वृषभ राशि के लिए ‘शनिदेव’ काफी सहयोगी ग्रह हैं | इस वर्ष ‘शनिदेव’ आपके अष्टम भाव में ‘गोचर’ करेंगे तथा नक्षत्र ‘शुक्र’ लग्नेष की रहेगी | ‘शनि-ग्रह’ दशमेष और राज्येष होकर अष्टम भाव में रहेंगे अतः “राज्यभंग” दोष बनायेंगे | परन्तु राज्य स्थान पर इनकी खुद की राशि पर तथा आपके सप्तम भाव में तीसरी दृष्टि होगी | इसके आलावा क्रमशः सप्तम से दशम दृष्टि आपके पञ्चम भाव में होगी तथा केतू का भी सानिध्य मिलेगा | जिसके कारण आपका कोई भी कार्य विलम्ब से होगा |

इस वर्ष आपकी दूर दृष्टि बहुत अच्छी रहेगी | घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होगा | आपकी स्मरण शक्ति तेज रहेगी | जो लोग धार्मिक यात्रा करना चाहते हैं, कर सकते हैं | आध्यात्मिक यात्रा से लाभान्वित होंगे | जो लोग प्राच्य विधाओं में हैं | उनके लिए ‘शनिदेव’ की विशेष कृपा रहेगी | बड़े अधिकारियों की सहायता से राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में वृद्धि होगी | कार्य स्थल पर पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होने की सम्भावना बनी हुई है | इन सब में सफलता देर से मिलेगी | इस वर्ष भाग्य आपका साथ नहीं देगा | परिश्रम अधिक करना पड़ेगा | ‘शनि ग्रह’ की दशा-अन्तर्दशा हो तो कहीं बड़े निवेश से रुकें | कोई नया कार्य शुरू ना करें | इसमें आपको हानि होगी | स्थाई सम्पत्ति खरीदने के लिए भी उचित समय नहीं है | शिक्षा के मामले में काफी अच्छा वर्ष रहेगा | जो लोग उच्च शिक्षा में हैं तथा अपनी मातृभाषा को छोड़कर  किसी अन्य भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं  तो यह ‘शनि’ आपको अच्छी सफलता देंगे | यदि ‘शनि ग्रह’ में ‘केतू ग्रह’, ‘राहू’ या ‘गुरु’ की युति बनेगी तो अपमानित होने का भय बनेगा | आपका कोई बहुत करीबी व्यक्ति अथवा मित्र से विछोह की स्थिति उत्पन्न होगी तथा कोई दुखद समाचार मिलाने की सम्भावना है | अचानक धन हानि का योग बना हुआ है | ‘शनि ग्रह’ के अष्टम भाव में होने के कारण वयस्क लोगों के स्वास्थ में कमी आएगी |

मिथुन –
 मिथुन राशि के लग्नेश ‘बुद्ध’ हैं और इस वर्ष ‘बुद्ध’ और ‘शनि’ के बीच अच्छी मित्रता रहेगी | ‘शनि’ आपके अष्टम भाव तथा आपके भाग्येश के स्वामी हैं | इस पूरे वर्ष ‘शनि’ आपके सप्तम भाव में रहेंगे | यहाँ से इनकी दृष्टि आपके भाग्यस्थान और आपके लग्न भाव पर तथा आपके चतुर्थ भाव में पारिवारिक सुख-शान्ति पर पड़ने वाली है | मार्च महीने के बाद ‘शनि’ और ‘केतू’ की युति बनेगी | ‘शनि’ ‘शुक्र ग्रह’ के नक्षत्र में रहेंगे | ‘शुक्र’ आपके लिए पञ्चम भाव में तथा व्ययेश  के स्वामी हैं |

 इस वर्ष भाग्य आपका सहयोगी रहेगा | चूँकि ‘शनिदेव’ आपके भाग्य के स्वामी हैं जिसके  कारण आपका नुकसान होते होते कुछ ऐसी परिस्थिति बनेगी कि आपका नुकसान नही होगा | विपरीत से विपरीत परस्थिति में आपको कष्ट महसूस नहीं होगी | ‘शनिदेव’ में आस्था बनाये रखें | सुदूर के व्यापार से आपको लाभ होगा | कोई नया व्यापार के लिए अच्छा समय नही है | शिक्षा के मामले में भी काफी अच्छा समय है | पढ़ाई में आप काफी अच्छी सफलता प्राप्त करेंगे | आपका मन स्थिर नहीं रहेगा | आप सोचेंगे कुछ, करेंगे कुछ और आपकी स्थिति रहस्यमयी रहेगी | जिसके कारण आपके अपने लोग इससे बड़े परेशान होंगे | पारिवारिक खर्च बढ़ेगा | जिसके कारण आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर होगी | परिवार के लोगों का सहयोग नहीं मिलेगा | परिवार से आपको दुख मिलेगा | आपके जीवन साथी के स्वास्थ की समस्या आपको परेशान करेगी | ‘शनि ग्रह’ के सप्तम भाव में होने के कारण नए प्रेम-सम्बन्ध तो बनेंगे मगर उन रिश्तों में स्थिरता नहीं रहेगी | वैवाहिक दृष्टि से भी यह वर्ष आपके प्रतिकूल रहेगा | ‘शनि’ की दशा, अन्तर्दशा होंगी तो प्रेम-सम्बन्धों और वैवाहिक दृष्टि से समस्याएँ और बढ़ेंगी |

कर्क –
 इस वर्ष पर्यन्त ‘शनिदेव’ आपके छठे भाव में रहेंगे तथा ‘शनि’ आपके सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी हैं | कर्क राशि के लिए मुख्य मारकेश हैं | ‘शनि ग्रह’ का गोचर छठें भाव में रहेगा | ‘शनि’ ‘शुक्र’ के नक्षत्र में रहेंगे | शुक्र आपके चतुर्थ भाव के तथा आय स्थान के स्वामी हैं |

आपके अष्टम भाव के स्वामी ‘शनिदेव’ हैं | इस लिय आपके शत्रुओं का नाश होगा | कुछ नए शत्रु भी बनेंगे | ऋण (कर्ज) से मुक्ति मिलेगी | आपकी आयु बढ़ेगी | किसी प्रकार की रोग-व्याधि है, तो उससे आपको छुटकारा मिलेगा | आप किसी से कर्ज लेंगे तो उस कर्ज को चुका  नहीं पायेंगे | इसलिए कर्ज लेने से बचें | किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से दूर रहें | आर्थिक दृष्टि से आपके आय में वृद्धि होगी | दूर की सुखद यात्रा का योग बना हुआ है | जो लोग अपने जन्मस्थान को अथवा अपने कार्य स्थान को बदलकर कही दूर रहना चाहते हैं, उनके लिए काफी अच्छा समय है | अनावश्यक धन खर्च बढ़ने की सम्भावाना है | करीबी लोगों से वाद-विवाद बढ़ेगा तथा सम्बन्ध टूटने की सम्भावना बनी हुई है | वैवाहिक जीवन में तनाव अत्यधिक बढ़ेगा | मामला कोर्ट-कचहरी तक जाता है तो उसमे आपको काफी नुकसान होगा | प्रेम-सम्बन्ध अथवा परिवार में ही माता-पिता या जिससे ज्यादा लगाव है | उनसे सम्बन्ध टूट सकता है | कार्य-व्यापार में साझेदारी से हानि होगा | कोई नया व्यापार शुरू करने के लिए भी अच्छा समय नहीं है | अगर आप किसी से वाद-विवाद करते हैं, तो उसमे आपको आपको हानि होगी |

सिंह –
  ‘शनि’ आपके मारकेश हैं | शनि ‘सूर्य’ के परम शत्रु हैं. तथा  आपके छठे और सप्तम भाव के स्वामी हैं. इस वर्ष शनि आपके पञ्चम भाव में बने रहेंगे | मार्च में ‘केतू’ के साथ ‘शनि’ की युति बनेगी | यहाँ से ‘शनि’ की दृष्टि अपनी राशि के सप्तम भाव पर फिर एकादश भाव में अपने मित्र ‘बुद्ध’ की राशि में, तथा आपके द्वितीय भाव में (वाणी लाभ ) ‘कन्या’ राशि में रहेगे | ‘शनि’ ‘सूर्य’ के नक्षत्र में रहेंगे |

आपके पञ्चम भाव में ‘शनि’ रहेंगे | जिसके प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में जो लोग विदेशी भाषा का अध्ययन कर रहे हैं या करना चाहते हैं , उनको सफलता मिलेगी | दूसरे विषय या किसी परीक्षा, प्रतियोगिता इत्यादि में बाधा उत्पन्न करेगा | विवाह सम्बन्धित समस्याओं से राहत मिलेगी तथा विवाह होने की सम्भावना बनेगी | नए प्रेम-सम्बन्ध बनेंगे | लेकिन वे सम्बन्ध अन्तर्जातीय होंगे | वैवाहिक जीवन मे कुछ बाधाओं के साथ सफलता का योग बना हुआ है | जो लोग अपने वैवाहिक जीवन से सन्तुष्ट नहीं हैं और रिश्तों से अलग होना चाहते हैं, उन लोगों को सफलता नहीं मिलेगी | रिश्तों में लड़ाई-झगड़ों के बावजूद स्थिरता बनी रहेगी तथा रिश्ते नहीं टूटेंगे |

 ‘शनि’ और ‘केतू’ की युति आपके छठे भाव में बनेगी | जिससे गर्भवती महिलाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा | सन्तान के लिए कष्ट का योग है | सन्तान से सम्बन्धित समस्याएँ बढ़ेंगी | सन्तान के विचार से विचार नहीं मिलेगा | सन्तान के प्रति ना चाहते हुए भी बेवजह धन खर्च होगा तथा सन्तान की शिक्षा के लिए कर्ज लेने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है | यदि आपके कुण्डली में ‘गुरु’ (वृहस्पति) तथा ‘बुद्ध’ग्रह शुभ नहीं है तो ऐसी स्थिति में बहुत से लोगों की रूचि अनैतिक कार्यों मे बढ़ेगी तथा इसमे आपको सफलता भी मिलेगी | गलत कार्य के लिए विचार आयेंगे | ऐसे विचारों से दूर रहें | कुछ लोग झूठे आरोपों के शिकार होंगे तथा मित्रों से धोखा मिलेगा |

कन्या –
 ‘कन्या’ राशि के स्वामी ‘ बुध ’  ग्रह हैं | इस वर्ष ‘शनि’ आपके पञ्चम भाव तथा छठे भाव के स्वामी हैं | इस पूरे वर्ष ‘शनि’ आपके चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे | ‘शनि’ ‘शुक्र’ के नक्षत्र में रहेंगे | ‘बुद्ध’ के लिए ‘शनि’ और ‘शुक्र’ ग्रह मित्रवत हैं | लाभेष और भाग्येश ‘शुक्र’ हैं और ‘शनि’ ‘शुक्र’ नक्षत्र में गोचर करेंगे |

आपके छठे भाव पर ‘शनि’ हों, और उनकी दशा-अन्तर्दशा आपस में मिल रही हो, तो इस वर्ष आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी | आपके शत्रुओं का नाश होगा | कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद की समस्या हो उससे आपको छुटकारा मिलेगा | कार्य-व्यापार में अस्थिरता रहेगी | स्थान परिवर्तन का योग बना हुआ है | नई जगहों पर आपका मन नहीं लगेगा या किसी अन्य परिस्थिति के कारण आप कही स्थाई नहीं रहेंगे | जिसके कारण बार-बार स्थान परिवर्तित होगा | वाहन और पैतृक सम्पत्ति इत्यादि में रुकावट उत्पन्न करेगा | जो लोग व्यापार करने के लिए वाहन लेना चाहते हैं | उनके लिए यह अच्छा समय नहीं है | ‘शनि’ के साथ ‘केतू’ की युति होगी तो आपका वाहन चोरी हो सकता है, या कोई घटना-दुर्घटना में वाहन क्षतिग्रस्त होने का योग बना हुआ है | पारिवारिक सुख में कमी होगी | आर्थिक मामले में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी | जिन लोगों को शारीरिक कष्ट है | उनका कष्ट बढ़ेगा | जिनको नहीं है उन्हें भी ‘पेट  और ‘हृदय’ सम्बन्धित रोग होने की सम्भावना है | जिन लोगों को इस समय सन्तान की प्राप्ति होगी, उनके भाग्य का उदय होगा |

तुला –
 ‘शनि’ ग्रह इस वर्ष पर्यन्त ‘शुक्र’ नक्षत्र में रहेंगे | आपके लग्नेष ‘शुक्र’ हैं | ‘शनि’ आपके तीसरे भाव में जायेंगे | यहाँ से ‘शनिदेव’ की दृष्टि आपके पञ्चम भाव में भाग्य के स्थान पर तथा द्वादश भाव में रहेगी | ‘शनि’ ग्रह का आपके तीसरे भाव में तथा उच्च लग्नेष के नक्षत्र में होने से आपके आत्मबल में वृद्धि होगी |

आपका आत्मबल सन्तुलित रहेगा | आपका उत्साह बाढा रहेगा | आपके अन्दर दृढ़ता रहेगी | आप कोई भी निर्णय बहुत सोच-समझकर करेंगे | सभी प्रकार के सम्बन्धों में स्थिरता रहेगी | शिक्षा की दृष्टि से भी ‘शनिदेव’ आपके अनुकूल हैं | जो लोग उच्च शिक्षा में हैं | उनकी बाधाएँ दूर होंगी तथा अच्छी सफलता मिलेगी | विदेश की यात्राओं से आपको लाभ होगा | तथा आपके कार्य व्यापार में वृद्धि होगा | भाग्य आपका सहयोगी रहेगा | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | आप जिस कार्य को शुरू करेंगे उसमे आपको सफलता मिलेगी | धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ेगी | सबको एक साथ लेकर चलने की भावना उत्पन्न होगी | मन में दया भाव उत्पन्न होगा | आप दूसरों की सहायता करेंगे | यदि आप अपनी कोई सम्पत्ति बेचना चाहते हैं तो उसमे बाधाएँ उत्पन्न होंगी . कोई नई सम्पत्ति खरीदने के लिए अभी उचित समय नहीं है |

वृश्चिक –
 ‘वृश्चिक’ राशि के लग्नेश ‘मंगल’ हैं | ‘मंगल’ ग्रह से ‘शनि’ की परम शत्रुता है | ‘शनि’ और ‘मंगल’ की युति रहेगी | जो आपके दूसरे भाव में इस वर्ष पर्यन्त रहेंगे | आपके लिए ‘शनि’ तीसरे भाव में आपके पराक्रम को प्रभावित करेंगे | ‘शनि’ की दृष्टि आपके चतुर्थ भाव, षष्ठी और एकादश भाव पर पड़ेगी | ‘शनि’ ‘शुक्र’ के नक्षत्र में रहेंगे, ‘शुक्र’ आपके सप्तम भाव और द्वादश भाव के स्वामी हैं |

‘शनि’ के प्रभाव से आपके कार्य-व्यापार में परेशानियाँ आयेंगी | धन खर्च ज्यादा होगा | कार्य-व्यापार से आपको लाभ नहीं मिलेगा | जिन लोगों की कुण्डली ठीक नहीं है | और ‘शनि’ के साथ ‘राहू’ या ‘केतू’ की युति बन रही है | तो इसके प्रभाव से जातक का व्यापार बिल्कुल रुक सकता है | जो लोग स्थाई सम्पत्ति भूमि, भवन और वाहन के लिए धन निवेश करना चाहते हैं | तो वो लोग निवेश कर सकते हैं | वाहन लेना चाहें तो ले सकते हैं | उसके लिए अच्छा समय है | आपके पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी | जो लोग अपनी कोई सम्पत्ति बेचना चाहते हैं | उनके लिए काफी अच्छा समय है, इसमें आपको लाभ होगा | धार्मिक, राजनैतिक तथा सामाजिक कल्याण की सोच रखते हैं, तो उसमे आपको शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी | आपके स्वास्थ में कमी आयेगी | वैवाहिक जीवन में बाधा का योग बनेगा | आपकी वाणी अहंकारपूर्ण रहेगी | यदि आपके कुण्डली में ‘केतू’ का प्रभाव है और ‘गुरु’ की स्थिति ठीक नहीं है | तो आपके लिए भ्रम की स्थिति बनेगी | आप सही निर्णय नहीं ले पायेंगे | कार्य को कल पर टालने की प्रवृत्ति उत्पन्न होगी | शिक्षा के लिए सामान्य स्थिति रहेगी |


धनु –
‘धनु’ राशि के स्वामी ‘बृहस्पति’ (गुरु) ग्रह हैं | ‘शनि’ आपके दूसरे भाव में लाभ के स्थान पर और तीसरे पराक्रम भाव के स्वामी हैं | ‘शनि’ आपके लग्न भाव में इस पूरे वर्ष पर्यन्त रहेंगे | ‘धनु’ राशि के लिए ‘शुक्र’ ग्रह परम शत्रु हैं  तथा ‘शनि’ ‘शुक्र’ ग्रह के नक्षत्र में रहेंगे | ‘शुक्र’ आपके लाभ और छठे भाव के स्वामी हैं | ‘धनु’ लग्न वालों के लिए ‘शनि’ सहायक मारकेश  हैं | ‘शनि’ ग्रह की दृष्टि आपके तृतीय भाव में अपनी राशि पर पड़ेगी | तथा सप्तम और दशम भाव में ‘बुद्ध’ की राशि पर पड़ेगी |

यदि आपके कुण्डली में ‘गुरु’ और ‘बुद्ध’ की स्थिति अच्छी है तो आपका स्वास्थ ठीक रहेगा | अन्यथा आपके स्वास्थ पर बेहद नाकारात्मक प्रभाव पड़ेगा | अपने स्वास्थ के प्रति सतर्क रहें | अपने स्वास्थ की समस्याओं को नजरअंदाज ना करें | ‘गुरु’ और ‘बुद्ध’ की युति का आपके कॅरियर पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा | ‘शनि’ के प्रभाव के कारण परिश्रम बहुत अधिक करना पड़ेगा | आपके परिश्रम का परिणाम काफी अच्छा मिलेगा | आप लाभान्वित होंगे | आपके मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी | विशेषकर उनकी जो लोग सामाजिक कल्याण और धार्मिक क्षेत्रों में हैं | यात्रा का योग बना हुआ है | यात्राएँ सुखद और लाभकारी होंगी | कार्य-क्षेत्र में स्थान परिवर्तन के साथ लाभ का योग बना हुआ है | ‘राहू’ आपके सप्तम भाव में आयेंगे और ‘शनि’ की दृष्टि होगी | वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा समय नहीं है | बहुत से लोगों के रिश्तों के टूटने का योग बना हुआ है | पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति आपको सतर्क रहना पड़ेगा | आपके आय में वृद्धि होगी | शिक्षा के मामले में सामन्य स्थिति रहने वाली है |

मकर –
 ‘शनि’ पूरे वर्ष आपके द्वादश भाव में रहेंगे | ‘शुक्र’ ग्रह के नक्षत्र में रहेंगे | ‘शुक्र’ आपके पञ्चम भाव और दशम भाव के स्वामी हैं | ‘शुक्र’ के नक्षत्र में शनि द्वादश भाव में आपके लिए लग्नेष और द्वितीय भाव में लाभ स्थान के स्वामी हैं | यहाँ से ‘शनि’ की दृष्टि आपके द्वितीय भाव अपनी राशि पर, छठे भाव ‘बुद्ध’ की राशि पर रहेगी | ‘बुद्ध’ आपके भाग्य स्थान पर और ‘शनि’ आपके लग्नेष (स्वामी) हैं |

आपके लग्नेश (शनि) अगर द्वादश भाव में हैं | आपके लिए अथक परिश्रम का योग बना हुआ है | आपके कार्य के अनुसार आपको कठिन परिश्रम करना पड़ेगा तब सफलता मिलेगी | किसी भी कार्य का परिणाम रुक कर मिलेगा | आप धैर्य के साथ आगे बढ़ें | अधिक परिश्रम से हताश ना हों | यात्राएँ अधिक और कुछ बे-वजह भी होंगी जो आपको परेशान करेंगी | स्थान परिवर्तन का योग बना हुआ है | आपके शत्रुओं का नाश होगा | परन्तु कुछ नए शत्रु भी बनने की साम्भावना है | आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी तथा धन खर्च अधिक होगा | कोर्ट-कचहरी के मामलों में वाद-विवाद इत्यादि में आपका धन खर्च होगा | आय बनी रहेगी | ‘शनि’ ग्रह के कारण आपके परिवार में भय की स्थिति बनी रहेगी | स्थान परिवर्तन और सुदूर की यात्रा से आपके पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और नौकरी में सफलता मिलेगी | बड़े लोगों का तथा लेगा | भाग्य का सहयोग मिलेगा परन्तु सफलता विलम्ब से मिलेगी | घर-परिवार में कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है | आपके अन्दर अहंकार की भावना उत्पन्न होगी | ‘शनि’ के साथ ‘केतू’ की युति के कारण आपकी विचारधारा में परिवर्तन होगा | जिस पर आपको नियंत्रण रखने की आवश्यकता है | विपरीत परिस्थितियों में भी आपको क्रोध बहुत अधिक आयेगा |

कुम्भ –
 ‘शनि’ आपके लग्नेश हैं | ‘शुक्र’ आपके भाग्य स्थान के तथा चतुर्थ भाव के स्वामी हैं | ‘शनि’ आपके द्वादश और लग्न स्थान के स्वामी हैं | ‘शनि’ आपके एकादश भाव में रहेंगे | ‘शनि’ आपके द्वादश से भी द्वादश स्थान पर रहेंगे | जिसका आपके ऊपर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा | ‘शनि’ आपके लिए बेहद शुभ स्थान पर रहेंगे |

जातक की कुण्डली में कोई बेहद खराब दशा-अन्तर्दशा चल रही हो, तो भी कुछ न कुछ अच्छा प्रभाव देंगे | आपके आय में वृद्धि की सम्भावना है | भाग्य आपका सहयोगी रहेगा | भाग्य के  भरोसे कार्य में आपको सफलता मिलेगी | आपकी बौद्धिक क्षमता मजबूत रहेगी | आप निर्णय बहुत सही लेंगे | परिश्रम जितना अधिक करेंगे | परिणाम उतना अच्छा मिलेगा | भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी | यात्राएँ सफल होगी | विदेशों में आयात निर्यात के व्यापार में आपको लाभ मिलेगा | किसी बड़ी योजना में निवेश करना चाहते हैं तो कर सकते हैं | उसके लिए काफी अच्छा समय है | गर्भवती महिलाओं के लिए बच्चों के लिए तथा सन्तान के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है | आप अच्छाई का साथ देंगे और दूसरों को भी अच्छाई के राह पर चलने का सलाह देंगे |

मीन –
 ‘मीन’ राशि के जातक के लिए ‘शनिदेव’ एकादश भाव में आय के तथा द्वादश भाव के स्वामी हैं | ‘शनि’ आपके दशम भाव में तथा ‘शुक्र’ के नक्षत्र में रहेंगे | शुक्र आपके अष्टम भाव (पराक्रम) के स्वामी हैं | ‘शनि’ की दृष्टि आपके द्वादश भाव, चातुर्थ भाव और सप्तम भाव पर रहेगी |

मीन राशि के जातक की कुण्डली में ‘शनि’ ग्रह की या ‘राहू’, ‘केतू’ अथवा ‘शुक्र’ ग्रह की दशा-अन्तर्दशा आपस में मिल रही हो तो इसका नाकारात्मक परिणाम मिलेगा | आपको सावधान रहने की आवश्यकता है | जो लोग कर्ज लेना चाहते हैं, उन्हें कर्ज मिलेगा मगर धन रुकेगा नहीं | तनावपूर्ण स्थिति में तथा अप्रत्याशित धन खर्च होगा | किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न होगी | चीजें रुकेंगी | बे-वजह यात्राएँ होंगी | जिनका कोई निष्कर्ष नहीं होगा | पारिवारिक सुख की अनुभूति नहीं होगी | यदि कोई वाद-विवाद, कोर्ट-कचहरी का मामला है तो उसमे आप लम्बे समय तक उल्झे रहेंगे | आपके कार्यस्थल पर आपके साथ काम करने वाले सहयोगी से तथा महिला कर्मचारी से सावधान रहें | आप झूठे आरोपों के शिकार हो सकते हैं, ऐसा योग बना हुआ है | आप के लिए अपमान का भय बना हुआ है | वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति बनेगी | आपकी माता की सेहत के लिए ‘शनि’ ग्रह का बेहद हानिकारक प्रभाव रहेगा | अपनी माता के सेहत का खयाल रखें | आपके लिए जन्मस्थान से दूर जाने की स्थिति बन रही है |

अन्य किसी प्रकार की जानकारी , उपाय, कुंडली विश्लेषण एवं समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
Abhishek B. Pandey
नैनीताल, उत्तराखण्ड

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Monday, 14 January 2019

Uttarayan: Sun sadhna उत्तरायण: सूर्य देव की साधना का पर्व

सभी मित्रों को श्री सूर्य नारायण के उत्तरायण पर्व /मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें।

उत्तराखण्ड के सभी भाई बहनों को उत्तराखण्ड के नव वर्ष उत्तरायण पर्व की शुभकामनाये

इस दिन सबसे अधिक महत्व स्नान , दान का है।
जिन भी मित्रों के लिए सम्भव हो पवित्र नदी या तीर्थ कुण्ड में स्नान करें।

सूर्य वैदिक मंत्र –

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यञ्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

सूर्य पौराणिक मंत्र –

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

सूर्य तंत्रोक्त मंत्र –

ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:

सूर्य गायत्री मंत्र –

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।

                ।।श्रीसूर्यकवचस्तोत्रम् ।।

श्री गणेशाय नमः I
याज्ञवल्क्य उवाच I

श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् I
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् II १ II
दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् I
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत् II २ II
शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः I
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः II ३ II
घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः I
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः II ४ II
स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः I
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः II ५ II
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके I
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः II ६ II
सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः I
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति II ७ II

II इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं II
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           ।। श्री सूर्य अष्टकम ।।

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मभास्कर,
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते ।।

सप्ताश्व रध मारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजं,
श्वेत पद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

लोहितं रधमारूढं सर्व लोक पितामहं,
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्म विष्णु महेश्वरं,
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

बृंहितं तेजसां पुञ्जं वायु माकाश मेवच,
प्रभुञ्च सर्व लोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

बन्धूक पुष्प सङ्काशं हार कुण्डल भूषितं,
एक चक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

विश्वेशं विश्व कर्तारं महा तेजः प्रदीपनं,
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

तं सूर्यं जगतां नाधं ज्नान विज्नान मोक्षदं,
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं ।।

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनं,
अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान् भवेत् ।।

आमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्धिने,
सप्त जन्म भवेद्रोगी जन्म कर्म दरिद्रता ।।

स्त्री तैल मधु मांसानि हस्त्यजेत्तु रवेर्धिने,
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं स गच्छति ।।

इति श्री शिवप्रोक्तं श्री सूर्याष्टकं सम्पूर्णं
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     ॥ श्रीसूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥
      (सूर्य वरद स्तोत्रम)

सूर्य अष्टोत्तरशतनाम नामक यह स्योत्र अतिशीघ्र फल देता है, यह स्तोत्र महर्षि धौम्य ने धर्मराज युधिष्ठिर को दिया था, जिसके प्रभाव से उन्होंने युद्ध मे विजय प्राप्त की और अपना खोया हुआ साम्राज्य तथा वैभव पुनः प्राप्त कर लिया।

श्रीगणेशाय नमः ।
वैशम्पायन उवाच ।

शृणुष्वावहितो राजन् शुचिर्भूत्वा समाहितः ।
क्षणं च कुरु राजेन्द्र गुह्यं वक्ष्यामि ते हितम् ॥ १॥

धौम्येन तु यथा प्रोक्तं पार्थाय सुमहात्मने ।
नाम्नामष्टोत्तरं पुण्यं शतं तच्छृणु भूपते ॥ २॥

सूर्योऽर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्कः सविता रविः ।
गभस्तिमानजः कालो मृत्युर्धाता प्रभाकरः ॥ ३॥

पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वायुश्च परायणम् ।
सोमो बृहस्पतिः शुक्रो बुधोऽङ्गारक एव च ॥ ४॥

इन्द्रो विवस्वान्दीप्तांशुः शुचिः शौरिः शनैश्चरः ।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वैश्रवणो यमः ॥ ५॥

वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पतिः ।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाङ्गो वेदवाहनः ॥ ६॥

कृतं त्रेता द्वापरश्च कलिः सर्वामराश्रयः ।
कला काष्ठा मुहुर्ताश्च पक्षा मासा ऋतुस्तथा ॥ ७॥

संवत्सरकरोऽश्वत्थः कालचक्रो विभावसुः ।
पुरुषः शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्तः सनातनः ॥ ८॥

लोकाध्यक्षः प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुदः । कालाध्यक्षः
वरुणः सागरोंऽशुश्च जीमूतो जीवनोऽरिहा ॥ ९॥

भूताश्रयो भूतपतिः सर्वलोकनमस्कृतः ।
स्रष्टा संवर्तको वह्निः सर्वस्यादिरलोलुपः ॥ १०॥

अनन्तः कपिलो भानुः कामदः सर्वतोमुखः ।
जयो विशालो वरदः सर्वधातुनिषेचिता ॥ ११॥  सर्वभूतनिषेवितः
मनः सुपर्णो भूतादिः शीघ्रगः प्राणधारणः ॥

धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोऽदितेः सुतः ॥ १२॥

द्वादशात्मारविन्दाक्षः पिता माता पितामहः ।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम् ॥ १३॥

देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुखः ।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेण वपुषान्वितः ॥ १४॥

एतद्वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यैव महात्मनः । सूर्यस्यामिततेजसः
नाम्नामष्टशतं पुण्यं शक्रेणोक्तं महात्मना ॥ १५॥ प्रोक्तमेतत्स्व्यम्भुवा
शक्राच्च नारदः प्राप्तो धौम्यश्च तदनन्तरम् ।
धौम्याद्युधिष्ठिरः प्राप्य सर्वान्कामानवाप्तवान् ॥ १६॥

सुरपितृगणयक्षसेवितं ह्यसुरनिशाचरसिद्धवन्दितम् ।
वरकनकहुताशनप्रभं त्वमपि मनस्यभिधेहि भास्करम् ॥ १७॥

सूर्योदये यस्तु समाहितः पठेत्स पुत्रलाभं धनरत्नसञ्चयान् ।
लभेत जातिस्मरतां सदा नरः स्मृतिं च मेधां च स विन्दते पराम् ॥ १८॥

इमं स्तवं देववरस्य यो नरः प्रकीर्तयेच्छुचिसुमनाः समाहितः ।
विमुच्यते शोकदवाग्निसागराल्लभेत कामान्मनसा यथेप्सितान् ॥ १९॥

॥ इति श्रीमहाभारते युधिष्ठिरधौम्यसंवादे
आरण्यकपर्वणि श्रीसूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

कुछ उपाय

1. श्री विष्णु सहस्त्रनाम या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्यदेव के मन्त्र का जप करें।

2. हनुमान चालीसा और बजरंगबाण का पाठ करें।

3. गुरु मन्त्र, इष्ट मन्त्र का जप और हवन करें।

4. पितृ शांति के लिए पितरों को तर्पण करें और उनके नाम से दान दें।

5. रोग मुक्ति और आरोग्य प्राप्ति के लिए जल में तिल डालकर स्नान करें।

6. अपनी राशि या आवश्यकता अनुसार रुद्राक्ष अभिमन्त्रित कर धारण करें।

7. ग्रह बाधाओ से शांति हेतु सम्बंधित दान करें ।
मकर संक्रांति के परम्परागत दान स्वयं ही ग्रह बाधाओ   से मुक्ति दिलाते हैं।

8. उड़द चावल की कच्ची खिचड़ी दान करें या पका कर गरीबों में बांटे। उड़द के पापड़ दान करें।

9. तिल , गुड़ , घी और इनसे बने गजक मिठाई आदि दान करें।

10. ऋतुफल और सब्जियां दान करें। केला, अमरुद, सन्तरे, सिंघाड़े इत्यादि।

11. मन्दिर या किसी गरीब व्यक्ति को कम्बल , ऊनि वस्त्र दान करें।

अन्य किसी प्रकार की जानकारी ,कुंडली विश्लेषण या समस्या समाधान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

।।जय श्री राम।।
Abhishek B. Pandey
नैनीताल, उत्तराखण्ड

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